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चीन के कोविड फ्रॉड का पर्दाफाश, सामने आईं सीक्रेट फाइल्स

अब जाकर साबित हुआ कि वुहान शहर से फैली महामारी को लेकर चीन ने जानते-बूझते दुनिया को गुमराह किया और महामारी को ठीक से हैंडल नहीं किया.

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Nihar Saxena
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Wuhan Lab

वुहान की इसी लैब से निकला कोरोना वायरस, जिसने दुनिया में रचा कोहराम.( Photo Credit : न्यूज नेशन.)

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वुहान जिन्न एक बार फिर निकल आया है. हालांकि इस बार वुहान जिन्न बेहद तीखे अंदाज में बीजिंग प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर रहा है. गौरतलब है कि मार्च महीने से अमेरिका में महामारी ने कहर ढाना शुरू किया था. यह चर्चा थी कि चीन ने कोरोना वायरस के बारे में सही सूचनाएं समय से नहीं दीं. पहले सूचनाएं छिपाने और फिर ग़लत सूचनाएं देने के आरोप चीन पर लगे. यहां तक कि अमेरिका ने चीन को इस मामले में कठघरे में खड़ा करने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी. अब जाकर साबित हुआ कि वुहान शहर से फैली महामारी को लेकर चीन ने जानते-बूझते दुनिया को गुमराह किया और महामारी को ठीक से हैंडल नहीं किया. वुहान फाइल्स सीक्रेट दस्तावेजों का एक बड़ा खुलासा सीएनएन ने किया है. सीएनएन ने दावा किया है उसकी पहुंच उन दस्तावेज़ों तक हुई,​ जिनके ज़रिये ये साबित होता है कि चीन पर महामारी से जुड़े आंकड़ों के बारे में लगे आरोप सही मालूम होते हैं. चीन ने शुरू से ही वास्तविकता छुपाने की कोशिशें की.

वुहान फाइल्स
अंदरूनी दस्तावेज़, कृपया इसे गोपनीय रखें, 117 पेजों के जिस दस्तावेज़ के कवर पेज पर यह लिखा हो, ज़रूर उसमें से कई राज़ खुल सकते हैं. सीएनएन ने इन दस्तावेज़ों तक पहुंचने का दावा करते हुए खुलासा किया कि इन वुहान फाइल्स से चीन की मक्कारी ज़ाहिर होती है. हूबे प्रांत में 10 फरवरी 2020 को कोविड 19 के कुल केस 5918 थे, लेकिन इसी तारीख पर आधिकारिक तौर पर जो संख्या बताई गई थी, वह इस वास्तविक संख्या से आधे से भी कम थी. इस खुलासे का यह निष्कर्ष निकाला गया है कि चीन ने बहुत शुरूआत से नंबरों के साथ छेड़छाड़ करना शुरू कर दिया था. दुनिया और शीर्ष स्वास्थ्य संस्था को सही जानकारी नहीं दी जा रही थी, वरना एक संक्रमण को विश्वव्यापी महामारी बनने से शायद काबू किया जाना मुमकिन भी होता. इन फाइलों से और भी अहम खुलासे होते हैं.

टाइमिंगसे उठा पर्दा
फाइल्स से यह भी पता चलता है कि हूबे प्रांत में कोरोना वायरस फैलने की शुरूआत दिसंबर 2019 की शुरूआत में हुई थी, जिसे उस वक्त छुपा लिया गया. अक्टूबर 2019 से लेकर अप्रैल 2020 के बीच इस इलाके में कोरोना संक्रमण के फैलने को लेकर सही नीतियां न अपनाने के बारे में भी फाइल्स बताती हैं. ये वही समय था, जब दुनिया भर में संक्रमण महामारी का रूप लेने लगा था. यह भी बताया गया कि चीन ने कैसे मरीज़ों में कोविड केस कन्फर्म करने में औसतन 23 दिनों का समय लिया. कन्फर्म केसों के बढ़ने और एक साथ सामने आने की बड़ी वजह टेस्टिंग में देर होने और टेस्टिंग फेल होना रहा.

लापरवाही कहीं ज्यादा जिम्मेदार
अंदरूनी ऑडिट्स में यह बात सामने आई कि स्टाफ के कम होने के साथ ही, प्रशासन के ब्यूरोक्रैटिक मॉडल का लापरवाह होना बड़ी वजह रहा जिससे शुरूआत में चीन में महामारी को ठीक से मैनेज नहीं किया जा सका. इन तमाम फाइल्स में एक भी जगह इस बात का संकेत नहीं दिखा कि चीन के हेल्थकेयर अधिकारियों को कभी भी ऐसा अंदाज़ा रहा हो कि ये संक्रमण दुनिया भर के लिए कहर बन सकते थे. यह भी गौरतलब है कि इन फाइल्स से पहले अंदेशे रहे कि महामारी वुहान स्थित वेट मार्केटों के कारण फैली थी. हालांकि ये दावे पुष्ट नहीं किए जा सके. चीन ने उल्टे आरोप लगाए ​थे कि वायरस अमेरिका से चीन पहुंचा.

खुलासे के पीछे कौन
हमेशा से समय से सही जानकारी देने की बात कहकर तमाम आरोपों का खंडन करने वाले चीन के सामने अब संकट बड़ा हो गया है. चीन के हेल्थकेयर सिस्टम के भीतर काम करने वाले व्हिसलब्लोअर ने हूबे प्रांत स्थित क्षेत्रीय महामारी नियंत्रण केंद्र के अंदरूनी दस्तावेज़ों के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की है जिसे छह विशेषज्ञों से प्रमाणित करवाने की बात भी कही गई है. इन फाइल्स की पुष्टि के बारे में चीन के साथ जुड़े एक विशेषज्ञ के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया कि उसने इस तरह के गोपनीय शोध साल की शुरूआत में भी देखे थे. एक यूरोपीय विशेषज्ञ ने भी इन फाइल्स को प्रामाणिक बताया. सीएनएन ने कहा कि जो मेटाडेटा उसके हाथ लगा, उसमें दस्तावेज़ों के लेखकों के तौर पर सीडीसी के अफसरों का नाम लिखा है.

Source : News Nation Bureau

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