भारत में इस्लाम अरब व्यापारियों के ज़रिये केरल (Kerala) के मालाबार तट के रास्ते आया था. मालाबार क्षेत्र की चेरामन जुमा मस्जिद, भारत में इस्लाम के प्रवेश का प्रतीक है. उस वक्त जो लोग जाति और वर्ण व्यवस्था से पीड़ित थे उन्होंने इस्लाम अंगीकार कर लिया. इस तरह अगर इतिहास के आईने में देखें तो आज ही के दिन यानी 20 अगस्त 1921 को मालाबार इलाके में मोपला विद्रोह की शुरुआत हुई थी. मालाबार के मुसलमानों (Muslims) का यह विद्रोह शुरू में खिलाफत आंदोलन (Khilafat Movement) के समर्थन और अंग्रेजों के खिलाफ था, लेकिन जल्द ही यह सांप्रदायिक हिंसा में तब्दील हो गया. मोपला मुलसमानों के निशाने पर बड़े पैमाने पर हिंदू आए. सांप्रदायिक हिंसा (Communal Violence) में हजारों हिंदुओं की हत्या कर दी गई. हजारों का धर्म परिवर्तन कर मुसलमान बना दिया गया. हिंदू महिलाओं के साथ बलात्कार किए गए. संभवतः इन्हीं बातों के आलोक में मोपला विद्रोह को हिंदुओं के खिलाफ मुसलमानों का पहला जिहाद कहा जाता है.
आज हिंदुओं के खिलाफ जिहाद के 100वीं बरसी
संभवतः इसी कारण 20 अगस्त 1921 का दिन केरल के इतिहास में काले दिन के तौर पर दर्ज है. केरल में मोपला विद्रोह की चर्चा आज तक होती है. खासकर दक्षिणपंथी विचारधारा के लोग इस विद्रोह को लेकर केरल के वामपंथियों को अपने निशाने पर लेते रहे हैं. पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भी मोपला विद्रोह को याद करके वामपंथियों पर हमले हुए थे. केरल के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने मोपला विद्रोह को केरल में हिंदुओं के खिलाफ मुसलमानों का पहला जिहाद बताया था. उनके बयान ने खासी सुर्खियां बटोरी थीं. आर्य समाज (आधुनिक भारत पर सुमित सरकार की पुस्तक में उद्दृत) के अनुसार इस विद्रोह के दौरान 2,500 हिंदुओं को मुसलमान बनाया गया और 600 को मौत के घाट उतार दिया गया. इसी काले दिन की आज 100वीं बरसी है. हिंदुओं के नरसंहार के लिए जिम्मेदार वरियमकुन्नथु कुंजाहम्मद हाजी की जिंदगी पर आधारित फिल्म बनने वाली है. इस फिल्म को बनाने वाले का नाम आशिक अबु है. हाजी का किरदार निभाने वाले एक्टर पृथ्वीराज सुकुमारन हैं और फिल्म का टाइटल वरियमकुन्नन रखा गया है.
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खिलाफत आंदोलन के साथ भड़का मोपला विद्रोह
अब जरा मोपला विद्रोह की कड़वी यादें ताजा करते हैं. वास्तव में केरल के मालाबार इलाके में हुआ मोपला विद्रोह खिलाफत आंदोलन के साथ भड़का था. दरअसल प्रथम विश्वयुद्ध में तुर्की की हार हुई थी. इसके बाद अंग्रेजों ने वहां के खलीफा को गद्दी से हटा दिया था. अंग्रेजों की इस कार्रवाई से दुनियाभर के मुसलमान नाराज हो गए. तुर्की के सुल्तान की गद्दी वापस दिलाने के लिए ही खिलाफत आंदोलन की शुरुआत हुई. भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल मुस्लिम नेताओं अबुल कलाम आजाद, जफर अली खां और मोहम्मद अली जैसे नेताओं ने खिलाफत आंदोलन का समर्थन किया. इस आंदोलन को बापू का भी समर्थन प्राप्त था. महात्मा गांधी इस आंदोलन के जरिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में हिंदू और मुसलमानों को एकसाथ लाने की कोशिश कर रहे थे.
कट्टर मौलवियों के प्रभाव में थे मोपला मलयाली मुसलमान
इसी दौर में बापू ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन का बिगुल फूंका था. कुछ दक्षिणपंथी इतिहासकारों के मुताबिक खिलाफत आंदोलन के समर्थन में हिंदुओं को एकजुट करने के लिए ही असहयोग आंदोलन चलाया गया था. हालांकि महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन और खिलाफत आंदोलन को एक करने के पीछे हिंदु-मुसलमानों को एकजुट करना था. केरल के खिलाफत आंदोलन में मालाबार इलाके के मोपला मुसलमान शामिल थे. मोपला केरल के मालाबार इलाके में रहने वाले मलयाली मुस्लिम थे. इस समुदाय के ज्यादातर लोग छोटे किसान और व्यापारी थे. उनपर इस्लाम के कट्टर मौलवियों का प्रभाव था, जबकि मालाबार इलाके की जमीनों और बड़े व्यापारों पर उच्च वर्ग के हिंदुओं का कब्जा था. मोपला मुसलमान इनके यहां बटाईदार या काश्तकार के तौर पर काम किया करते थे.
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खिलाफत आंदोलन की आड़ में हिंदुओं का दमन
खिलाफत आंदोलन की शुरुआत में आंदोलन अंग्रेजों के खिलाफ था. अंग्रेजों ने इस आंदोलन को कुचलने के लिए हर हथकंडा अपनाया. इस आंदोलन के बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद मालाबार इलाके में आंदोलन का नेतृत्व मोपला मुसलमानों के हाथों में चला गया. मोपलाओं के हाथ में जाने के बाद आंदोलन बिगड़ गया. मोपलाओं ने ऊंची जाति के जमींदार हिंदुओं को निशाना बनाना शुरू कर दिया. ये जमींदारों के खिलाफ बटाईदारों का विद्रोह बन गया. मोपला मुसलमान कम मजदूरी, काम करने के तौर तरीकों और दूसरे भेदभावों की वजह से हिंदू जाति के जमींदारों से नाराज थे. केरल में जमींदारों के खिलाफ इस तरह के विद्रोह पहले भी होते रहे थे. 1836 और 1854 में भी इस तरह के विद्रोह हुए थे. 1841 और 1849 का विद्रोह काफी बड़ा था, लेकिन 1921 में हुआ मोपलाओं के विद्रोह ने काफी हिंसक शक्ल अख्तियार कर लिया.
मोपला विद्रोह में हजारों लोग मारे गए
मोपलाओं ने कई पुलिस स्टेशनों में आग लगा दी. सरकारी खजाने लूट लिए गए. अंग्रेजों को अपने निशाने पर लेने के बाद इन लोगों ने इलाके के अमीर हिंदुओं पर हमले शुरू कर दिए. इस भयावह मारकाट में हजारों मोपला भी मारे गए. कहा जाता है कि मोपला विद्रोह के दौरान हजारों हिंदू मारे गए, उनकी महिलाओं के साथ बलात्कार हुए, हजारों हिंदुओं को धर्म परिवर्तन करना पड़ा. बाद में आर्य समाज की तरफ से उनका शुद्धिकरण आंदोलन चला. जिन हिंदुओं को मुस्लिम बना दिया गया था, उन्हें वापस हिंदू बनाया गया. इसी आंदोलन के दौरान आर्य समाज के नेता स्वामी श्रद्धानंद को उनके आश्रम में ही 23 दिसंबर 1926 को गोली मार दी गई. मोपलाओं का विद्रोह भटक गया था. इसने सांप्रदायिक रंग ले लिया और इसी वजह से ये फेल रहा. मोपलाओं के विद्रोह को लेकर आज भी मुस्लिम समुदाय पर तीखे हमले होते हैं.
HIGHLIGHTS
- 20 फरवरी 1921 के मोपला विद्रोह था हिंदुओं के खिलाफ पहला जिहाद
- हजारों हिंदुओं का कत्ल किया गया. महिलाओं से बलात्कार हुआ
- खिलाफत आंदोलन के साथ शुरू हुआ मोपला आंदोलन
Source : News Nation Bureau