दक्षिण भारत कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था. विधानसभा से लेकर लोकसभा तक सांसदों की अच्छी खासी संख्या होती थी. वह चाहे तमिलनाडु से चुनकर आने वाले सांसद हों या फिर कर्नाटक या आंध्र प्रदेश. इन राज्यों में कांग्रेस का डंका बजा करता था, लेकिन अब यहां पर सियासी ग्रहण लग गया है. 2014 में मोदी सरकार आने के बाद से दक्षिण भारत से कांग्रेस की जमीन खिसक चुकी है. करीब डेढ़ दशक से सत्ता का वनवास काट रही कांग्रेस इस बार के विधानसभा चुनाव में वापसी करने की जुगत में हैं, पर कांग्रेस के लिए यह राह इतना आसान नहीं दिख रहा है.
कार्यकर्ताओं और नेताओं को जमीन पर बहुत पसीना बहाने की जरूरत है.दक्षिण भारत में कांग्रेस के लिए सिर्फ भाजपा ही नहीं बल्कि यहां के क्षेत्रीय दल भी बड़ी चुनौती है. इससे निपटने के लिए पार्टी को बड़े पैमाने पर कार्य करने की जरूरत हैं. दक्षिण भारत में कांग्रेस पार्टी के नेताओं की स्थिति ऐसी हो गई है कि संसद, विधानसभा पहुंचना तो दूर, नगर निगमों में भी पार्टी के पार्षद या कार्यकर्ता अपनी जगह नहीं बना पा रहे हैं.
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खड़गे के क्षेत्र में बीजेपी की जीत
ताजा मामला कर्नाटक नगर निगम चुनाव का है. जहां पर भगवा रंग लहराया है. कांग्रेस की बुरी हार हुई है. नगर निगम चुनाव में मेयर और उप मेयर का चुनाव भी भाजपा ने जीत लिया है. इससे भी हैरानी की बात है कि बीजेपी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के गृह जिले कलबुर्गी में महापौर और उप महापौर पद के चुनाव में जीत हासिल की. बता दें कि दो महीने बाद कर्नाटक में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं. नगर निगम चुनाव में पार्टी की हार यकीनन कांग्रेस के लिए बुरी खबर है. क्योंकि खड़गे जहां से आते हैं वहां पर कांग्रेस खुद को मजबूत होने का दावा करती है, लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले मेयर और डिप्टी मेयर की कुर्सी चली जानी पार्टी के लिए चिंता में डालने वाली है.
मेयर चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर थी, पर बीजेपी प्रत्याशी विशाल दरगी ने बाजी मार ली. विशाल दरगी ने कांग्रेस उम्मीदवार प्रकाश कपनूर को एक वोट से हराया. विशाल दरगी को 33 वोट हासिल हुए हैं. वहीं, शिवानंद पिस्ती ने अपनी कांग्रेस प्रतिद्वंदी विजयलक्ष्मी को हराकर डिप्टी मेयर पद पर कब्जा जमाया है.
बीजेपी के लिए संजीवनी की तरह है जीत
बीजेपी के लिए ये जीत इसलिए भी बड़ी है कि कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे के गढ़ में कमल खिला है. आने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए ये जीत पार्टी के लिए संजीवनी का काम करेगी. बता दें कि 2023 में बीजेपी तीसरी बार सरकार बनाने के लिए चुनाव प्रचार में जुटी हुई है. पार्टी ने 2008 में दक्षिण का ये किला फतह किया था. 2018 चुनाव में बी एस येदियुरप्पा की अगुवाई में बीजेपी ने सरकार बनाई थी. हालांकि, विधानसभा में बहुमत नहीं मिलने के कारण येदियुरप्पा को समय से पहले इस्तीफा देना पड़ा था. बाद में दोबारा सरकार बनी, लेकिन दो साल बाद येदियुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया. इसके बाद बीजेपी ने बसवराज बोम्मई पर भरोसा जताया. बोम्मई के नेतृत्व में पार्टी अगामी विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में है.
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कांग्रेस के लिए आसान नहीं रास्ता
वहीं, हाल ही में मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं. कांग्रेस को उम्मीद है कि पार्टी यहां पर अच्छा प्रदर्शन करेगी, लेकिन निकाय चुनावों में जिस तरह से कांग्रेस की कुर्सी घसकी है, उससे पार्टी के सामने बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. राज्य में मई में विधानसभा चुनाव होने हैं, इससे पहले कांग्रेस कमजोर पड़ती जा रही है. ऐसे में कांग्रेस को चिंतन करके खुद को मजबूत करने का समय है.
HIGHLIGHTS
- कुलबर्गी में मेयर-डिप्टी मेयर पद पर बीजेपी प्रत्याशी की जीत
- खड़गे के गढ़ में कांग्रेस की बुरी हार
- विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को मिली टॉनिक