राजस्थान के हनुमानगढ़ में सोमवार को वायुसेना का मिग-21 विमान दुर्घटना का शिकार हो गया. इस हादसे में अब तक 4 ग्रामीणों के मारे जाने की खबर है, वहीं ऐसा बताया जा रहा है कि विमान के दोनों पायलट खुद को इजेक्ट करने में सफल रहे. मीडिया से बात करते हुए हनुमानगढ़ के एसपी सुधीर चौधरी ने बताया कि इस विमान ने सूरतगढ़ एयरफोर्स स्टेशन से उड़ान भरी थी और ये बहलोलनगर में दुर्घटनाग्रस्त होकर गिर गया. एसपी ने भी 4 ग्रामीणों के मारे जाने की पुष्टि की है. वहीं भारतीय वायुसेना ने भी इस हादसे पर बयान जारी कर घटना की जानकारी दी है. वायुसेना ने अपने बयान में कहा 'वायुसेना के MiG-21 ने आज सुबह नियमित प्रशिक्षण उड़ान भरी थी. तभी ये दुर्घटनाग्रस्त हो गया. मामूली चोटों के साथ दोनों पायलट खुद को सुरक्षित निकालने में सफल रहे. हादसे के कारणों का पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी गई है.'
हादसे में एयरफोर्स के दो पायलट शहीद हो गए
आपको बता दें कि मिग-21 के दुर्घटनाग्रस्त होने की ये कोई पहली घटना नहीं है, इससे पहले जुलाई 2022 में राजस्थान के बाड़मेर के पास एक ट्रेनिंग उड़ान के दौरान मिग-21 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इस हादसे में एयरफोर्स के दो पायलट शहीद हो गए थे. आपको जानकर हैरानी होगी कि मिग-21 वो फाइटर जेट है, जो भारतीय वायुसेना का कभी इंडियन एयरफोर्स का मुख्य आधार माना जाता था. साल 2019 में ये फाइटर जेट खासा चर्चा में रहा, जब पाकिस्तान पर की गई एयर स्ट्राइक में इसने पाक एयरफोर्स के एफ-16 के मार गिराया था. ये मिग-21 वही विमान था, जिसे भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान उड़ा रहे थे. लेकिन ये भी एक सच्चाई है कि मिग-21 का सिक्योरिटी रिकॉर्ड बहुत ही खराब रहा है.
शायद यही वजह है कि इस विमान को विडो-मेकर या फ्लाइंग कॉफिन जैसे निकनेम दिए गए? क्योंकि जब से ये विमान भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल हुआ है इससे 200 से ज्यादा पायलट अपनी जान गंवा चुके हैं. ऐसे में ये बड़ा सवाल है कि पिछले 60 सालों में 200 से ज्यादा पायलटों को बिना जंग के ही शहीद करने वाला ये फाइटर जेट अभी तक क्यों सेना में बना हुआ है? चलिए आपको बताते हैं कैसा है इस फाइटर जेट का इतिहास?
भारत का सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाला लड़ाकू विमान
दरअसल मिग-21 भारत का सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाला लड़ाकू विमान है. साल 1960 के दशक में भारतीय वायुसेना में शामिल होने वाला मिग-21 एक लंबे अरसे से आसमान में बना हुआ है. साल 1964 में मिग-12 फाइटर जेट को पहले सुपरसोनिक फाइटर जेट के रूप में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था. शुरुआत में ये विमान रूस में बने थे और फिर भारत ने इस विमान को असेम्बल करने का राइट और टेक्नोलॉजी भी हासिल कर ली थी. जिसके बाद हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी HAL ने 1967 में मिले लाइसेंस के तहत मिग-21 लड़ाकू विमान का प्रोडक्शन शुरू कर दिया था. मिग-21 बाइसन लड़ाकू विमान कई घातक एयरक्राफ्ट शॉर्ट रेंज और मीडियम रेंज एयरक्राफ्ट मिसाइलों से हमला करने में सक्षम है. इस फाइटर जेट की स्पीड 2229 kmph है, जो उस समय सबसे तेज उड़ान भरने वाला फाइटर जेट था. इसकी रेंज 644 Km के आसपास थी, हालांकि भारत का बाइसन अप-ग्रेडेड वर्जन लगभग 1000 km तक उड़ान भर सकता है. इसमें टर्बोजेट इंजन लगा हुआ है, जो इस विमान को सुपरसोनिक की स्पीड देता है.
रिटारटमेंट की अवधि पूरी कर ली थी
रूस ने तो 1985 में इस विमान का निर्माण बंद कर दिया, लेकिन भारत इसके 874 अपग्रेडेड वैरिएंट का इस्तेमाल करता रहा है. इनमें से 60 प्रतिशत से ज्यादा HAL द्वारा भारत में बनाए गए हैं. हालांकि, मेड-इन-इंडिया मिग -21 के आधे दुर्घटनाग्रस्त हो गए, जिसमें 200 से अधिक पायलट मारे गए. जानकारों की मानें, तो मिग-21 इंडियन एयफोर्स की इन्वेंट्री का बड़ा हिस्सा है और ये बताता है कि इतने सालों में उनमें से कई विमान क्यों दुर्घटनाग्रस्त हो गए? जानकारों का कहना है कि इसकी ज्यादा संख्या, ज्यादा इस्तेमाल और ज्यादा लंबे समय तक इसका सर्विस में होना, दुर्घटनाओं की एक बड़ी वजह है. जानकार इसकी एक वजह नए फाइटर विमानों को IAF शामिल करने में देरी को भी मानते हैं.
यही वजह है कि मिग-21 को लंबे समय तक सर्विस में रखना पड़ रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मिग-21 ने 1990 के दशक के बीच में ही अपनी रिटारटमेंट की अवधि पूरी कर ली थी. लेकिन स्वदेशी तेजस प्रोगाम में देरी, राफेल फाइटर जेट डील को लेकर राजनीतिक विवाद और धीमी गति वाली खरीद प्रक्रिया की वजह से ही शायद मिग-21 को सामान्य से ज्यादा लंबे समय तक सर्विस में रखा गया.
धीरे-धीरे मिग-21 अपने बेड़े से हटा रही है
लेकिन अब भारतीय वायुसेना धीरे-धीरे मिग-21 अपने बेड़े से हटा रही है, साल 2022 के 30 सितंबर IAF ने मिग-21 की एक पूरी एक स्क्वाड्रन को हटा दिया था. बता दें कि एक स्क्वाड्रन में 16 से 18 विमान होते हैं. ऐसी खबर है कि इसकी बाकी बची 3 स्क्वाड्रन भी एक-एक कर 2025 तक भारतीय वायुसेना से बाहर कर दी जाएगी. अब तक, इंडियन एयरफोर्स के पास खतरों से निपटने के लिए सरकार द्वारा अनिवार्य 42 के मुकाबले 32 स्क्वाड्रन हैं. 2024-25 तक ये संख्या घटकर 28 स्क्वाड्रन हो सकती है, जब सभी मिग-21 को चरणबद्ध तरीके से हटा दिया जाएगा.
रिपोर्ट- (नवीन कुमार)
Source : News Nation Bureau