राज्यसभा में सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने एफडीआई (FDI) शब्द की एक 'नई परिभाषा' गढ़ी. उन्होंने इसे 'फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलॉजी' करार दिया. वास्तव में पीएम मोदी किसान आंदोलन पर कुछ अंतरराष्ट्रीय शख्सियतों की ओर से की गई अनावश्यक टिप्पणियों का जिक्र कर रहे थे. पीएम मोदी और मोदी सरकार को बदनाम करने की इच्छा रखने वाले किस हद तक जा सकते हैं इसका प्रमाण विकीपीडिया (Wikipedia) पर नरेंद्र मोदी का पेज है, जिसमें उनके बारे में न सिर्फ मनगढ़ंत बातें लिखी गई हैं, बल्कि आखिरी लाइन में जिस आरोप का जिक्र किया है, वह अमूमन विपक्ष खासकर कांग्रेस की ओर से लगाया जाता है. पीएम मोदी को बदनाम करने की यह कोई पहली चेष्टा नहीं है. इसके पहले भी कई मौकों पर उन्हें फासीवाद और तानाशाह तक करार दिया जा सकता है. कांग्रेस का तो प्रिय जुमला है कि नरेंद्र मोदी संवैधानिक संस्थाओं को मटियामेट कर रहे हैं.
विकीपीडिया में पीएम मोदी के पेज पर लिखी गलत बातें
'Following his party's victory in the 2019 general election, his administration revoked the special status of Jammu and Kashmir. His administration also introduced the Citizenship Amendment Act, which resulted in widespread protests across the country. Described as engineering a political realignment towards right-wing politics, Modi remains a figure of controversy domestically and internationally over his Hindu nationalist beliefs and his alleged role during the 2002 Gujarat riots, cited as evidence of an exclusionary social agenda.[f] Under Modi's tenure, India has experienced democratic backsliding.'
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इसका हिंदी अनुवाद
विकीपीडिया में नरेंद्र मोदी पर उपलब्ध पेज में शुरुआत के पांच पैरा उनके बारे में संक्षिप्त जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं. इसी के पांचवें पैरा में उनके बारे में ऊल-जुलूल बातें लिखी गई है. इसमें कहा गया है कि 2019 के आम चुनाव में उनकी पार्टी को जबर्दस्त जीत मिली. इसके बाद सरकार बनाते ही उन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 का विशेष दर्जा छीन लिया. साथ ही नागरिकता संशोधित कानून भी लाया गया, जिसके विरोध में देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन किया गया. सीएए को राजनीतिक विचारधारा में बदलाव लाने के प्रयासों का एक कदम बताया गया, जो दक्षिण पंथी विचारधारा को ही पोषित-पल्लवित करता है. अपनी कट्टर हिंदुत्व छवि और हिंदुत्व केंद्रित राष्ट्रवादी विचारधारा को लेकर वह अंतरराष्ट्रीय और घरेलू मोर्चे पर विवादों के केंद्र में रहे हैं. खासकर 2002 के गुजरात दंगों में उनकी भूमिका को अल्पसंख्यकों को हाशिये पर लाने के कृत्य बतौर देखा जाता है. (इसके लिए विकीपीडिया पर फ्रैंच मूल के शब्द एक्सक्ल्यूजनरी सोशल का इस्तेमाल किया गया है.) मोदी के शासनकाल में भारत ने संवैधानिक संस्थाओं औऱ मान्यताओं के लगातार हाशिये पर जाने का अनुभव किया है.
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कांग्रेस नीत विपक्ष लगाता आया है ऐसे आरोप
गौरतलब है कि इस तरह के आरोप लंबे समय से पीएम नरेंद्र मोदी पर कांग्रेस की ओर से लगाए जाते रहे हैं या ऐसी बातों का इस्तेमाल पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम इमरान खान ने जम्मू-कश्मीर पर अपनी भड़ास निकालने के लिए किया है. जाहिर है ऐसी बातों या अफवाहों को फैलाने वाले इसके समर्थन में ना तो कोई सबूत देते हैं और ना ही किसी अधिकृत संदर्भ का इस्तेमाल करते हैं. इस कड़ी में अक्सर मोदी विरोधी तत्व आरएसएस की विचारधारा की तुलना हिटलर के विचारों से कर मोदी को तानाशाह भी बताते आए हैं.
HIGHLIGHTS
- विकीपीडिया पर नरेंद्र मोदी के पेज पर लिखी गलत बातें
- आज ही राज्यसभा में पीएम मोदी ने जिक्र किया FDI का
- अक्सर ऐसे आरोप कांग्रेस नीत विपक्ष लगाता आया है