सिर्फ पश्चिम बंगाल (West Bengal) के विधानसभा चुनाव ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के पंचायत चुनावों (Panchayat Elections) के नतीजों ने भी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए खतरे की घंटी बजा दी है. इन नतीजों का कोरोना महामारी के मौजूदा संकट से जूझ रही केंद्र सरकार और राज्य सरकार के लिए अगले साल विधानसभा चुनावों (UP Assemblye Elections) पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. इस राजनीतिक गतिविधियों से अवगत लोगों के अनुसार, सरकार ने अब विधायकों और सांसदों से कहा है कि वे सोशल मीडिया पर किसी भी आत्म-प्रचार से पहले ऑक्सीजन प्लांट्स, अस्पताल के बेड बढ़ाने और दवाओं की खरीद को बढ़ाने के लिए कोशिश करें. फीडबैक मिलने के बाद पार्टी के नेता क्षेत्र के साथ-साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से भी गायब हैं.
बीजेपी कर रही राजनीति महामारी पर नहीं है ध्यानः लोगों की धारणा
एक केंद्रीय नेता ने कहा, 'लोगों में ऐसी धारणा है कि भाजपा पश्चिम बंगाल हिंसा पर ध्यान दे रही है, लेकिन कोई भी इसमें दिलचस्पी नहीं ले रहा है. लोग महामारी से चिंतित हैं जिसने लगभग सभी को प्रभावित किया है. जबकि सरकार लोगों की मदद करने के लिए कदम उठा रही है, लोकिव मंत्री, सांसद और विधायक लोगों की मदद करते हुए और सहानुभूति जताते हुए नहीं दिखा रहे हैं.' उन्होंने कहा, 'जनप्रतिनिधियों को आगाह किया गया है कि छवि और धारणा को बदलने से पहले, उन्हें किए गए कार्य का प्रमाण देना होगा.'
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स्वास्थ्य सेवाओं के कुप्रबंधन पर हो रही चर्चा
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने एक अभूतपूर्व जीत हासिल की थी. पार्टी 320 सीटें जीतकर सत्ता में आई थी. हालांकि अब राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं के खराब प्रबंधन के लिए आलोचना की जा रही है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार बुधवार तक उत्तर प्रदेश में 13,798 मरीजों की मौत हो चुकी है. सोशल मीडिया ऑक्सीजन के लिए इधर-उधर दौड़ रहे लोगों के वीडियो से भर गया है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि ऑक्सीजन की कमी से कोरोना रोगियों की मौत एक आपराधिक कृत्य है. कोर्ट ने कहा कि यह किसी नरसंहार से कम नहीं.
योगी सरकार की लोकप्रियता में गिरावट
अंग्रेजी समाचार पत्र हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक इस बाबत राज्य के कई वरिष्ठ बीजेपी पदाधिकारियों, जिन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बात की. उन्होंने कहा है कि पंचायत चुनाव के परिणाम सरकार की लोकप्रियता में गिरावट और आवश्यक स्वास्थ्य सेवा और मेडिकल ऑक्सीजन की कमी के कारण राज्य भर में बढ़ते गुस्से का संकेत है. एक नेता ने कहा, 'हालांकि पंचायत चुनाव पार्टी के टिकट पर नहीं लड़े जाते हैं, लेकिन सभी जानते हैं कि किस पार्टी ने किस उम्मीदवार को समर्थन दिया है. जब हम बेहतर परिणाम की उम्मीद कर रहे थे, तो महामारी ने लोगों की पसंद को प्रभावित किया. मैं यह नहीं कहूंगा कि परिणाम दूसरी लहर का प्रत्यक्ष परिणाम हैं. पिछले साल भी कुछ खामियां थीं.'
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समाजवादी पार्टी ने फहराया पंचायत चुनाव में परचम
मंगलवार को घोषित परिणामों के अनुसार, भाजपा को अयोध्या, वाराणसी, लखनऊ, वाराणसी और गोरखपुर जैसे गढ़ों में नुकसान उठाना पड़ा. वाराणसी में समाजवादी पार्टी ने 40 में से 15 वार्ड जीते, जबकि भाजपा और बसपा के खाते में सात-सात सीटें आईं. वहीं, कांग्रेस को पांच वार्ड में जीत से संतोष करना पड़ा. अयोध्या में सपा 40 में से 24 वार्डों के साथ सबसे बड़ी बढ़त हासिल करने में सफल रही, जबकि भाजपा ने छह और बसपा ने पांच वार्ड जीते. गोरखपुर में, 68 वार्डों में से 20 के साथ भाजपा सपा के 19 से एक अधिक थी.
सरकार के प्रदर्शन से लोगों में रोष
एक विधायक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, 'हमारे पास मदद के लिए लोग दरवाजे खटखटाते हैं. महामारी के पैमाने की उम्मीद नहीं की गई थी, लेकिन ऑक्सीजन की कमी ने, यहां तक कि अस्पतालों में भी समस्याओं को बढ़ा दिया है. लोग नाराज हैं.' विधायक ने कहा कि उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों से भी मदद के लिए कॉल आ रहे हैं, जहां आधारभूत संरचना अपर्याप्त. 2019 के आम चुनावों के बाद से भाजपा सरकार के प्रदर्शन में तेजी से गिरावट आई है. आगामी चुनावों पर सरकार की प्रतिक्रिया के प्रभाव पर, उन्होंने कहा, 'स्थानीय निकाय चुनाव विशेष रूप से स्थानीय विशिष्टताओं का परिणाम हैं. लेकिन पंचायत चुनाव के रुझान दर्शाते हैं कि मतदाताओं में निराशा है.'
HIGHLIGHTS
- पंचायत चुनाव अगले विस चुनाव का सेमीफाइनल
- समाजवादी पार्टी ने बीजेपी के गढ़ में घुसकर दी है करारी शिकस्त
- योगी सरकार के प्रति लोगों में बढ़ रहा है गुस्सा