निर्वाचन आयोग की ओर से राष्ट्रपति चुनाव 2022 की घोषणा के साथ ही सत्ता पक्ष और विपक्ष उम्मीदवार का नाम फाइनल करने में जुट गए हैं. इसके साथ ही अपने-अपने उम्मीदवार को जीत दिलाने के लिए वोट जुटाने की जोड़-तोड़ भी शुरू हो चुकी है. ममता बनर्जी ने गैर कांग्रेसी विपक्ष के उम्मीदवार पर चर्चा के लिए 22 नेताओं को पत्र लिख दिल्ली में बैठक बुलाई है. यह अलग बात है कि मार्क्सवादी सीताराम येचुरी और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने उन्हें बैठक में शामिल नहीं होने की बात कह शुरुआत में ही झटका दे दिया है. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गैर बीजेपी शासित राज्यों के सीएम और नेताओं से संपर्क के लिए केसी वेणुगोपाल को जिम्मेदारी सौंपी है.
बीजेपी उम्मीदवार पर फिर चौंका सकती है
फिलहाल केंद्र में सत्तासीन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने भी संभावित उम्मीदवार के नाम पर पत्ते नहीं खोले हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार फिर बीजेपी उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर चौंका सकती है. ऐसी चर्चा है कि इस बार बीजेपी किसी आदिवासी वह भी महिला के नाम का चयन कर विपक्ष की रणनीति को भोथरा कर सकती है. ठीक वैसे ही जैसे 2017 में बीजेपी ने रामनाथ कोविंद के रूप में एक दलित चेहरे के नाम को आगे बढ़ा विपक्ष को खासा झटका दिया था. इसका उसके बाद संपन्न हुए चुनावों में बीजेपी को फायदा भी मिला. इस बार भी आगे की रणनीति के तहत मोदी-शाह की जोड़ी कोई ऐसा ही दांव खेल सकती है.
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बहुमत के गणित से 13 हजार वोट दूर
फिलवक्त एनडीए अपने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को जिताने की गणित में बहुमत से करीब 13,000 वोट दूर है. ऐसे में उसे वायएसआर कांग्रेस और बीजू जनता दल से समर्थन मिलने की उम्मीद है. अगर इन दोनों का समर्थन मिल जाता है तो एनडीए के उम्मीदवार की जीत का रास्ता साफ हो जाएगा. गौरतलब है कि पिछले दिनों वायएसआर कांग्रेस के प्रमुख जगन मोहन रेड्डी और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. हालांकि यह साफ नहीं है कि इन मुलाकातों के दौरान राष्ट्रपति चुनाव पर भी बात हुई. हालांकि दोनों दलों ने ही 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी का साथ देते हुए रामनाथ कोविंद के लिए वोट किया था.
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राष्ट्रपति चुनाव 2022 में वोटों का गणित
हाल-फिलहाल राज्यों में कुल 4,790 विधायक हैं. उनके वोटों का मूल्य 5.4 लाख (5,42,306) होता है. सांसदों की संख्या 767 है जिनके वोटों का कुल मूल्य भी करीब 5.4 लाख (5,36,900) बैठता है. इस तरह राष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल वोट लगभग 10.8 लाख (10,79,206) हैं. गौरतलब है कि एक विधायक के वोट का मूल्य राज्य की आबादी और विधायकों की संख्या के आधार पर तय होता है. सांसदों के वोट का मूल्य विधायकों के वोटों का कुल मूल्य को लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों की संख्या से भाग देकर तय होता है. एनडीए के पास 5,26,420 वोट हैं. यूपीए के हिस्से 2,59,892 वोट हैं. तृणमूल कांग्रेस, वायएसआर कांग्रेस, बीजद, सपा और वामपंथी पार्टियों के पास 2,92,894 वोट हैं. ऐसे में अगर वायएसआर कांग्रेस अपने 43,500 वोट्स और बीजद 31,700 वोट्स के बल पर एनडीए के उम्मीदवार का समर्थन करते हैं तो वह आसानी से जीत जाएगा. बीजेपी के पास एक तुरुप का इक्का यह भी है कि विपक्ष बिखरा हुआ है. ऐसे में एनडीए के रणनीतिकारों को भरोसा है कि चुनाव में मुश्किल नहीं आएगी.
HIGHLIGHTS
- अपने उम्मीदवार को जिताने बीजेपी बहुमत से 13 हजार वोट दूर
- बीजद और वायएसआर कांग्रेस से बीजेपी को है समर्थन की उम्मीद
- विपक्ष के बिखरा होने से बीजेपी की राह हो गई है और भी आसान