मोदी सरकार 2.0 ने मंत्रिमंडल विस्तार की पूरी तैयारी कर ली है. इसमें अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) के मद्देनजर राजनीतिक समीकरण के लिहाज से जातीय और क्षेत्रीय संतुलन तो होगा ही, साथ ही युवा, अनुभवी, शिक्षित और ब्यूरोक्रेट-टेक्नोक्रेट भी शामिल होंगे. 2024 लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections) के सेमीफाइनल माने जा रहे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ओबीसी प्रतिनिधित्व बढ़ेगा. इस मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर दिल्ली में राजनीतिक हलचल तेज हो चुकी है. बुधवार दोपहर 11 बजे मंत्रिमंडल की बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की मौजूदगी में नए मंत्रियों के नामों और मंत्रालयों पर अंतिम मुहर लगा दी जाएगी. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो मंत्रिमंडल विस्तार वास्तव में सियासी संदेशों और तय फॉर्मूले पर ही केंद्रित है.
ब्यूरोक्रेट-टेक्नोक्रेट को भी मौका
इस मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर दिल्ली में नेताओं का जमावड़ा लग चुका है. ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर नारायण राणे जैसे दिग्गज दिल्ली पहुंच चुके हैं. मंत्रिमंडल विस्तार में दलित और पिछड़ी जातियों के प्रतिनिधित्व से बड़ा संदेश दिया जाएगा. बताया जा रहा है कि विस्तार के बाद कम से कम 25 मंत्री ओबीसी कोटे के होंगे. जानकारी के मुताबिक नए मंत्रियों की लिस्ट में कई टेक्नोक्रेट भी दिख सकते हैं, क्योंकि इस बात पर भी बहुत ध्यान दिया गया है कि नए मंत्रियों में उच्च शिक्षित लोग और अपने-अपने क्षेत्रों के विशेषज्ञ हों. वहीं युवा चेहरों को आगे लाया जाएगा. उन लोगों को मौका मिलेगा, जिन्हें राज्यों में काम करने का प्रशासनिक अनुभव है.
यह भी पढ़ेंः मंत्रिमंडल विस्तार से पहले होगी कैबिनेट की बैठक, ये बन सकते हैं मंत्री
यूपी के साथ चार राज्यों पर फोकस
इसके अलावा उत्तर प्रदेश जैसे चुनावी राज्यों पर निश्चित तौर पर फोकस होगा. ये ध्यान रखा जाएगा कि सभी प्रमुख समुदायों और सभी इलाकों का मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व हो. अभी यूपी से पीएम मोदी को मिलाकर कुल 10 मंत्री हैं. यूपी चुनाव में तकरीबन 7 महीने रह गए हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार से चुनावी समीकरण सही करने का यह एक बड़ा चांस है. यूपी के साथ साथ बंगाल, महाराष्ट्र और गुजरात, मंत्रिमंडल विस्तार में ये चार राज्य फोकस में हैं. इनमें यूपी और गुजरात में अगले साल चुनाव हैं. ऐसे में महाराष्ट्र में जहां खुद को मजबूत करना है, तो दूसरी ओर पश्चिम बंगाल में दीदी के लिए चैलेंज बनाए रखना है.
इनकी चर्चा है जोरों पर
असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, कांग्रेस से भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया का आना तय है. कर्नाटक में भी 2023 में चुनाव हैं. वहां से किसी सांसद को मंत्री बनाया जा सकता है. बंगाल का नाम पर यहां से बीजेपी सांसद शांतनु ठाकुर के नाम की चर्चा है. शांतनु का मतुआ समुदाय में खासा प्रभाव है. वहीं इसी लिस्ट में दूसरा नाम निशीथ प्रमाणिक का है, जो राजवंशी समुदाय से हैं और 2019 से पहले टीएमसी से बीजेपी में आए थे. महाराष्ट्र में नारायण राणे का नाम चर्चा में है, जो कभी शिवसेना में थे लेकिन अब शिवसेना के कट्टर विरोधी हैं. महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दा गरम है, तो मराठा नेता के तौर पर उन्हें टीम मोदी में जगह मिल सकती है. उत्तर प्रदेश में अगले साले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ओबीसी के अलावा ब्राह्मण चेहरे पर भी ध्यान है. ब्राह्मण चेहरे के तौर पर कानपुर से सांसद सत्यदेव पचौरी का नाम सबसे आगे हैं, तो प्रयागराज से सांसद रीता बहुगुणा जोशी, बस्ती से सांसद हरीश द्विवेदी, खीरी से सांसद अजय मिश्रा के नामों की भी चर्चा है.
यह भी पढ़ेंः मोदी सरकार ने एक नया मंत्रालय बनाया- मिनिस्ट्री ऑफ को-ऑपरेशन
दलित चेहरों पर भी जोर
दलित चेहरे को तौर पर इटावा से सांसद राम शंकर कठेरिया, कौशांबी से सांसद विनोद सोनकर और मोहनलालगंज से सांसद कौशल किशोर के नामों की चर्चा है. साथ ही पाल समुदाय से आगरा के सांसद एसपी सिंह बघेल और वैश्य समुदाय से मेरठ के सांसद राजेंद्र अग्रवाल के नाम भी बहुत चर्चा है. छोटे दलों में निषाद पार्टी के संजय निषाद या फिर संत कबीर नगर से उनके बेटे और बीजेपी सांसद प्रवीण निषाद को भी जगह मिल सकती है. अपना दल से अनुप्रिया पटेल या फिर उनके पति आशीष पटेल को मौका मिल सकता है. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओम प्रकाश राजभर की काट बतौर बीजेपी राज्यसभा सांसद सकलदीप राजभर को भी चांस दे सकती है, वह भी मंगलवार को दिल्ली पहुंचे हैं. माना जा रहा है कि ओबीसी समुदाय और दलित समुदाय से इस बार ज़्यादा से ज़्यादा मंत्री बनाए जाएंगे और जिन्हें टीम मोदी में जगह नहीं मिल पाएगी, उन्हें आगे टीम योगी में जगह दी जाएगी.
HIGHLIGHTS
- मंत्रिमंडल विस्तार सियासी संदेशों और तय फॉर्मूले पर केंद्रित
- विधानसभा चुनाव वाले उत्तर प्रदेश समेत चार राज्यों पर फोकस
- उच्च शिक्षित, अपने-अपने क्षेत्रों के विशेषज्ञ और युवाओं पर ध्यान