प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले कुछ महीनों से देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित विश्वविद्यालयों के आयोजनों में हिस्सा लेकर युवाओं से डायरेक्ट कनेक्ट हो रहे हैं. अक्टूबर से दिसंबर के बीच वह पांच बड़े विश्वविद्यालयों के समारोह में वर्चुअल माध्यम से हिस्सा ले चुके हैं. गुरुवार को छठें विश्वविद्यालय के तौर पर विश्वभारती के शताब्दी समारोह में वह हिस्सा लेने जा रहे हैं. माना जा रहा है कि शिक्षण संस्थानों के कैंपस पर फोकस करते हुए देश की 65 प्रतिशत युवा आबादी तक अपना संदेश पहुंचाने की रणनीति पर प्रधानमंत्री मोदी काम कर रहे हैं.
नेशन फर्स्ट के नारे के साथ दे रहे संदेश
अब तक जिन विश्वविद्यालयों के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने भाग लिया है, वहां उन्होंने नेशन फर्स्ट से लेकर नई शिक्षा नीति और केंद्र सरकार के डेवलपमेंट मॉडल की चर्चा की है. भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी युवाओं को और युवा उन्हें पसंद करते हैं. 2013 में दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में हुए चर्चित कार्यक्रम के जरिए उन्होंने अपने इरादे साफ कर दिए थे कि उनके एजेंडे पर युवा हैं.
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तीन माह में आधा दर्जन विश्वविद्यालयों तक पहुंच
पिछले तीन महीनों में प्रधानमंत्री मोदी ने कई विश्वविद्यालयों के कार्यक्रम में भाग लिया है. मिसाल के तौर पर 19 अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी ने मैसूर विश्वविद्यालय के शताब्दी दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया. 1916 में स्थापित इस पुराने विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में वर्चुअल भाग लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवाओं को शिक्षा और दीक्षा का सही मतलब समझाया था. इसके बाद 12 नवंबर को प्रधानमंत्री ने सबसे ज्यादा सुर्खियों और विवादों में रहने वाले जेएनयू के एक कार्यक्रम में भाग लिया. स्वामी विवेकानंद की मूर्ति अनावरण समारोह में भाग लेते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने नेशन फर्स्ट का नारा देते हुए युवाओं को संदेश दिया कि विचारधारा बाद में है, देश पहले है. स्वामी विवेकानंद की मूर्ति के जरिए जहां प्रधानमंत्री ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अलख जगाई वहीं परस्पर विरोधी विचारधाराओं के बीच समन्वय पर भी जोर दिया. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 नवंबर को गांधीनगर के दीनदयाल पेट्रोलियम विश्वविद्यालय के आठवें दीक्षांत समारोह में 2600 छात्रों को डिग्री और डिप्लोमा प्रदान करते हुए उन्हें देश के विकास में योगदान देने की अपील की. चार दिन बाद उन्होंने ने एक और विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में हिस्सा लिया.
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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में डेवलपमेंट मैसेज
उन्होंने 25 नवंबर को उत्तर प्रदेश की राजधानी में स्थित लखनऊ विश्वविद्यालय के सौ साल पूरे होने वाले कार्यक्रम में भाग लेते हुए युवाओं को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी. बीते 22 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने सीएए के खिलाफ आंदोलन के लिए चर्चित रहे उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में भाग लेते हुए जहां एजूकेशन सेक्टर में किए गए कार्यो को गिनाया, वहीं यह भी बताया कि सरकार बिना मत और मजहब का भेदभाव किए सभी योजनाओं का लाभ पहुंचा रही है. एएमयू में प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ आंकड़ों के जरिए बताया कि किस तरह से सरकार आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों का निर्माण करने में जुटी है. मसलन 2014 में देश में 16 आईआईटी थीं, आज 23 हैं. पहले देश में 9 त्रिपलआईटी थीं. आज 25 हैं. पहले यहां 13 आईआईएम थे, आज 20 हैं.
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सीधे संवाद पर जोर
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा, 'युवाओं के बीच मोदी की लोकप्रियता इसीलिए है कि वह उनसे सीधे संवाद पर जोर देते हैं. वह ऐसे नेता हैं, जो युवाओं की आकांक्षा और उम्मीदों को सबसे बेहतर समझते हैं. इसकी झलक उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव की कैंपेनिंग से ही पेश कर दी थी. याद करिए छह फरवरी 2013 को श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के कैंपस में नरेंद्र मोदी का वह कार्यक्रम, जो युवाओं के बीच हिट हुआ था. प्रधानमंत्री मोदी ने उस कार्यक्रम में युवाओं के सामने गुजरात मॉडल से लेकर देश के विकास का पूरा विजन पेश किया था.'
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नई शिक्षा नीति की वकालत
भाजपा प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल के मुताबिक, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में आईआईटी, आईआईएम जैसे संस्थानों के जरिए भारत को एजुकेशन हब बनाने पर जोर दिया गया है. युवाओं के सपोर्ट से ही नई शिक्षा नीति धरातल पर उतर सकती है. ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी का विश्वविद्यालयों के कार्यक्रम में जाना बहुत महत्वपूर्ण है. शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों को नई शिक्षा नीति की अहमियत बताने में खुद प्रधानमंत्री मोदी ने कमान संभाली है.
Source : News Nation Bureau