Nepal Politics : नेपाल में पिछले 2 साल से सत्ता हिमालय के मौसम की तरह बदल रही है. राजनैतिक अस्थिरता के माहौल में अब एक और सरकार शपथ ले रही है, जिसका भविष्य अभी से डांवाडोल दिखाई दे रहा है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शेर बहादुर देउवा (Sher Bahadur Deuba) ने सत्ता तो संभाल ली, लेकिन सत्ता में उनके आसीन होते ही नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल ने उनको जोर का झटका दे दिया है. माधव नेपाल के पास 23 सांसद है, जिनके समर्थन के बिना देउवा के लिए बहुमत का शिखर छूना संभव नहीं होगा.
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नेपाली सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा और फिर राष्ट्रपति विद्या धर भंडारी ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के तहत शेर बहादुर को पीएम नियुक्त किया. इससे पहले के घटनाक्रम में विपक्षी दल बहुमत नहीं जुटा पाए थे तो राष्ट्रपति विद्या धर भंडारी ने दोबारा ओली को कार्यवाहक पीएम बना दिया था. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगी थी और फिर सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति के संसद के भंग करने के फैसले को पलट दिया.
केपी शर्मा नेपाल की सत्ता में बने रहे इसके लिए हिमालय पार से चीन लगातार जद्दोजहद करता रहा है. इस राजनैतिक कवायद में नेपाल के राष्ट्रपति विद्या धर भंडारी की चीन से नजदीकियां भी सामने आई थीं और ये माना जाता है कि काठमांडू स्थित चीनी दूतावास के सीधा हस्तक्षेप ओली की सरकार में रही जिसका परिणाम भारत के साथ नेपाल के बिगड़ते संबंधों के रूप में दिखता रहा.
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अब इस उठापटक का असर नेपाल की राजनीति में एक नया मोड़ ले सकती है. अगर शेर बहादुर देउवा बहुमत का अंक गणित छूने में असफल रहे तो नेपाल एक नए चुनाव के मुहाने पर फिर से खड़ा हो जाएगा.
HIGHLIGHTS
- नेपाल में पिछले 2 साल से सत्ता हिमालय के मौसम की तरह बदल रही
- माधव के समर्थन के बिना देउवा के लिए बहुमत का शिखर छूना संभव नहीं होगा
- नेपाली सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा
Source : Madhurendra Kumar