दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति 2021-22 विवादों के घेरे में है. विपक्षी भाजपा धरना-प्रदर्शन कर रही है तो उपराज्यपाल पूरे मामले की जांच के लिए सीबीाई जांच की सिफारिश की है. दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने शुक्रवार को नियमों के कथित उल्लंघन और प्रक्रियात्मक खामियों को लेकर दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 की सीबीआई जांच की सिफारिश की. एलजी के इस कदम के बाद दिल्ली में सियासी पारा फिर गरमा गया है. दिल्ली सरकार ने पिछले साल ही अपनी नई एक्साइज पॉलिसी लागू की थी. एलजी ने जिस रिपोर्ट को आधार बनाया है, उसमें कहा गया है कि दिल्ली एक्साइज एक्ट और दिल्ली एक्साइज रूल्स का उल्लंघन किया गया.एलजी ने "शीर्ष राजनीतिक स्तर" पर "वित्तीय अनियमितता" के "पर्याप्त संकेत" पाए हैं, जिसमें आबकारी मंत्री ने "वैधानिक प्रावधानों के उल्लंघन में बड़े फैसले लिए और निष्पादित किए" और आबकारी नीति को अधिसूचित किया गया.
इन आरोपों के आधार पर एलजी ने की सीबीआई जांच की सिफारिश
आबकारी मंत्री के निर्देश पर एक्साइज विभाग ने एयरपोर्ट जोन के एल-1 बिडर को 30 करोड़ रुपये रिफंड करने का निर्णय लिया, जबकि वह बिडर एयरपोर्ट अथॉरिटीज से जरूरी एनओसी तक नहीं ले पाया था. यह साफतौर से दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 के रूल नंबर 48(11)(b) का उल्लंघन था, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि लाइसेंस लेने के लिए बिडर को सभी औपचारिकताओं को पूरा करना होगा और इसमें असफल रहने पर उसके द्वारा सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में जमा की गई रकम सरकारी खाते में जमा कर ली जाएगी. लेकिन इस मामले में रकम को जब्त करने के बजाय पैसा लौटा दिया गया.
सक्षम अथॉरिटीज से मंजूरी लिए बिना एक्साइज विभाग ने 8 नवंबर 2021 को एक आदेश जारी करके विदेशी शराब के रेट कैलकुलेशन का फॉर्मूला बदल दिया और बियर के प्रत्येक केस पर लगने वाली 50 रुपये की इंपोर्ट पास फीस को हटा दिया. इस निर्णय ने रीटेल लाइसेंसियों के लिए विदेशी शराब और बियर की कीमत को सस्ता कर दिया, जिससे सरकार को रेवेन्यू का भारी नुकसान झेलना पड़ा. टेंडर जारी होने के बाद भी लाइसेंसधारकों को गैरवाजिब वित्तीय लाभ पहुंचाने के लिए इस तरह के निर्णय लिए जाते रहे.
बिना किसी मजबूत आधार और वास्तविक कारण के तय समय पर लाइसेंस फीस, ब्याज और पेनल्टी नहीं भरने वाले लाइसेंसधारकों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के बजाय एक्साइज डिपार्टमेंट ने टेंडर दस्तावेजों में किए गए प्रावधानों में ही ढील दे दी.
सरकार ने दिल्ली के अन्य व्यवसायियों के हितों को दरकिनार करते हुए केवल शराब बेचने वालों को फायदा पहुंचाने के लिए कोविड के नाम पर उनकी 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ कर दी, जबकि टेंडर दस्तावेजों में ऐसे किसी आधार पर शराब विक्रेताओं को लाइसेंस फीस में इस तरह की छूट या मुआवजा देने का कहीं कोई प्रावधान नहीं था. गैरवाजिब तरीके से लाइसेंसधारकों को पहुंचाए गए इस लाभ के चलते सरकार को 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
सरकार ने बिना किसी ठोस आधार या विचार विमर्श और आवश्यकताओं का आकलन किए बिना हर वॉर्ड में शराब की कम से कम दो दुकानें खोलने की शर्त टेंडर में रखी, ताकि टेंडर जारी होने के बाद भी लाइसेंसधारकों को लाभ पहुंचाया जा सके. बाद में एक्साइज विभाग ने सक्षम अथॉरिटीज से मंजूरी लिए बिना और नियमों के खिलाफ जाकर लाइसेंसधारकों को नॉन कन्फर्मिंग वॉर्डों की जगह कन्फर्मिंग एरिया में दो से ज्यादा दुकानें खोलने की इजाजत भी दे दी.
शराब की बिक्री और सेवन को प्रमोट न करने के नियम का उल्लंघन करते हुए दिल्ली सरकार ने अपने चेहेते लाइसेंसधारकों के खिलाफ दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 के सेक्शन-9 के तहत भी कोई कार्रवाई नहीं की, जो सोशल मीडिया, बैनर्स और होर्डिंगों के जरिए खुलकर शराब की बिक्री का प्रचार प्रसार कर रहे थे. यह सब एक्साइज विभाग की भी जानकारी में था, लेकिन उसने भी कोई कार्रवाई नहीं की. शराब का इस तरह का प्रमोशन दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 के रूल नंबर 26 और 27 का भी उल्लंघन है.
लाइसेंस फीस में कोई बढ़ोतरी किए बिना लाइसेंसधारकों को सीधे तौर पर लाभ पहुंचाने के लिए एल-7-जेड और एल-1 लाइसेंसधारकों का ऑपरेशनल पीरियड पहले 1 अप्रैल 2022 से बढ़ाकर 31 मई 2022 तक किया गया और फिर इसे 1 जून 2022 से बढ़ाकर 31 जुलाई 2022 तक कर दिया गया. इसके लिए सक्षम अथॉरिटी यानी कैबिनेट और एलजी से भी कोई मंजूरी नहीं ली गई.
दिल्ली की नई आबकारी नीति में कब क्या हुआ?
17 नवंबर, 2021 को, दिल्ली सरकार ने शराब के कारोबार से बाहर निकलकर अपने 600 ठेकों को बंद कर दिया, ताकि आलीशान और निजी स्वामित्व वाली दुकानों का मार्ग प्रशस्त किया जा सके.
आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने 'कदाचारों को दूर करने' और शराब खरीदते समय लोगों के अनुभवों को बेहतर बनाने के लिए एक नई शराब व्यवस्था को फिर से शुरू किया. इसने सरकारी राजस्व बढ़ाने के लिए एक नई नीति भी पेश की.
नवंबर में लागू हुई दिल्ली की नई आबकारी नीति (2021-22) में निम्नलिखित मानदंड हैं:
1. सभी शराब की दुकानें निजी होंगी. शहर की सरकार कोई ठेका नहीं चलाएगी.
2. निजी बोलीदाताओं को 849 दुकानों के लिए खुदरा लाइसेंस जारी किए गए.
3. 849 दुकानों को 32 जोनों में बांटा गया था.
4. नई आबकारी नीति ने बाजार, मॉल, वाणिज्यिक सड़कों/क्षेत्रों, स्थानीय शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और ऐसे अन्य स्थानों पर स्टोर खोलने की अनुमति दी, जब तक कि नई दुकान खोलने के मानक नियमों और विनियमों का पालन किया जाता है.
हालांकि, एलजी और आप सरकार के बीच तनावपूर्ण संबंध तब टूट गए जब एलजी ने दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 की सीबीआई जांच की सिफारिश की. उपराज्यपाल सक्सेना का यह कदम इस मामले पर दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट के बाद आया है. रिपोर्ट में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर "कमीशन" के बदले शराब की दुकान के लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ प्रदान करने और हाल ही में हुए पंजाब चुनाव में पैसे का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है.
उपराज्यपाल कार्यालय के अधिकारियों ने कहा, "आबकारी विभाग, सिसोदिया के सीधे आदेशों के तहत, कोविड महामारी के बहाने, निविदा लाइसेंस शुल्क पर, शराब कार्टेल को 144.36 करोड़ की छूट देने की अनुमति देने का निर्णय लिया."
सीएम अरविंद केजरीवाल ने व्यक्त की तीखी प्रतिक्रिया
एलजी सक्सेना के फैसले पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री सिसोदिया ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. केजरीवाल ने कहा, "मैं सिसोदिया को 22 साल से जानता हूं और मैंने उनके जैसा ईमानदार या देशभक्त कभी नहीं देखा."
उन्होंने कहा, “सिसोदिया ने दिल्ली में पढ़ने वाले लाखों बच्चों का जीवन और करियर बनाया… आज, एक जज का बेटा और एक रिक्शा चालक का बेटा एक साथ बैठकर एक ही टेबल पर पढ़ते हैं… मैंने कई मौकों पर विधानसभा सत्र, प्रेस कॉन्फ्रेंस, सभी को बताया है कि केंद्र सिसोदिया को गिरफ्तार करना चाहता है. केंद्र ने एक व्यक्ति को फ्रेम करने के लिए नई रणनीति अपनाई है. सबसे पहले, यह एक व्यक्ति का चयन करता है, उनके खिलाफ कुछ गलत खोजने की कोशिश करता है, और जब यह विफल हो जाता है, तो यह एक झूठा मामला बनाता है और मंत्री को जेल भेजने की बात करता है. ” केजरीवाल ने केंद्र पर पंजाब विधानसभा चुनाव जीतने के बाद से आप के पीछे पड़ने का भी आरोप लगाया.
उपराज्यपाल कार्यालय के अधिकारियों का दावा- पैसे को पंजाब चुनाव में हुआ इस्तेमाल
उपराज्यपाल के कार्यालय के अधिकारियों ने दावा किया कि "सीबीआई की जांच से दिल्ली के लोगों की कीमत पर खेले जा रहे नापाक खेल का पता चलेगा और आप सरकार और नेताओं द्वारा प्राप्त रिश्वत की मात्रा का पता लगाया जाएगा, साथ ही इस पैसे का उपयोग पंजाब चुनाव को प्रभावित करने के लिए किया गया.
उन्होंने कहा कि शीर्ष राजनीतिक स्तर पर एक वित्तीय अनियमितता था, जिसमें आबकारी विभाग के प्रभारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने वैधानिक प्रावधानों और अधिसूचित आबकारी नीति का उल्लंघन करते हुए बड़े निर्णय किए, नियमों में बदलाव का आशय भारी वित्तीय लाभ था.
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एलजी कार्यालय ने कहा कि सिसोदिया ने भी टेंडर दिए जाने के बाद शराब लाइसेंसधारियों को "अनुचित वित्तीय एहसान" दिया और इस तरह राजकोष को भारी नुकसान हुआ. उपराज्यपाल कार्यालय के अधिकारियों ने कहा कि सिसोदिया की भूमिका कथित जानबूझकर और घोर प्रक्रियात्मक खामियों के लिए जांच के दायरे में है, जिसने वर्ष 2021-22 के लिए शराब लाइसेंसधारियों के लिए निविदा प्रक्रिया को अनुचित लाभ प्रदान किया.
आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि सिसोदिया को फर्जी मामले में फंसाने की साजिश
आप के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि सिसोदिया को फर्जी मामले में फंसाने और आगामी विधानसभा में केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी को दूर रखने के लिए उपराज्यपाल ने भाजपा नीत केंद्र के इशारे पर सीबीआई जांच की सिफारिश की थी.केंद्र किसी तरह दिल्ली सरकार के सभी मंत्रियों को फर्जी मामलों में फंसाने की कोशिश कर रहा है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आप और केजरीवाल की बढ़ती लोकप्रियता से डरे हुए हैं. भारद्वाज ने कहा, "यह देश के लिए बहुत दुख की बात है कि एलजी ने देश के सबसे लोकप्रिय शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को फर्जी मामले में फंसाने के लिए सीबीआई जांच की सिफारिश की है."
HIGHLIGHTS
- शराब की बिक्री और सेवन को प्रमोट न करने के नियम का उल्लंघन
- घोर प्रक्रियात्मक खामियों के लिए सीबीआई जांच की सिफारिश
- बोलीदाताओं को 849 दुकानों के लिए खुदरा लाइसेंस जारी किए गए