One Nation One Election : देश में एक बार फिर एक राष्ट्र, एक चुनाव (One Nation, One Election) पर चर्चा होने लगी है. केंद्र की मोदी सरकार ने शुक्रवार को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की है. यह कमेटी देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराए जाने की संभावनाओं का पता लगाएगी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मोदी सरकार द्वारा बुलाए गए संसद के विशेष सत्र में इस बिल को पेश भी किया जा सकता है. आइये जानते हैं वन नेशन, वन इलेक्शन के क्या फायदे और नुकासन हैं?
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जानें एक देश एक चुनाव की क्यों उठी मांग
देश में वन नेशन, वन इलेक्शन के तहत लोकसभा चुनाव और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने से है. इसके तहत देशभर में एक साथ सारे चुनाव कराए जाएंगे. एक दो महीने में सारे चुनाव संपन्न होने के बाद केंद्र और राज्य अपने कामों में जुट जाएंगे. इससे न सिर्फ चुनाव का खर्चा कम हो जाएगा, बल्कि मतदाताओं की संख्या में इजाफा भी होगा. लोग एक बार में केंद्र और राज्य के लिए मतदान कर सकेंगे.
जानें वन नेशन, वन इलेक्शन के क्या हैं फायदे
वन नेशन, वन इलेक्शन कराए जाने से देश पर चुनाव खर्च का भार कम हो जाएगा. लोकसभा और राज्यों के अलग-अलग विधानसभा चुनावों में होने वाले खर्चों में भारी भरकम कमी आएगी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में 60 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए थे. अलग-अलग आम चुनाव और विधानसभा चुनाव होने के दौरान आचार संहिता लागू हो जाती है, जिससे केंद्र और राज्य सरकारों की लोक कल्याण योजनाओं पर प्रतिबंध लग जाती हैं. साथ ही पूरी प्रशासनिक व्यवस्था चुनाव में लग जाती है. ऐसे में एक साथ चुनाव कराए जाने पर इलेक्शन ड्यूटी में लगे अधिकारी एक बार ही प्रभावित होंगे, इसके बाद वे पूरे 5 साल तक अपने कार्य में लगे रहेंगे. इससे केंद्र और राज्य के कार्यक्रमों और नीतियों में निरंतरता सुनिश्चित होगी. मतदाताओं को एक बार वोट देने के लिए निकलना ज्यादा आसान है, जिससे वोटरों की संख्या भी बढ़ जाएगी. चुनाव आयोग को बार-बार मतदाता सूची नहीं बनानी पड़ेगी. एक ही दफ्तर में आम चुनाव और विधानसभा चुनाव भी संपन्न हो जाएंगे.
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एक साथ चुनाव कराने के लिए क्या है नुकसान
केंद्र की मोदी सरकार वन नेशन, वन इलेक्शन के पक्ष में भले हो, लेकिन विपक्षी पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं. एक साथ चुनाव से देश की सत्ता में बैठी पार्टी को सबसे ज्यादा फायदा हो सकता है. अगर केंद्र की सत्ता में बैठी पार्टी के पक्ष में सकारात्मक माहौल बन गया तो इससे पूरे देश में उन पार्टी की सरकार बन जाएगी, जोकि खतरनाक है. एक राष्ट्र, एक चुनाव बिल से सबसे ज्यादा नुकसान क्षेत्रीय या छोटी पार्टी को होगा. एक साथ चुनाव कराए जाने के बाद इसके नतीजे देरी जारी होंगे, जिससे देश में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ेगी और इसका खामियाजा जनता भुगतना पड़ेगा.