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बहुमत हाथ में है, फिर भी शिंदे गुट मुंबई क्यों नहीं आ रहा? ये हैं 3 कारण

महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले 6 दिनों में कई नाटकीय मोड़ आए. 55 विधायकों वाली शिवसेना से रातोंरात कई विधायक पार्टी से फूटकर सूरत चले गए और फिर वहां से गुवाहाटी.

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Deepak Pandey
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Eknath Shinde

एकनाथ शिंदे गुट( Photo Credit : File Photo)

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महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले 6 दिनों में कई नाटकीय मोड़ आए. 55 विधायकों वाली शिवसेना से रातोंरात कई विधायक पार्टी से फूटकर सूरत चले गए और फिर वहां से गुवाहाटी. इन विधायकों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं शिवसेना के कद्दावर नेता और ठाणे के कोपरी- पांचपाखड़ी सीट से विधायक एकनाथ शिंदे. बगावत करने वाले इन विधायकों की संख्या पहले दिन 13 थी, लेकिन फिर ये आंकड़ा लगातार बढ़ता चला गया और अब जाकर 38 हो गया है. और तो और इनको कुछ निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी मिल गया है. ये वो आंकड़ा है जो शिंदे के गुट को दलबदल कानून की मार से बचा सकता है. इस आंकड़े की बदौलत शिंदे न सिर्फ अपने सभी समर्थक विधायकों की सदस्यता बचा सकते हैं बल्कि ये दावा भी कर सकते हैं कि वे पार्टी से अलग नहीं हुए बल्कि वे ही असली पार्टी हैं. वो बीजेपी के साथ गठबंधन करके सत्ता स्थापना की अपनी इच्छा भी जाहिर कर चुके हैं. जो मुमकिन भी है, लेकिन बहुमत के इस आंकड़े को छू लेने के बावजूद शिंदे सत्ता स्थापना की खातिर मुंबई क्यों नहीं लौट रहे? इसके तीन बड़े कारण नीचे हैं- 

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कोरोना बाधित राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का इंतजार : दरअसल एकनाथ शिंदे ये बखूबी जानते हैं कि राज्यपाल की अनुपस्थिति में राज्य में कोई भी राजनीतिक कार्यवाही संभव नहीं है. राज्यपाल बीते चार दिनों से अस्पताल में थे. उन्हें आज ही अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया है. संभव है कि वह एक से दो दिनों में फिर से सक्रिय हों. ऐसे में एकनाथ शिंदे ने बीजेपी शासित असम के गुवाहाटी में ही अपने विधायकों को रखना सुरक्षित समझा. 

उपसभापति की कारवाई : इस दरम्यान, उपसभापति नरहरी झिरवाल ने शिवसेना के 16 विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी करके उनके जवाब मांगा है. सभी विधायकों को 27 जून तक इस नोटिस का जवाब देना है. ठाकरे गुट ने इन विधायकों के निलंबन की मांग की थी. आगे की तस्वीर साफ होने तक शिंदे गुट ने गुवाहाटी में ही रुकना ठीक समझा, क्योंकि मुंबई पहुंचने पर बागी विधायकों को फिर से अपने गुट में शामिल करने की कोशिश ठाकरे गुट की तरफ से हो सकती थी. इसलिए शिंदे ने गुवाहाटी में ही रहते हुए उपसभापति के इस निर्णय को अदालत में चुनौती देने का मन बनाया है. संभव है कि सोमवार को वो इस सिलसिले में मुंबई हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएं. 

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मुंबई लौटने पर संघर्ष का डर : महाराष्ट्र में अभी भी सत्ता शिवसेना की है. ऐसे में मुंबई लौटने पर शिंदे और उनके साथ बागी विधायकों को संतप्त शिवसैनिकों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है. शिवसैनिक बीते दो दिनों से सड़कों पर हैं और वो बागी विधायकों के घर और दफ्तरों पर तोड़फोड़ कर रहे हैं. शिवसैनिक आंदोलन कर रहे हैं और बागी विधायकों के मुंबई लौटने पर ये आंदोलन हिंसक भी हो सकता है, इस बात का डर शिंदे खेमे को सता रहा है. आपको बता दें कि बागी विधायकों की सुरक्षा के लिए अब केंद्र हरकत में आया है और उसने शिवसेना के 15 बागी विधायकों के घर केंद्रीय सुरक्षा बलों की कुछ टुकड़ियां तैनात कर दी हैं.

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