पश्चिम बंगाल में भाजपा के जय श्रीराम के नारों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) को एक बार फिर उलझा दिया है. जय श्रीराम के नारों पर ममता बनर्जी के भड़क उठने को भाजपा ने अल्पसंख्यक तुष्टीकरण से जोड़ा है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती समारोह में जयश्री राम के नारों के लगने से नाराज हुईं ममता के भाषण देने से इंकार को भाजपा ने बड़ा मुद्दा बनाया है. भाजपा (BJP) का कहना है कि राज्य के मुस्लिमों को खुश करने के लिए जयश्री राम के नारों को ममता बनर्जी अपमान मानती हैं.
ममता ने जय श्रीराम को माना अपमान
दरअसल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर शनिवार को विक्टोरिया मेमोरियल में आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री मोदी के साथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मौजूद थीं. जब ममता बनर्जी के बोलने की बारी आई, तो भीड़ ने जय श्रीराम के नारे लगाने शुरू कर दिए. इस पर ममता बनर्जी भड़क उठीं. उन्हें लगा कि यह नारे उन्हें चिढ़ाने के लिए लगे हैं. मुख्यमंत्री ममता ने सरकारी कार्यक्रम को राजनीतिक रूप देने का आरोप लगाते हुए कहा कि किसी को आमंत्रित कर अपमान करना ठीक नहीं है. उन्होंने कार्यक्रम की गरिमा का भी हवाला दिया. इसके बाद ममता बनर्जी ने नेताजी जयंती समारोह में बोलने से इंकार कर दिया.
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पहले भी इसी नारे पर भड़कती रहीं दीदी
पश्चिम बंगाल में यह पहला मौका नहीं है, जब जय श्रीराम के नारों पर सियासी घमासान मचा है. इससे पूर्व भी जयश्री राम के नारों पर गुस्से के कारण ममता बनर्जी सुर्खियों में रह चुकीं हैं. मई, 2019 में उत्तरी 24 परगना जिले के भाटपारा से काफिले के गुजरने के दौरान कुछ लोगों के नारा लगाने पर भी ममता बनर्जी भड़क उठीं थीं. तब उन्होंने गाली देने का आरोप लगाते हुए आठ लोगों को गिरफ्तार करा दिया था. यह घटना तब काफी सुर्खियों में रही थी और भाजपा ने बड़ा मुद्दा बनाया था.
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भाजपा ने तुष्टीकरण करार दिया
राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि का मानना है कि भाजपा जय श्रीराम के नारों के जरिए हिंदुत्व के एजेंडे को बंगाल में धार दे रही है, मगर ममता की नाराजगी से भाजपा के एजेंडे को और धार मिल रही है. ममता नारों को नजरअंदाज भी कर सकतीं हैं, लेकिन गुस्सा जताकर वह भाजपा का काम और आसान कर रहीं. भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और पश्चिम बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, जय श्रीराम के नारे से स्वागत को ममता बनर्जी अपमान मानती हैं. ममता ने बहुत ही पवित्र मंच पर 'जय श्रीराम' के नारे पर राजनैतिक एजेंडा सेट किया. अल्पसंख्यकों को खुश करने की तुष्टिकरण की नीति है.