केरल HC का कमेंट- जेंडर न्यूट्रल हो कानून, Johnny Depp केस पर बहस तेज

घरेलू हिंसा ( Domestic Violence ) और महिलाओं के खिलाफ अपराधों ( Crime Against Women ) को लेकर लैंगिक समानता और कानूनी अधिकारों पर नई बहस छिड़ गई हैं.

author-image
Keshav Kumar
New Update
johny amber

हॉलीवुड के मशहूर अभिनेता जॉनी डेप और उनकी पूर्व पत्नी एंबर हर्ड ( Photo Credit : File Photo)

Advertisment

घरेलू हिंसा ( Domestic Violence ) और महिलाओं के खिलाफ अपराधों ( Crime Against Women ) को लेकर लैंगिक समानता और कानूनी अधिकारों पर नई बहस छिड़ गई हैं. हॉलीवुड के मशहूर अभिनेता जॉनी डेप और उनकी पूर्व पत्नी एंबर हर्ड ( Johnny Depp vs Amber Heard ) के मानहानि केस में अमेरिकन कोर्ट के फैसले के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कानूनी तौर पर इसकी चर्चा होने लगी है. छह हफ्ते तक चली लंबी बहस और गवाहियों के बाद अदालत ने जॉनी डेप को पूर्व पत्नी से ज्यादा मुआवजा देने का फैसला सुनाया.

वहीं, देश में केरल हाई कोर्ट के जज ने रेप के मामले को महज एक जेंडर के साथ जोड़कर देखे जाने को गलत बताया. कोर्ट ने कहा कि अगर शादी का वादा करके कोई महिला किसी पुरुष को धोखा देती है और अगर पुरुष ऐसा करता है तो दोनों को लेकर फर्क सामने आता है. ऐसे अपराध और उनसे जुड़े कानून जेंडर-न्यूट्रल होना चाहिए.

'पायरेट्स ऑफ द करेबियन' स्टार ने किया केस

सबसे पहले बात करते हैं जॉनी डेप- एंबर हर्ड केस की. द वॉशिंगटन पोस्ट में 2018 में पब्लिश हुए सेक्शुअल वॉयलेंस पर एक आर्टिकल को लेकर 'पायरेट्स ऑफ द करेबियन' स्टार जॉनी डेप ने एंबर हर्ड के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज करवाया था. एंबर ने आर्टिकल में खुद को घरेलू हिंसा का शिकार बताया था. इसके बाद एंबर ने भी  डेप के वकील के एक स्टेटमेंट को लेकर डेप के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज करवाया था. इस हाई प्रोफाइल केस ने दुनियाभर में सुर्खियां बटोरीं.

क्या कम होगी महिला अपराधों पर गंभीरता

कानूनी लड़ाई में हैरान कर देने वाले खुलासे के बाद जूरी ने एंबर हर्ड को मानहानि का दोषी पाया. कोर्ट ने कहा कि जॉनी डेप को बदनाम किया गया. डेप को हर्जाने के तौर पर 15 मिलियन डॉलर ( करीब 116 करोड़ रुपए) का मुआवजा मिलेगा. जूरी ने मानहानि के कुछ मामलों में डेप को भी दोषी पाया. हर्ड को भी हर्जाने के तौर पर 2 मिलियन डॉलर (करीब 15.5 करोड़ रुपए) देने का फैसला सुनाया गया. डेप ने कहा कि जूरी ने मुझे मेरी जिंदगी वापस दे दी. मेरे इस केस का मकसद सच्चाई सामने लाना था. वहीं, हर्ड ने फैसले को महिलाओं के लिए झटका बताया. उन्होंने कहा कि इस फैसले से महिलाओं के खिलाफ हिंसा को लेकर गंभीरता कम होगी.

IPC के सेक्शन 376 की सजा और जेंडर की चिंता

अब कस्टडी के एक मामले में सामने आए केरल हाई कोर्ट के एक अहम फैसले की बात करते हैं. एक तलाकशुदा जोड़े के बच्चे की कस्टडी के मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि रेप जैसे अपराधों को जेंडर के चश्मे से नहीं देखना चाहिए. जस्टिस ए मुहम्मद मुश्ताक ने कहा कि इसे जेंडर-न्यूट्रल बनाना चाहिए. दोनों पक्षों की दलील सुनकर जज ने भारतीय कानून संहिता ( IPC) के सेक्शन 376 (रेप के लिए सजा) पर अपनी चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि यह कानून जेंडर-न्यूट्रल नहीं है.

publive-image

ये भी पढ़ें - Target Killing in Kashmir: डर के माहौल में हिंदू, सुरक्षा का दावा बेदम

मई में भी केरल हाई कोर्ट ने उठाया था सवाल

इसी साल मई में केरल हाई कोर्ट ने केस की सुनवाई के दौरान भी जज ने कहा था कि IPC में रेप के अपराध के लिए तय किए गए कानूनी प्रावधान महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग हैं. ऐसा नहीं होना चाहिए. इसके बाद रेप के आरोपी डॉक्टर को जमानत दे दी थी. पुरुष डॉक्टर पर साथी महिला डॉक्टर से रेप का आरोप लगा था. कोर्ट ने कहा कि शुरुआती सबूत बताते हैं कि दोनों के बीच सहमति से संबंध बनाए गए थे. जस्टिस सी जयाचंद्रन ने कहा कि याचिकाकर्ता ने शिकायत दर्ज कराई है कि आरोपी ने कई जगहों और मौकों पर उसके साथ रेप किया. इससे समझा जा सकता है कि दोनों के बीच सहमति थी.

HIGHLIGHTS

  • जज ने रेप के मामले को एक जेंडर के साथ जोड़ने को गलत बताया
  • दुनिया में लैंगिक समानता और कानूनी अधिकारों पर नई बहस छिड़ी
  • रेप केस में कानूनी प्रावधान महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग
Defamation Case Domestic violence gender equality Johnny Depp मानहानि मामला Kerala High Court crime against women लैंगिक समानता Amber Heard law suit केरल हाई कोर्ट महिलाओं के खिलाफ अपराध जॉनी डेप एंबर हर्ड घरेलू हिंसा कानूनी अधिकार
Advertisment
Advertisment
Advertisment