SC की पीठ में महिलाओं का सिर्फ 11 फीसदी प्रतिनिधित्वः CJI रमना

उच्च न्यायालयों में विद्यमान लगभग 41 प्रतिशत रिक्तियों को भरने की कठिन चुनौती पर खरा उतरने की आशा.

author-image
Nihar Saxena
New Update
CJI

न्यायापालिका में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व है कम.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

Advertisment

भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन.वी. रमना ने कहा कि कानूनी पेशे में अभी महिलाओं का पूरी तरह से स्वागत किया जाना बाकी है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बहुत कम महिलाओं को शीर्ष पर प्रतिनिधित्व मिलता है. रमना ने कहा कि भले ही वे ऐसा करती हों, मगर वे अभी भी एक कठिन कार्य का सामना कर रही हैं. सीजेआई बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा यहां आयोजित एक सम्मान समारोह में बोल रहे थे. इसमें तीन महिला न्यायाधीशों की नियुक्ति के कुछ दिनों बाद कानून मंत्री किरण रिजिजू और शीर्ष अदालत के कई न्यायाधीशों ने भाग लिया, जिसमें एक भावी महिला प्रधान न्यायाधीश और शीर्ष अदालत में छह अन्य न्यायाधीश शामिल थे.

एससी में महज 11 फीसदी महिलाओं का प्रतिनिधित्व
इस दौरान सीजेआई ने कहा, स्वतंत्रता के 75 वर्षों के बाद सभी स्तरों पर महिलाओं के लिए कम से कम 50 प्रतिशत प्रतिनिधित्व की उम्मीद की जाएगी, लेकिन मुझे यह स्वीकार करना होगा कि अब हमने सर्वोच्च न्यायालय की पीठ पर महिलाओं का केवल 11 प्रतिशत प्रतिनिधित्व हासिल किया है. सीजेआई रमना ने यह भी कहा कि अधिकांश महिला अधिवक्ता पेशे के भीतर संघर्ष कर रही हैं. उन्होंने कहा, बहुत कम महिलाओं को शीर्ष पर प्रतिनिधित्व मिलता है. यहां तक कि जब वे ऐसा करती भी हैं, तब भी उन्हें महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. वास्तविकता यह है कि कानूनी पेशे में अभी भी महिलाओं का स्वागत किया जाना बाकी है. उन्होंने विभिन्न अदालत परिसरों में महिला शौचालयों की कमी पर भी प्रकाश डाला.

यह भी पढ़ेंः Noida DM सुहास ने सिल्वर मेडल जीत रचा इतिहास, बैडमिंटन में तीसरा पदक

महिलाओं के लिए सुविधाओं में कमी
रमना ने कहा, मैंने अपने उच्च न्यायालय के दिनों में देखा था कि महिलाओं के पास शौचालय नहीं था और महिला वकीलों के लिए अदालत में आना और गलियारों में लंबे समय तक इंतजार करना बहुत मुश्किल है. न्यायिक बुनियादी ढांचे पर सीजेआई ने कहा कि उन्होंने देश के कोने-कोने से जानकारी एकत्र करते हुए एक बड़ी रिपोर्ट बनाई है, जिसे वह कानून मंत्री के सामने पेश करेंगे. रिपोर्ट में न्यायालय भवनों, वकीलों के कक्षों, बार के लिए आवश्यक सुविधाओं, महिला वकीलों आदि की आवश्यकताएं शामिल हैं. उन्होंने कहा, राष्ट्रीय न्यायिक अवसंरचना निगम के निर्माण के लिए एक व्यापक प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. हमने देश भर से स्थिति रिपोर्ट एकत्र की है. इस संबंध में एक प्रस्ताव बहुत जल्द कानून मंत्री तक पहुंच जाएगा. मुझे सरकार से पूर्ण सहयोग की उम्मीद है.

याद किया सचिन तेंदुलकर को
समारोह के दौरान, शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालयों में रिक्त पदों को भरने के लिए नियुक्ति प्रक्रिया को गति देने के लिए रमना ने उदाहरण के तौर पर पूर्व भारतीय स्टार क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर का भी जिक्र किया. रमना ने कहा, मेरा प्रयास रहा है कि कोर्ट में न्यायाधीशों के खाली पदों की समस्या का समाधान किया जाए. कुछ समय पहले मुझे सचिन तेंदुलकर कहा गया. मुझे इस धारणा को सही करना चाहिए कि किसी भी खेल की तरह यह भी एक टीम प्रयास है. जब तक सभी सदस्य अच्छा प्रदर्शन नहीं करेंगे, टीम का जीतना मुश्किल है. रमना ने आगे कहा, कॉलेजियम में मेरे सहयोगियों को मेरा हार्दिक धन्यवाद - यू. यू. ललित, ए. एम. खानविलकर, डी. वाई. चंद्रचूड़ और एल. नागेश्वर राव - जो सक्रिय और रचनात्मक हैं और इस प्रयास में भागीदार हैं.

यह भी पढ़ेंः Tokyo Paralympics: कृष्णा नागर ने बैडमिंटन में गोल्ड जीत रचा इतिहास

रमना के कार्यकाल में कॉलेजियम ने की 82 नामों की सिफारिश 
उन्होंने बताया कि सीजेआई के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, कॉलेजियम ने विभिन्न उच्च न्यायालयों के लिए 82 नामों की सिफारिश की है. रमना ने कहा, मुझे उम्मीद है कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि नामों को जल्द से जल्द मंजूरी दी जाए, जिस तरह से शीर्ष अदालत के लिए नौ नामों को मंजूरी दी गई है. यह एक सतत प्रक्रिया है. हम सभी उच्च न्यायालयों में विद्यमान लगभग 41 प्रतिशत रिक्तियों को भरने की कठिन चुनौती पर खरा उतरने की आशा करते हैं.

HIGHLIGHTS

  • सर्वोच्च न्यायालय की पीठ पर महिलाओं का केवल 11 प्रतिशत प्रतिनिधित्व
  • कानूनी पेशे में अभी महिलाओं का पूरी तरह से स्वागत किया जाना बाकी
  • उच्च न्यायालयों में विद्यमान लगभग 41 प्रतिशत रिक्तियों को भरने की चुनौती
Supreme Court सुप्रीम कोर्ट CJI Judiciary सीजेआई NV Ramana एनवी रमना न्यायपालिका Women Judges
Advertisment
Advertisment
Advertisment