महाराष्ट्र रिसॉर्ट पॉलिटिक्स और राज्यसभा चुनाव: ओवैसी बोले-समर्थन चाहिए, तो खुलकर बात करे शिवसेना

महाराष्ट्र की सियासत में राज्यसभा चुनाव के दौरान अपने विधायकों को होटल में शिफ्ट करने की शिवसेना की यह पहली कवायत नहीं है बल्कि इसके पहले भी जब देवेंद्र फडणवीस सरकार को 2019 में शपथ के बाद बहुमत सिद्ध करना था तो...

author-image
Shravan Shukla
New Update
Maharashtra Resort Politics

Maharashtra Resort Politics ( Photo Credit : Social Media)

Advertisment

महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर रिसॉर्ट पॉलिटिक्स हो रही है. सोमवार की देर शाम शिवसेना और निर्दलीय विधायकों को मलाड के उसी रिट्रीट होटल में शिफ्ट किया गया जहां पर कभी सरकार बनाते समय रखा गया था. शिवसेना और निर्दलीयों को मिलाकर करीब 50 से अधिक विधायक सोमवार शाम मुख्यमंत्री से मिलने के बाद बसों में होटल रिट्रीट पहुंचे. आगे पीछे महंगी कारें थी. पुलिस की गाड़ियां थी और मंत्रियों की गाड़ियां थी. इतना बड़ा काफिला या तो किसी बड़े जेड सिक्योरिटी से प्रोटेक्टेड व्यक्ति या दूसरे देश के राजनेता का हो सकता है या फिर बीजेपी के डर से शिवसेना के विधायक और निर्दलीय विधायकों का. यहां दूसरा मामला था.

महाराष्ट्र की सियासत में राज्यसभा चुनाव के दौरान अपने विधायकों को होटल में शिफ्ट करने की शिवसेना की यह पहली कवायत नहीं है बल्कि इसके पहले भी जब देवेंद्र फडणवीस सरकार को 2019 में शपथ के बाद बहुमत सिद्ध करना था तो शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी के सभी विधायकों को इसी होटल रिट्रीट में रखा गया था. दरअसल एक बार फिर राज्यसभा चुनाव के बहाने सरकार और विपक्ष के बीच शक्ति प्रदर्शन तेज हो गया है. राज्यसभा सीटों के लिए 7 उम्मीदवार मैदान में आने के बाद अब राज्यसभा की वोटिंग जरूरी हो गई है. ऐसे में शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी सहित महा विकास आघाडी के बड़े नेताओं को लगता है कि अगर बीजेपी ने अपने पत्ते चले और किसी भी तरीके से कुछ ऑफर किया तो शिवसेना का दूसरा उम्मीदवार हार जाएगा. यह राज्यसभा की हार नहीं बल्कि शिवसेना के शक्ति प्रदर्शन की हार होगी और महा विकास आघाडी की एकता की हार होगी. हालांकि शक्ति प्रदर्शन में बहुजन विकास अघड़ी के तीन विधायक और समाजवादी पार्टी के दो विधायक शामिल नहीं हुए, जबकि इन दोनों पार्टियों ने सरकार बनाने में बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए 2019 में महा विकास आघाडी का समर्थन किया था.

ये भी पढ़ें: UK: बोरिस जॉनसन ने जीता अविश्वास प्रस्ताव, टोरी पार्टी से बढ़ी दूरियां

शिवसेना को है इस बात का डर...

आंकड़ों के हिसाब से बीजेपी को अपने तीसरे उम्मीदवार को जीत दिलाने के लिए कुल 13 विधायकों की जरूरत होगी, और इसमें से सात से आठ विधायक जब तक महा विकास आघाडी सरकार के नहीं टूटेंगे तब तक बीजेपी का तीसरा उम्मीदवार राज्यसभा का चुनाव नहीं जीत सकेगा.  शिवसेना को डर है कि एनसीपी से बीजेपी में शामिल हुए धनंजय महाडिक उद्योगपति नेता हैं और कहीं बीजेपी ने उनके पैसे के सहारे चुनाव लड़ा तो महा विकास आघाडी को समर्थन देने वाले कई निर्दलीय विधायक और कांग्रेस ही नहीं, एनसीपी और शिवसेना के कई विधायक अपना पाला छोड़ बीजेपी के पक्ष में वोट कर सकते हैं. इसीलिए बीजेपी के नेता महा विकास आघाडी के विधायकों और निर्दलीय विधायकों तक न पहुंच पाए इसलिए मुख्यमंत्री ने उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच वर्षा बंगले से सीधे मलाड के एक रिसोर्ट में पहुंचा दिया. 

बीजेपी ने कहा-अपने विधायकों पर उद्धव ठाकरे को भरोसा नहीं

हालांकि बीजेपी नेता अतुल भातखलकर ने कहा है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अपने विधायकों पर भरोसा नहीं और इस तरीके से विधायकों को लेकर होटल में जा रहे हैं इससे उनकी निराशा साफ झलक रही है जबकि राज्यसभा का चुनाव खुले वोटिंग प्रक्रिया से होगा. जो भी हो लेकिन शिवसेना को लगता है कि बीजेपी निर्दलीय विधायकों को और कुछ महा विकास आघाडी के विधायकों को अपने पक्ष में लाने में कामयाब हो सकती है. इसलिए मुख्यमंत्री ने आनन-फानन में विधायकों से मुलाकात करने के बाद सीधे उन्हें होटल में भेज दिया.

ओवैसी ने बढ़ाई उद्धव ठाकरे की परेशानी

इस बीच 8 जून को होने वाली शिवसेना की औरंगाबाद रैली के ठीक एक दिन पहले असदुद्दीन ओवैसी ने एक बयान देकर महाविकास अघाड़ा के बीच असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है. ओवैसी ने कहा कि अगर महाविकास अघाड़ी बीजेपी को राज्यसभा में रोकना चाहती है तो उसे खुलकर हमसे समर्थन मांगना पड़ेगा, लेकिन यह शिवसेना के 
लिए सहज नहीं होगा. चूंकि औरंगाबाद में शिवसेना की सीधी टक्कर एआईएमआईएम से ही है और वहां पर सीधे शिवसेना को नुकसान पहुंचेगा. शिवसेना की मुश्किल यह है कि आंखों के खेल में भले ही शिवसेना सरकार बनाने में कामयाब हो गई हो, लेकिन राज्यसभा में अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए शिवसेना को कड़ी चुनौती झेलनी पड़ रही है. सरकार में शामिल बहुजन विकास आघाडी और समाजवादी पार्टी ने सीधा कह दिया है कि वह अपने वोट का फैसला आखिरी दिन लेंगे, साथ ही निर्दलीय विधायकों पर भी शिवसेना का या दूसरी पार्टियों का ह्विप लागू नहीं होता है. ऐसे में अगर शिवसेना को आंकड़ों की जादूगरी को छूना है तो उसके साथ सरकार में शामिल सभी निर्दलीय विधायक साथ रहने चाहिए. हालांकि महा विकास आघाडी ने शक्ति प्रदर्शन के लिए 7 जून की शाम को मुंबई के एक पांच सितारा होटल में बैठक बुलाई है और इस बैठक में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार राज्यसभा चुनाव के कांग्रेस प्रभारी मलिकार्जुन खरगे और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सहित तीनों पार्टियों के विधायक शामिल होंगे और बीजेपी के सामने एक शक्ति प्रदर्शन किया जाएगा लेकिन इस शक्ति प्रदर्शन के बाद भी शिवसेना यह पूरे आत्मविश्वास के साथ नहीं कह सकती कि उसका दूसरा उम्मीदवार सुनकर राज्यसभा जाएगा.

संख्याबल का ये है हाल

आंकड़ों की गणित की बात करें तो MVA यानी महाविकास आघाडी के पास 169 विधायकों का समर्थन है. जिसमें शिवसेना- 56, एनसीपी-53, कांग्रेस-44, बहुजन विकास आघाडी-3, समाजवादी पार्टी-2, प्रहार जनशक्ति पार्टी-2,  शेतकरी कामगार पार्टी- 1, शेतकरी क्रांतिकारी पार्टी-1 और निर्देलीय-8. महाविकास आघाडी को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों में लोहा से श्याम सुंदर शिंदे, चंद्रपुर से किशोर जोरगेवार, मीरा भाईंदर से गीता जैन, भंडारा से नरेंद्र भोंडेकर, रामटेक से आशीष जायसवाल, करमाळा से संजय शिंदे, मुक्ताईनगर से चंद्रकांत पाटील और साक्री से मंजुषा गावित. 

बीजेपी के पास 113 विधायक हैं जिसमें 106 बीजेपी के और बाकी निर्दलीय है. लेकिन कुछ विधायक तटस्थ हैं. जिसमें AIMIM के दो विधायक भी हैं. ऐसे में राह आसान नहीं  है. अब देखना ये है कि राज्यसभा की छठी सीट पर बीजेपी का उम्मीदवार चुनकर जाएगा या शिवसेना का उम्मीदवार.

HIGHLIGHTS

  • महाराष्ट्र में फिर लौटी रिसॉर्ट पॉलिटिक्स
  • रिसॉर्ट में रखे गए सरकार समर्थक विधायक
  • ओवैसी ने कहा-साथ चाहिए, तो खुल कर साथ मांगे सरकार
असदुद्दीन ओवैसी राज्यसभा चुनाव शिवसेना Resort Politics रिसॉर्ट पॉलिटिक्स
Advertisment
Advertisment
Advertisment