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Imran Khan रहें या जाएं, पाक को Sri Lanka जैसी तबाही से कोई नहीं बचा सकता !

पड़ोसी देश Shrilanka इन दिनों भयंकर आर्थिक संकट से जूझ रहा है. हालात इतने खराब हो चुके हैं कि वहां कि पूरी कैबिनेट ने इस्तीफा दे दिया है. ठीक यही हालत पाकिस्तान की होती जा रही है.

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Iftekhar Ahmed
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Pakimtani Prime Minister Imran Kha

Imran Khan रहें या जाएं, पाक को Shri Lanka जैसी तबाही से कोई नहीं बच( Photo Credit : File Photo)

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पड़ोसी देश Shrilanka इन दिनों भयंकर आर्थिक संकट से जूझ रहा है. हालात इतने खराब हो चुके हैं कि वहां कि पूरी कैबिनेट ने इस्तीफा दे दिया है. महंगाई का आलम ये है कि एक कप चाय के लिए लोगों को 100 रुपये देने पड़ रहे हैं. श्रीलंका की ये हालत चीनी कर्ज की वजह से हुई है. दरअसल, श्रीलंका इस वक्त चीन के कर्ज के जंजाल में फंसा हुआ है. श्रीलंका के कुल कर्ज का 68 फीसदी हिस्सा चीन का है. लेकिन, इस वक्त कर्ज चुकाना तो दूर श्रीलंका ( Shrilanka) के पास अपने लोगों को खिलाने के लिए भी पैसा नहीं है. ठीक यही सियासी उठापटक के शिकार पाकिस्तान की होती जा रही है. पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार के खिलाफ विपक्ष के हल्ला बोल के पीछे भी पाकिस्तान में बढ़ती महंगाई और चीनी कर्ज को ही माना जा रहा है. इस वक्त पाकिस्तान दुनिया के 10 सबसे ज्यादा कर्ज लेने वाले देशों में शामिल है. हालत ये है कि पाकिस्तान खुद को दिवालिया घोषित होने से बचाने के लिए लगातार कर्ज ले रहा है. ऐसे में कर्ज का दबाव बढ़ता जा रहा है. यह देखकर साफ हो जाता है कि सरकार किसी की भी आए या जाए. पाकिस्तान पर कर्ज हर दिन बढ़ता ही जाएगा. 

इमरान खान भी नहीं सुधार पाए पाकिस्तान की हालत
नए पाकिस्तान का नारा देकर सत्ता में आई इमरान खान (Imran Khan) की सरकार ने पाकिस्तान में ऐसा कुछ भी नया नहीं किया है, जो वह जनता को बता सकें. उल्टे उनके शासनकाल में पाकिस्तान आर्थिक रूप से दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गया है. कर्ज के जंजाल में फंसे पाकिस्तान भी इस वक्त श्रीलंका की तरह गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है. पाकिस्तान इस वक्त 90 अरब अमेरिकी डॉलर के विदेशी कर्ज तले दबा हुआ है. इनमें से 20 फीसदी यानी 18 अरब डॉलर का कर्ज चीन का है. सरकार अपनी कुल जीडीपी का 6 प्रतिशत कर्ज चुकाने पर खर्च कर देती है. हालात ये है कि पाकिस्तान को कर्ज चुकाने के लिए कर्ज लेने पड़ रहे हैं. वहीं, महंगाई भी आसमान छू रही है. यहां कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स जनवरी 2022 में 13 फीसदी पहुंच गया था, जो पिछले दो साल में सबसे ज्यादा है. वहीं, आवश्यक वस्तुओं की कीमतों का संकेत देने वाला सेंसेटिव प्राइस इंडेक्स बढ़कर 15 फीसदी से ऊपर निकल गया है. 

महंगाई ने तोड़े सारे रिकॉर्ड
इमरान खान के सत्ता में आने के बाद से खाद्य तेलों की कीमत 130 फीसदी बढ़े हैं. वहीं, ईंधन की कीमत एक साल में 45 फीसदी उछल गई है. इसकी मुख्य वजह है पाकिस्तानी करेंसी की पतली होती हालत है. दरअसल, जब से इमरान सरकार सत्ता में आई है,  पाकिस्तानी करेंसी भी तब से पस्त है. अगस्त 2018 में जब इमरान सरकार बनी तो उस वक्त पाकिस्तानी रुपए की कीमत 123 थी, जबकि इस वक्त एक डॉलर की कीमत 185 पाकिस्तानी रुपये है. यानी इमरान खान के शासन काल में पाकिस्तान की मुद्रा 35% तक गिर चुकी है. गौरतलब है कि आर्थिक तौर पर बर्बाद हो चुका पाकिस्तान (Pakistan) में इस वक्त जबरदस्ती सियासी उठापटक मची हुई है. इमरान खान की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने नेशनल असेंबली को भंग कर दिया है. वहीं, एकजुट विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है. इस वक्त दुनियाभर निगाहें पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हुई है कि वहां से किस तरह का फैसला आता है. इससे पहले नेशनल असेंबली में स्पीकर ने अल्पमत में आ चुकी इमरान खान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को विदेशी साजिश करार देकर रद्द कर दिया था. इसके बाद से पूरे देश में तनाव का माहौल है. 

गले की फांस बन सकता है विदेशी कर्ज
IMF के अनुसार, पाकिस्तान पर विदेशी कर्ज बढ़कर 90 अरब डॉलर हो गया है. इसमें चीन से लिए कर्ज की हिस्सेदारी 20 फीसदी है. यह कर्ज पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए गले की फांस बन सकता है. पाकिस्तान की जीडीपी में विदेशी कर्ज की हिस्सेदारी 6 फीसदी से ज्यादा हो गई है. इस हफ्ते पाकिस्तान को चीन को 4 अरब डॉलर का कर्ज चुकाना था, लेकिन उसने चीन से इस कर्ज को चुकाने के लिए और समय मांगा है.

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भारत से संबंध सुधारने पर घट सकती है महंगाई
ऐसे में आशंका है कि चीन के जाल में फंसे पाकिस्तान की हालत कभी भी श्रीलंका जैसी हो सकती है. ये बातें पाकिस्तान के हुक्मरानों को भी समझ में आने लगी है.  यहीं वजह है कि प्रधानमंत्री इमरान खान लेकर पाक सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा भी भारत से रिश्ते सुधारने के संकेत देने लगे हैं. दरअसल, भारत से खराब रिश्ते की पाकिस्तान को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है. भारत पाकिस्तान के बीच रिश्ते सुधारने से पाकिस्तान में महंगाई की आधी समस्या हल हो सकती है. भारत-पाकिस्तान व्यापार बंद होने की वजह से भारत की वस्तुएं दुबई हो कर पाकिस्तान पहुंच रही है. जिससे चीजें कई गुना महंगी हो जाती है. अगर भारत से संबंध ठीक हो जाने के बाद भारत में निर्मित और उत्पादित वस्तुएं सीधे पाकिस्तान पहुंच पाएगा, जिससे कीमतों पर लगाम लगाने में आसानी होगी. 

भारत पड़ोसियों को कर चुका है सतर्क
चीन कर्ज और आर्थिक मदद की पॉलिसी पर चलकर एक के बाद एक दक्षिण एशिया के देशों में अपनी पकड़ मजबूत करता जा रहा है. भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पड़ोसियों को चीन की कर्ज पॉलिसी से आगाह किया था. उन्होंने किसी देश का नाम लिए बिना सभी पड़ोसी देशों से कहा है कि वे किसी देश के कर्ज के जाल में न फंसें. आर्थिक मदद की पेशकश को स्वीकार करने से पहले उस पर अच्छी तरह से गौर कर लें. इसके साथ ही इस कर्ज के फायदे-नुकसान को भी आंक लें, उसके बाद ही आगे बढ़ें. गौरतलब है कि विदेश मंत्री ने ये सलाह म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में एक बहस के दौरान दी.

HIGHLIGHTS

  • गंभीर आर्थिक संकट से बिगड़ा Imran Khan का खेल
  • दिवालिया होने से बचने के लिए लेने पड़ रहे हैं कर्ज
  • दुनिया के 10 सबसे ज्यादा कर्ज लेने वाले देशों में पाक भी

 

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