चीन (China) अपनी आक्रामक विस्तारवादी नीति अपने तमाम पड़ोसी देशों पर दशकों से आजमाता आ रहा है. यह अलग बात कि भारत (India) से पंगा लेना उसे भारी पड़ गया है. कोरोना संक्रमण (Corona Epidemic) की देन के बीच भारत से सीमा विवाद (Border Dispute) उसे वैश्विक मंच पर अलग-थलग कर चुका है. ऐसे में एक ताजा रिपोर्ट बताती है कि चीन सिर्फ भारत की जमीन ही नहीं, उसके सैटेलाइट्स (Satellites) को भी निशाना बनाना चाहता है. यह रिपोर्ट अमेरिका के चीन एयरोस्पेस स्टडीज इंस्टीट्यूट ने जारी की है.
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भारत पर मंडरा रहा है साइबर हमलों का खतरा
रिपोर्ट में 2017 में भारतीय सैटेलाइट्स पर हुए कम्प्यूटर नेटवर्क अटैक का विस्तार से जिक्र किया गया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने ये तो कहा कि साइबर हमलों का खतरा लगातार बना रहता है, लेकिन उसने दोहराया कि अभी तक उसके सिस्टम्स तक पहुंच नहीं बनाई जा सकी है. 142 पन्नों की रिपोर्ट कहती है कि 2012 से 2018 के बीच चीन ने कई साइबर हमले किए. 2012 में जेट प्रपल्शन लैबारेट्री पर चीनी नेटवर्क बेस्ड कम्प्यूटर हमले को लेकर रिपोर्ट कहती है कि इससे हैकर्स को जेपीएल नेटवर्क्स पर पूरा कंट्रोल हासिल हो गया था. रिपोर्ट ने हमलों के जिक्र में कई स्रोतों का जिक्र किया है.
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भारत के पास एंटी सैटेलाइट तकनीक
गौरतलब है कि भारत ने अंतरिक्ष में किसी दुश्मन से निपटने के लिए जरूरी एंटी-सैटेलाइट मिसाइल तकनीक पिछले साल हासिल कर ली थी. इसके साथ ही अब दुश्मन देश के सैटेलाइट्स को नष्ट करने की क्षमता भी भारत के पास आ गई है. हालांकि CASI की रिपोर्ट बताती है कि चीन के पास बहुत सारी काउंटर-स्पेस तकनीकें हैं जो दुश्मन के अंतरिक्ष उपकरणों को जमीन से लेकर जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट तक निशाना बना सकती हैं. इनमें भी एंटी-सैटेलाइट मिसाइल, को-ऑर्बिटल सैटेलाइट्स, डायरेक्टेड एनर्जी वेपंस, जैमर्स और साइबर क्षमताएं शामिल हैं.
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चीन के निशाने पर अमेरिकी सैटेलाइट भी
सीएएसआई एक थिंक टैंक है जो अमेरिका के गृह मंत्री, एयरफोर्स चीफ, स्पेश ऑपरेशंस चीफ और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को एक्सपर्ट रिसर्च और एनालिसिस मुहैया कराता है. सीएएसआई ने पेंटागन की एक ताजा रिपोर्ट का भी जिक्र किया है, जिसमें कहा गया है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ऐसी तकनीक विकसित कर रहा है जिसका इस्तेमाल चीन दुश्मन को 'अंधा और बहरा' करने में कर सकता है. 2019 में कार्नीजी एंडोवमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस ने एक रिपोर्ट जारी की थी. इसमें कहा गया था कि चीन के पास जमीनी केंद्रों से अंतरिक्ष में घातक साइबर हमले करने की क्षमता है.