वैश्विक मंच पर भारत (India) के बढ़ते कद से अभिभूत पाकिस्तानी दैनिक 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने पहली बार भारत की प्रशंसा करते हुए लिखा है कि न केवल अपने आकार और क्षमता में, बल्कि शेष विश्व के कोने-कोने में भारतीय पदचिन्हों की छाप से सबसे बड़ा लोकतंत्र (Democracy) दुनिया के लिए प्रासंगिक हो चुका है. पाकिस्तान (Pakistan) के राजनीतिक, सुरक्षा और रक्षा विश्लेषक शहजाद चौधरी 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' में प्रकाशित एक ओपीनियन पीस में लिखते हैं, 'अगर मैं अमेरिकी राष्ट्रपति हेनरी किसिंजर होता, तो मैं भारत पर एक ग्रंथ लिखता. एक राष्ट्र के रूप में भारत के कद में व्यापक और गहरा बदलाव आया है. आज वह मुख्य रूप से एशिया (Asia) में और मोटे तौर पर वैश्विक मंच पर एक बड़ा खिलाड़ी बनकर उभरा है. विशेष रूप से भारत ने पिछले साल दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (Indian Economy) बनने के लिए ब्रिटेन (Britain) को पीछे छोड़ दिया. इसके साथ ही 2037 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखा है, जबकि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था वैश्विक समुदाय से मिलने वाली वित्तीय सहायता पर चल रही है.' गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने 8 बिलियन डॉलर से अधिक की आर्थिक मदद दे नकदी की जबर्दस्त तंगी झेल रहे पाकिस्तान को एक बड़ी राहत बख्शी है. आर्थिक तंगी के साथ-साथ पाकिस्तान पिछले साल आई विनाशकारी बाढ़ (Floods) से जुड़े जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से भी जूझ रहा है. इस बाढ़ में 1,739 लोग मारे गए थे और 33 मिलियन लोग प्रभावित हुए थे.
अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भी पढ़े भारत के कसीदे
इसके अलावा शहजाद चौधरी ने 600 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का विदेशी मुद्रा भंडार रखने के लिए भी भारत की प्रशंसा की, जो उसे दुनिया में चौथे स्थान पर लाता है. भारत की तुलना में पाकिस्तान के पास वर्तमान में विदेशी मुद्रा भंडार केवल 4.5 बिलियन डॉलर है. गौरतलब है कि पाकिस्तान 1971 के बाद से सबसे गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है. राजनीतिक अर्थव्यवस्था आत्म-प्रदत्त घावों से छिन्न-भिन्न हो चुकी है. और तो और, पाकिस्तान का अंतरराष्ट्रीय कद भी काफी गिर गया है. अमेरिका के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन से भारत की तुलना करते हुए उन्होंने कहा, 'जीडीपी में इसकी विकास दर चीन के बाद पिछले तीन दशकों में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं से है.' शहजाद चौधरी लिखते हैं, 'मनमोहन सिंह के नेतृत्व में भारत ने 1992 के मुकाबले 2004 में 100 बिलियन डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार तक छलांग लगाई थी. इसके बाद भारत ने 2014 में अपने भंडार को 252 बिलियन डॉलर तक बढ़ा दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार आज 600 बिलियन डॉलर से अधिक का है. यही नहीं, भारत की जीडीपी भी तीन ट्रिलियन डॉलर से अधिक की है. यह बहुत बड़ी उपलब्धि है जो भारत को सभी निवेशकों के लिए एक पसंदीदा स्थान बनाती है.'
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निवेशकों के लिए भारत पसंदीदा, तो पाकिस्तान इसलिए बना नापसंद
इस बीच राजनीतिक अस्थिरता, व्यापक आर्थिक नीति में निरंतरता का अभाव, आतंकवाद, भ्रष्टाचार और ऊर्जा की कमी जैसे विभिन्न कारकों से विदेशी निवेशक पाकिस्तान में पैसा लगाने से बच रहे हैं. यह तब है जब पिछले दो दशकों में पाकिस्तान ने कई एफडीआई अनुकूल उपायों को लागू करने की कोशिश की है. बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करने के लिए व्यापक संरचनात्मक सुधारों का प्रयास किया, जो देश में आर्थिक विकास और रोजगार सृजन के समर्थक बन सकते हैं. हालांकि इस तरह के उपायों का प्रभावी कार्यान्वयन में लालफीताशाही, नौकरशाही की सुस्ती, बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार, गुमराह विचारधारा और आतंकवाद सहित जमीनी स्तर की समस्याओं के कारण बेहद धीमा रहा. अपने लेख में चौधरी ने भारत की सुसंगत और कार्यात्मक राजनीति की प्रशंसा करते हुए कहा कि ये गुण पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के बाद से ही गायब है. उन्होंने कहा, 'भारत कृषि उत्पादों और आईटी उद्योग में शीर्ष उत्पादकों में से एक है. कृषि में प्रति एकड़ उनकी पैदावार दुनिया में सबसे अच्छी है और 1.4 बिलियन से अधिक लोगों का देश होने के बावजूद यह अपेक्षाकृत स्थिर, सुसंगत और कार्यात्मक राज्य व्यवस्था बनी हुई है. उनकी शासन प्रणाली समय की कसौटी पर खरी उतरी है और एक दृढ़ लोकतंत्र के लिए आवश्यक मूलभूत सिद्धांतों के प्रति लचीली साबित हुई है.'
सऊदी अरब के बहाने पाकिस्तान के जख्मों पर छिड़का और नमक
पाकिस्तान के जख्मों पर नमक छिड़कते हुए चौधरी ने पाकिस्तान के सहयोगी सऊदी अरब के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान के भाई सऊदी अरब ने भारत में 72 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के निवेश की घोषणा की है, जबकि हम सऊदी अरब से पाकिस्तान के लिए 7 अरब डॉलर तक का निवेश करने की चिरौरी करते रहे, जिसका उन्होंने वादा किया था.' उन्होंने कहा कि कश्मीर पर भारत संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द करके राजनीतिक रूप से आगे बढ़ गया. भारत की मोदी सरकार के इस कदम ने पाकिस्तान को राजनीतिक-कूटनीतिक स्तर पर कहीं पीछे छोड़ दिया. अनुच्छेद 370 ने कश्मीर को न सही विवादित, लेकिन विशेष दर्जा तो दे रखा था. यही नहीं, भारत की वैश्विक पहचान भी उल्लेखनीय है. उसे जी-7 में आमंत्रित किया गया और यह जी-20 का सदस्य है. यह जलवायु परिवर्तन, महामारी और प्रौद्योगिकी घुसपैठ के समय में न्यायसंगत प्रगति के लिए वैश्विक स्तर पर दक्षिण एशिया का प्रतिनिधित्व कर रहा है. भारत के पास विदेश नीति के मोर्चे पर खुद को स्थापित करने का खाका है और वह दृढ़ता से उस पर कायम है.
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भारत ने वैश्विक स्तर पर किया कूटनीतिक तख्तापलट
चौधरी आगे लिखते हैं, 'रूस अमेरिकी प्रतिबंधों के अधीन है और भारत के अलावा कोई भी रूस के साथ स्वतंत्र रूप से व्यापार नहीं कर सकता है, जो पसंदीदा शर्तों पर रूसी तेल खरीदता है और फिर एक पुराने संरक्षक को अप्रत्यक्ष तरीके से डॉलर कमाने में मदद करने के लिए इसे फिर से निर्यात करता है. दुनिया की दो विरोधी सैन्य महाशक्तियां भारत को अपना सहयोगी होने का दावा करती हैं. अगर यह कूटनीतिक तख्तापलट नहीं है, तो क्या है?' इसके साथ ही चौधरी ने आगे पाकिस्तान को सलाह दी कि परंपरा से हटकर भू-अर्थशास्त्र को एक रणनीति में बदलकर भारत पर अपनी नीति को पुनर्गठित करें अन्यथा पाकिस्तान महज इतिहास के एक कोने में दर्ज होकर रह जाएगा.
HIGHLIGHTS
- पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के बाद अब पाकिस्तानी मीडिया गा रहा भारत के गुणगान
- शहजाद चौधरी ने द एक्सप्रेस ट्रिब्यून में ओपीनियन लिख पाक को लिए आड़े हाथों
- साथ ही शरीफ सरकार को भारत पर अपनी नीति बदलने की दे डाली बड़ी नसीहत