अरब सागर (Arab Sea) से उठे तौकते चक्रवात के बाद अब दो-तीन दिन के बाद यास तूफान दस्तक देने वाला है. बंगाल की खाड़ी में पैदा होने जा रहे यास (Yaas) तूफान से बंगाल और ओड़िशा के तटवर्ती इलाकों में भारी तबाही मचने की आशंका है. पिछले साल आए भीषण चक्रवात अम्फान से भी बंगाल को भारी क्षति पहुंची थी. इसके पहले 2009 में आइला ने तो बंगाल के सुंदरवन इलाके को तहस-नहस कर दिया था. हालांकि चक्रवातों और तूफानों की लंबी फेहरिस्त में गौर करने वाली बात यह है कि इन सभी का संबंध मई के महीने से है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर मई में ही सबसे ज्यादा चक्रवात और तूफान क्यों आ रहे हैं?
बढ़ रहा है समुद्र की सतह का तापमान, मई इसलिए भी मुफीद
इसका जवाब छिपा है भारतीय मौसम विभाग, कोलकाता के वरिष्ठ वैज्ञानिक गणेश कुमार दास के पास. वह बताते हैं 'विश्व मौसम संगठन समेत दुनियाभर में हाल के वर्षों में जितने भी अनुसंधान हुए हैं, उनमें एक गूढ़ बात यह सामने आई है कि समुद्रों की सतह का तापमान तेजी से बढ़ रहा है. यही बढ़ता तापमान साइक्लोन को ताकत प्रदान करता है. समुद्र की सतह जितनी गर्म होगी, साइक्लोन की तीव्रता उतनी ज्यादा होगी. ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारण अरब सागर काफी गर्म हो चुका है, जिसके कारण वहां साइक्लोन की तीव्रता और फ्रीक्वेंसी दोनों बढ़ रही हैं. पहले एक साल में पांच साइक्लोन आते थे, जिनमें से चार बंगाल की खाड़ी और एक अरब सागर में उत्पन्न होता था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में लगभग समान तौर पर साइक्लोन उत्पन्न हो रहे हैं. दक्षिण चीन सागर की तरफ बढ़ने के साथ समुद्र की सतह की गरमाहट बढ़ती जा रही है इसलिए वहां साइक्लोन की तीव्रता दुनिया में सबसे ज्यादा है.'
समुद्री चक्रवात के लिए समुद्र की सतह का तापमान 27 डिग्री या उससे ज्यादा हो
दास ने आगे बताया, 'साल के तीन-चार महीने साइक्लोन के लिए काफी अनुकूल होते हैं. इनमें मई पहले नंबर पर है. साइक्लोन के लिए समुद्र की सतह का तापमान 27 डिग्री या उससे ज्यादा होना जरूरी है. मई में समुद्र काफी गर्म होता है इसलिए उसकी सतह का तापमान भी बहुत ज्यादा होता है. मौसम विभाग की ओर से भी समुद्र में 50 मीटर तक के तापमान को मापकर देखा जाता है. अगर वह 27 डिग्री या उससे अधिक होता है तो इसे साइक्लोन के उत्पन्न होने के अनुकूल माना जाता है. जनवरी में समुद्र की सतह का तापमान काफी कम होता है इसलिए उस समय साइक्लोन की संभावना न के बराबर होती है. अक्टूबर व नवंबर में भी समुद्र की सतह का तापमान अधिक होता है इसलिए उन महीनों में भी साइक्लोन आते हैं. कभी-कभी दिसंबर में भी साइक्लोन की उत्पत्ति होती है. दास ने कहा कि उत्तरी गोलार्द्ध में दक्षिणी गोलार्द्ध की तुलना में साइक्लोन ज्यादा आते हैं क्योंकि वहां समुद्र के पानी की सतह ज्यादा गर्म है. उत्तरी गोलार्द्ध में दक्षिणी गोलार्द्ध की अपेक्षा आबादी और उद्योगीकरण की दर ज्यादा है. इसका भी समुद्र के तापमान पर असर पड़ता है.
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24 मई को निम्न दबाव के साइक्लोन में तब्दील होने के आसार
यह पूछे जाने पर कि चक्रवात यास क्या अम्फान से भी ज्यादा शक्तिशाली होगा, इसके जवाब में दास ने कहा, 'यह कहना अभी जल्दबाजी होगी. बंगाल की खाड़ी में 22 मई को निम्न दबाव की उत्पत्ति होगी, जिसके 24 को साइक्लोन में तब्दील होने के आसार हैं और 26 तक इसके बंगाल और ओड़िशा के तटवर्ती इलाकों में पहुंचने की संभावना है. इसकी तीव्रता क्या होगी, अभी यह बताना मुश्किल है। सभी साइक्लोन सुपर साइक्लोन में तब्दील नहीं होते. साइक्लोन में कम से कम 65 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलती है जबकि सुपर साइक्लोन में 220 किलोमीटर तक की रफ्तार से हवा चलती है. यास जब लैंडफाल करेगा, तभी इसकी तीव्रता का पता चल पाएगा. हम 500 किलोमीटर तक का रेंज लेकर चलते हैं. जैसे-जैसे साइक्लोन निकट आता जाता है, हम उसके लैंडफाल वाली जगह के बारे में बताने की स्थिति में होते हैं.
HIGHLIGHTS
- साइक्लोन के लिए समुद्र की सतह का तापमान 27 डिग्री या ज्यादा होना जरूरी
- उत्तरी गोलार्द्ध में दक्षिणी गोलार्द्ध की तुलना में साइक्लोन ज्यादा
- यास चक्रवात के 26 तक बंगाल और ओड़िशा पहुंचने की संभावना