भारत में चल रहे किसान आंदोलन (Farmers Protest) के समर्थन को लेकर पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) की ओर से ट्विटर पर शेयर किए गए टूल किट (Tool kit case) मामले में गिरफ्तार दिशा रवि रिमांड के लिए अदालत में पेश किए जाते ही वह जज के सामने फूट-फूट के रोने लगती हैं. अपनी सफाई में वह सिर्फ यही दोहराती हैं कि उन्होंने तो सिर्फ दो लाइनें ही एडिट की थीं. पुलिस ने टूलकिट मामले में 21 साल की पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि की गिरफ्तारी का किसान और कांग्रेस नेताओं ने विरोध करना शुरू कर दिया है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि एक निहत्थी लड़की से सरकार डर गई. राहुल गांधी, शशि थरूर और अरविंद केजरीवाल ने भी दिशा की गिरफ्तारी का विरोध किया है. वहीं भाजपा सांसद पीसी मोहन ने तंज कसते हुए कहा कि बुरहान वानी भी 21 साल का था. अजमल कसाब भी 21 साल का ही था. उम्र केवल एक संख्या है. मोहन के तंज ने सोशल मीडिया में किशोर और बाल अपराधों को बहस के केंद्र में ला दिया है. दुनियाभर में लोग बाल अपराधों की बढ़ती संख्या से चिंतित हैं. कई शोधकर्ताओं के मुतािबक बहुत से मामले ऐसे भी हैं, जहाँ बच्चे घरेलू तनाव के कारण अपराध कर देते . एक और कारण गरीबी और अशिक्षा भी है.भारत के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक पिछले बीस सालों के अपराध के आंकड़े बताते हैं कि भारत के कुल रिकॉर्डिड अपराधों में से लगभग एक प्रतिशत नाबालिग अभियुक्त हैं.
बाल अपराधियों की संख्या गावों की अपेक्षा शहरों में अधिक है. जहाँ तक इनके दण्ड की बात है तो कोर्ट यह मानता है कि इस उम्र के बच्चे अगर जल्दी बिगड़ते हैं और उन्हें अगर सुधारने का प्रयत्न किया जाए तो वह सुधर भी जल्दी जाते हैं, इसीलिए उन्हें किशोर न्याय सुरक्षा और देखभाल अधिनियम 2000 के तहत सजा दी जाती है. केवल आयु ही बाल अपराध को निर्धारित नहीं करती वरन् इसमें अपराध की गंभीरता भी महत्वपूर्ण पक्ष है. 7 से 16 वर्ष का लड़का तथा 7 से 18 वर्ष की लड़की द्वारा कोई भी ऐसा अपराध न किया गया हो जिसके लिए राज्य मृत्यु दण्ड अथवा आजीवन कारावास देता है जैसे हत्या, देशद्रोह, घातक आक्रमण आदि तो वह बाल अपराधी मानी जायेगा.
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जब किसी बच्चे द्वारा कोई कानून-विरोधी या समाज विरोधी कार्य किया जाता है तो उसे किशोर अपराध या बाल अपराध कहते हैं। कानूनी दृष्टिकोण से बाल अपराध 8 वर्ष से अधिक तथा 16 वर्ष से कम आयु के बालक द्वारा किया गया कानूनी विरोधी कार्य है जिसे कानूनी कार्यवाही के लिये बाल न्यायालय के समक्ष उपस्थित किया जाता है.
भारत में कानून क्या मानता है
भारत में बाल न्याय अधिनियम 1986 (संशोधित 2000) के अनुसर 16 वर्ष तक की आयु के लड़कों एवं 18 वर्ष तक की आयु की लड़कियों के अपराध करने पर बाल अपराधी की श्रेणी में सम्मिलित किया गया है। बाल अपराध की अधिकतम आयु सीमा अलग-अलग राज्यों मे अलग-अलग है। इस आधार पर किसी भी राज्य द्वारा निर्धारित आयु सीमा के अन्तर्गत बालक द्वारा किया गया कानूनी विरोधी कार्य बाल अपराध है।
बीबीसी हिंदी में छपी खबर के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र की बाल अधिकारों पर बनी कनवेंशन ये कहती है कि 18 साल की उम्र से कम के किशोरों को नाबालिग ही माना जाए. भारत ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं. कनवेंशन ये भी कहती है कि ऐसे बाल-अपराधियों को वयस्कों से अलग समझा जाए और समाज में उनके पुनर्वास के लिए सरकारें हर कदम उठाएं ताकि इन किशोरों पर किसी तरह का कोई कलंक ना लगे. इसकी प्रेरणा ब्रिटेन और अमरीका में लागू ऐसी ही ‘सेक्स ओफ़ेन्डर रेजिस्ट्री’ से ली गई है. ब्रिटेन में इस ‘रेजिस्टर’ के तहत यौन अपराध करने वाले वयस्क और नाबालिग, सभी के नाम, पते, जन्म तिथि और नैशनल इंश्योरेंस नंबर पुलिस को दिए जाते हैं. अगर ये लोग कहीं जाएं या अपना पता बदलें तो इन्हें खुद पुलिस को ये जानकारी देनी होती है वर्ना उन्हें फिर जेल हो सकती है. हालांकि ये नाम सार्वजनिक नहीं किए जाते हैं.अमरीका में भी ‘सेक्स ओफ़ेन्डर रेजिस्ट्री’ बनाई गई है. 18 राज्यों के अलावा बाकि राज्यों में नाबालिग अपराधियों के नाम इसमें नहीं रखे जाते. पर ये ‘रेजिस्ट्री’ सार्वजनिक है यानि इसमें नया नाम आते ही, उस व्यक्ति के घर के आसपास रहनेवालों को चिट्ठी भेजकर उस रिहा हुए अपराधी की सूचना दी जाती है. ब्रिटेन और अमरीका में क़ानून के सामने बालिग माने जाने की उम्र सीमाएं अलग हैं और इनको दिए जाने वाली सज़ा भी अलग-अलग है.
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प्रमुख केस
भारत में किशोर अपराध के कई मामले मीडिया में चर्चार् में आए हैं. उनमें में से कुछ अहम केस ऐसे भी है जो नजीर बन गए हैं. इसमें हम निर्भया केस, शक्ति मिल गैंगरेप केस आदि को शामिल कर सकते हैं.
निर्भया केस
16 दिसंबर, 2012: अपने मित्र के साथ जा रही ए 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा के साथ एक निजी बस में छह लोगों ने बर्बरतापूर्वक सामूहिक दुष्कर्म करने और क्रूरतापूर्ण हमला करने बाद उसे जख्मी हालत में उसके दोस्त के साथ चलती बस से बाहर फेंक दिया गया। पीड़ितों को सफदरगंज अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बाद आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए देशभर में भारी विरोध प्रदर्शन शुरु हो गए। पुलिस ने चारों आरोपियों- बस चालक राम सिंह, उसके भाई मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता की पहचान की और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 29 दिसंब को पीड़िता ने गंभीर चोटों और शारीरिक समस्याओं से जुझते हुए सुबह 2 बजकर 15 मिनट पर दम तोड़ दिया। पुलिस ने पांच वयस्क आरोपियों के खिलाफ हत्या, सामूहिक बलात्कार, हत्या का प्रयास, अपहरण, अप्राकृतिक यौनाचार और डकैती की धाराओं में आरोप पत्र दायर किए। त्वरित अदालत ने पांचों वयस्क आरोपियों के खिलाफ सुनवाई शुरू की। सुनवाई के दौरान किशोर न्याय बोर्ड ने कहा कि आरोपी का नाबालिग होना सबित हो चुका है। किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी के खिलाफ आरोप तय किए। पांच जुलाई: किशोर न्याय बोर्ड में नाबालिग आरोपी के खिलाफ सुनवाई पूरी हुई। किशोर न्याय बोर्ड ने 11 जुलाई के लिए फैसला सुरक्षित कर लिया। 11 जुलाई: किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को सामूहिक बलात्कार की घटना से एक रात पहले 16 दिसंबर को एक बढ़ई की दुकान में घुसकर लूटपाट करने का भी दोषी पाया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने तीन अन्तरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियों को मामले की सुनवाई को कवर करने की अनुमति दी।31 अगस्त को किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को सामूहिक बलात्कार और हत्या का दोषी ठहराते हुए सुधार गृह में तीन साल गुजारने की सजा दी। 13 सितंबर कोअदालत ने चारों अपराधियों को मौत की सजा सुनाई।
पांच मई को सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखी। सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया कांड को ‘‘सदमे की सुनामी’’ और ‘‘दुर्लभ से दुर्लभतम’’ अपराध करार दिया चार मई 2018: उच्चतम न्यायालय ने दो अभियुक्तों विनय शर्मा और पवन गुप्ता की पुनर्विचार याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित कर लिया। 18 दिसंबर 2019 को उच्चतम न्यायालय ने अक्षय की पुनर्विचार याचिका खारिज कीं।दिल्ली की एक अदालत ने तिहाड़ प्रशासन को निर्देश दिया कि वे दोषियों को शेष कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करने के लिए नोटिस जारी करें। 19 दिसंबर 2019 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने पवन कुमार गुप्ता की अर्जी खारिज की जिसमें उसने अपराध के समय खुद के किशोर उम्र होने का दावा किया था। 7 जनवरी 2020 को दिल्ली की अदालत ने चारों दोषियों को 22 जनवरी को सुबह सात बजे तिहाड़ जेल में फांसी दिये जाने का आदेश जारी किया।
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कानपुर : किशोर ने 10 साल के मासूम का गला रेतकर की हत्या, जंगल में फेंकी लाश
कानपुर में एक पारिवारिक विवाद के चलते दिसम्बर, 2015 में एक 17 साल के किशोर ने कथित रूप से अपने पड़ोसी के दस साल के बच्चे का अपहरण किया और बाद में चाकू से गर्दन काटकर उसकी हत्या कर दी। पुलिस ने हत्या के आरोपी किशोर को गिरफ्तार कर लिया है, वहीं गुस्साए लोगों ने आरोपी किशोर के घर में तोड़फोड़ कर आग लगा दी। पुलिस के अनुसार सब्जी बेचने वाले शमीम खान का बेटा अर्श 10 साल का था और तीसरी कक्षा में पढ़ता था। बीती रात बाज़ार घुमाने के बहाने करके मोहल्ले में रहने वाला सरफराज़ (17), अर्श को अपने साथ ले गया। बाद में वह अर्श को लेकर अर्मापुर जंगल गया जहां कथित तौर पर उसकी गर्दन काट कर बच्चे का शव झाड़ियों में छिपा दिया। बाद में सरफारज़ घर लौट आया और उसने घर वालों को बताया कि मोटरसाइकिल सवार दो युवक अर्श को अपने साथ लेकर चले गये।
दिल दहला देने वाला था मुंबई का शक्ति मिल गैंगरेप केस
मीडिया में छपी ख्मुबरों के अनुसार मुंबई की शक्ति मिल. जहां एक महीने के अंदर दो लड़कियां गैंगरेप की शिकार हुईं. 31 जुलाई 2013 को टेलीफोन ऑपरेटर का गैंगरेप हुआ. 22 अगस्त को फोटो जर्नलिस्ट का. दोनों रेप केस में मुंबई के सेशन कोर्ट ने तीन को फांसी, एक को उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी. इन दोनों केसों में दो नाबालिग भी शामिल थे. जिन्हें तीन साल के लिए जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने जुलाई 2014 में नासिक बोर्स्टल स्कूल भेज दिया था. मुंबई का महालक्ष्मी इलाका. जहां शक्ति मिल सुनसान पड़ी थी. सालों से बंद पड़ी इस मिल में कोई आता जाता नहीं था. शायद इसलिए नशेड़ियों और बदमाशों की पनाहगाह बन गई थी
सेशन कोर्ट से तीन को मिली फांसी
ख्दबरों के अनुसार इस गैंगरेप केस में अप्रैल 2014 में मुंबई की सेशन कोर्ट ने फैसला सुनाया. विजय जाधव (19 साल), मोहम्मद क़ासिम शेख (21 साल) और मोहम्मद अंसारी (28 साल) दोनों मामलों में दोषी क़रार दिए गए थे. इन तीनों को दोबारा रेप का दोषी होने के कारण फांसी की सज़ा दी गई. इस मामले के चौथे दोषी सिराज रहमान खान को टेलीफ़ोन ऑपरेटर के मामले में शामिल न होने की वजह से उम्रक़ैद की सज़ा दी गई. कोर्ट ने जिन्हें फांसी सुनाई उनको ‘आदतन अपराधी’ माना था. जिन लोगों को सजा सुनाई गई है, उनकी अपील मुंबई हाईकोर्ट में पेंडिंग है. जिस पर सुनवाई होनी है. दोषी दो नाबालिगों को जुवेनाइल कोर्ट ने 3 साल के लिए नासिक के बाल सुधार गृह भेज दिया था.
दिल्ली : कड़कड़डूमा कोर्ट में गोलीबारी केस में पकड़े गए चारों आरोपी नाबालिग पाए गए
दिल्ली : कड़कड़डूमा कोर्ट में दिसम्बर, 2015 गोलीबारी केस में पकड़े गए चारों आरोपी नाबालिग पाए गए थे गोलीबारी की पूरी साजिश कथित रूप से गैंगस्टर नसीर के निर्देश पर रची गई थी राष्ट्रीय राजधानी में अदालत में कथित रूप से गोली मारकर एक कांस्टेबल की जान लेने और एक विचाराधीन कैदी को घायल करने वाले सभी चारों आरोपी विचाराधीन कैदी की हत्या के लिए 'भाड़े पर लिए गए' किशोर पाए गए। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए आरोपियों के दस्तावेजों की जांच की और 24 घंटे के भीतर उनकी उम्र का पता लगा लिया। पूर्वी दिल्ली के कड़कड़डूमा अदालत में कल हुई घटना के बाद हिरासत में लिए गए आरोपियों ने अपने नाबालिग होने का दावा किया था।
मुंबई हमलाः कसाब ने खुद को नाबालिग बताया था
26 नवम्बर,2008 की रात को मुम्बई के कई महत्वपूर्ण स्थानों पर हुए 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने हमले किये थे. हमले में 166 लोग मारे गये थे और 600 से अधिक घायल हुए थे.ये हमले तीन दिन तक चले थे. नौ आतंकवादी मारे गये थे जबकि मुम्बई पुलिस ने कसाब को जिंदा पकड़ लिया था. 3 दिसंबर 2010 को कसाब ने खुद को किशोर होने की दलील देते हुए अदालत से अपने मानसिक हालत के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों के एक पैनल की नियुक्ति करने का आग्रह किया.दिसंबर 2010 में अदलात ने कसाब की मांग को खारिज कर दिया.
बुरहान वानी
जम्मू कश्मीर में बुरहान दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के कोकेरनाग में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में आठ जुलाई 2016 को मारा गया था. बुरहान की मौत के बाद घाटी भर में व्यापक प्रदर्शन हुए थे. इसके बाद सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच संघर्ष में चार माह से अधिक समय में 85 लोग मारे गए थे.
HIGHLIGHTS
- अपराध के आंकड़े बताते हैं कि भारत के कुल रिकॉर्डिड अपराधों में से लगभग एक प्रतिशत नाबालिग अभियुक्त हैं.
- अमरीका में भी ‘सेक्स ओफ़ेन्डर रेजिस्ट्री’ बनाई गई है.
Source : News Nation Bureau