पश्चिम बंगाल में आसन्न विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ढके-छिपे शब्दों में सांप्रदायिक कार्ड खेला जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी जहां बंगाली अस्मिता के नाम पर सधे हाथों से पत्ते फेंट रही है. वहीं एआईएमआईएम के सर्वेसर्वा असदुद्दीन ओवैसी इसको लेकर कोई परदा नहीं कर रहे हैं. यूं तो उन्होंने पहले ही बंगाल चुनाव में भागीदारी की बात कह कर तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पेशानी पर बल ला दिए हैं. उस पर रविवार को जंगीपाड़ा के फुरफुरा शरीफ के मौलाना पीरजादा अब्बास सिद्दीकी से मुलाकात कर दो टूक संदेश दे दिया है कि वह इस चुनाव में मुस्लिम कार्ड खुलकर खेलेंगे. यह वही मौलाना अब्बास सिद्दीकी हैं, जो ममता बनर्जी की नाक में दम किए हुए हैं. और तो और, मुस्लिम समुदाय को अपने खाते में बनाए रखने के लिए सीएए कानून पर बेहद भड़काऊ बयान जारी कर चुके हैं. यही नहीं, कोरोना संक्रमण के दौरान इन्हीं मौलवी साहब ने 50 करोड़ हिंदुओं के मारे जाने की कामना की थी.
Isl@mic Preacher Abbas Siddiqui from Bengal says India should get more Corona virus cases & at least 50 crore people die@HMOIndia people like him should be arrested immediately for giving a hatred speeches like this ,If we don’t act this becomes habit for them pic.twitter.com/v3FBv7NHFb
— Ashwin (@Ashwinkiing) April 1, 2020
बंगाल की राजनीति में गेमचेंजर हो सकते हैं ओवैसी-सिद्दीकी
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को राज्य की सत्ता तक पहुंचाने वाले सिंगूर और नंदीग्राम आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाली फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने अब एक बड़ा सियासी संकेत दिए हैं. मई महीने में पश्चिम बंगाल के चुनाव से पहले अब्बास सिद्दीकी रविवार को एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी से मिले. इस मुलाकात को पश्चिम बंगाल की सियासत में एक बड़ी घटना माना जा रहा है. बंगाल के हुगली जिले में फुरफुरा शरीफ विख्यात दरगाह है. दक्षिण बंगाल में इस दरगाह का विशेष दखल है. लेफ्ट फ्रंट सरकार के दौरान इसी दरगाह की मदद से ममता ने सिंगूर और नंदीग्राम जैसे दो बड़े आंदोलन किए थे. इन्हीं की बदौलत ममता की पहुंच सीएम की कुर्सी तक हो सकी थी.
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अब्बास सिद्दीकी का इतिहास
अब्बास सिद्दीकी हुगली जिले के जंगीपारा में मौजूद फुरफुरा शरीफ के मौलाना हैं. उनकी मुस्लिम समाज के लोगों में काफी अच्छी पकड़ है. सिद्दीकी खुद को ओवैसी का बहुत बड़ा प्रशंसक भी बताते हैं और कहते हैं कि उन्होंने इसीलिए चुनाव में हिस्सा लेने का फैसला लिया है क्योंकि कुछ लोग धर्म के आधार पर समाज को बांटने में लगे हुए हैं. अब्बास फुरफुरा शरीफ के प्रमुख धर्मगुरु तोहा सिद्दीकी के भतीजे हैं. तृणमूल कांग्रेस तोहा सिद्दीकी का समर्थन करती है. यही वजह है कि असदुद्दीन ओवैसी ने अपने दौरे पर उनसे मुलाकात नहीं की. ओवैसी को लगता है कि अब्बास हुगली व अन्य जिलों जैसे- मालदा, मुर्शीदाबाद और दिनाजपुर में उनकी पार्टी की काफी मदद कर सकते हैं.
कभी ममता बनर्जी के थे समर्थक
38 वर्षीय अब्बास सिद्दीकी एक समय ममता बनर्जी के मुखर समर्थक थे. हालांकि बीते कुछ महीनों से उन्होंने ममता बनर्जी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. सिद्दीकी ने ममता सरकार पर मुस्लिमों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है. बंगाल की करीब 100 सीटों पर फुरफुरा शरीफ दरगाह का प्रभाव है. ऐसे में चुनाव से पहले दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की नाराजगी मोल लेना ममता के लिए सियासी रूप से फायदे का सौदा नहीं साबित होने वाला है. अब्बास खुलेआम कहते हैं कि ममता दीदी मुस्लिमों को सिर्फ सियासी नफे-नुकसान के लिए ही इस्तेमाल कर रही हैं.
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विवादों से नाता है अब्बास सिद्दीकी का
मुस्लिम धर्मगुरु अब्बास सिद्दीकी ने कोरोना से 50 करोड़ भारतीयों की मौत की ख्वाहिश की थी. अप्रैल 2020 में इस धर्मगुरु का वीडियो वायरल हुआ था. आरोप था कि इस वीडियो में अब्बास सिद्दीकी कोरोना वायरस के चलते 50 करोड़ भारतीयों की मौत की ख्वाहिश कर रहा है. पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी द्वारा दर्ज शिकायत के बाद पुलिस ने सिद्दीकी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था. इस वायरल वीडियो को 25 मार्च का बताया जा रहा था. इस वायरल विडियो में अब्बास सिद्दीकी लोगों के बीच तकरीर दे रहा था. इसमें वह अपने समर्थकों और अनुयायियों को कह रहा था कि कोरोना वायरस से हिंदुस्तान में 10, 20, 50 करोड़ लोग मर जाएं. इस ख्वाहिश को अल्लाह कबूल करें. इसके पहले अब्बास ने सीएए कानून पास होने के बाद कहा था- यदि एक महीने के भीतर संशोधित नागरिकता कानून वापस नहीं लिया गया तो वे बंगाल में हांगकांग जैसा आंदोलन खड़ा कर देंगे. वहां लाखों लोगों ने एयरपोर्ट का घेराव कर रखा था. यहां भी वे 20-25 लाख लोगों को साथ लेकर सडक़ों पर शांतिपूर्ण तरीके से उतरेंगे और एयरपोर्ट का घेराव कर देंगे.
फुरफुरा शरीफ का धार्मिक महत्व
फुरफुरा शरीफ को फुरफुरा भी कहते हैं. यह पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के जंगीपाड़ा ब्लॉक में स्थित है. यहां पर साल 1375 में मुकलिश खान ने एक मस्जिद की तामीर कराई थी, जो अब बंगाली मुस्लिमों की आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है. यहां पर उर्स और पीर मेले के दौरान भारी तादाद में अकीदतमंद पहुंचते हैं. फुरफुरा शरीफ, जिसे फुरफुरा भी कहते हैं पश्चिम बंगाल के हुगली जिला स्थित श्रीरामपुर अनुमंडल के जंगीपाड़ा ब्लॉक का एक गांव है. फुरफुरा शरीफ में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी मुसलमान आते हैं. दक्षिण बंगाल में इस दरगाह का विशेष दखल है. उर्स एवं पीर मेला के दौरान यहां भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. फुरफुरा शरीफ में अबु बकर सिद्दीकी और उनके पांच बेटों की मजार भी है. इसे पांच हुजूर केबला कहते हैं. अबु बकर समाज सुधारक थे. धर्म में उनकी गहरी आस्था थी. उन्होंने कई चैरिटेबल संस्था की स्थापना की. मदरसे बनवाये, अनाथालय एवं स्कूल और अन्य संस्थानों की नींव रखी. महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए फुरफुरा शरीफ में बेटियों के लिए स्कूल की स्थापना की. इसका नाम सिद्दीका हाई स्कूल रखा. अबु बकर को 'ऑर्डर ऑफ फुरफुरा शरीफ' या 'सिलसिला-ए-फुरफुरा शरीफ' का संस्थापक माना जाता है. बंगालियों के फाल्गुन महीने की 21, 22 और 23 तारीख को यहां धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं, अलग-अलग जगहों से भारी संख्या में लोग आते हैं.
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100 सीटों पर असर पड़ेगा इस गठबंधन का
अगर आंकड़ों की बात करें तो पश्चिम बंगाल की सियासत में 31 फीसदी वोटर्स मुस्लिम हैं. पीरजादा अब्बास सिद्दीकी जिस फुरफुरा शरीफ दरगाह से जुड़े हैं, उसे इस मुस्लिम वोट बैंक का एक गेमचेंजर माना जाता है. लंबे वक्त से सिद्दीकी ममता बनर्जी के करीबियों में से एक रहे हैं. हालांकि कुछ वक्त से सिद्दीकी ममता के खिलाफ बयान दे रहे हैं और वह खुले रूप में टीएमसी का विरोध भी कर रहे. ऐसे में ओवैसी से उनका मिलना अहम है. अब्बास सिद्दीकी ने हाल ही में पश्चिम बंगाल के चुनाव में उतरने का ऐलान किया है. ऐसे में सिद्दीकी से उनकी मुलाकात को मुस्लिम वोटर्स को ओवैसी की पार्टी के पक्ष में करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.
टीएमसी के पास फिलहाल 211 विधायक
पश्चिम बंगाल में कुल 294 विधानसभा सीटें हैं और राज्य में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। साल. 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में टीएमसी को 211, लेफ्ट को 33, कांग्रेस को 44 और बीजेपी को मात्र 3 सीटें मिली थीं. हालांकि इसके बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया. टीएमसी ने जहां 43.3 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया, वहीं बीजेपी को 40.3 प्रतिशत वोट मिले. बीजेपी को कुल 2 करोड़ 30 लाख 28 हजार 343 वोट मिले जबकि टीएमसी को 2 करोड़ 47 लाख 56 हजार 985 मत मिले.
Source : News Nation Bureau