राजस्थान के राज्यसभा चुनावों के लिए निर्दलीय विधायक कांग्रेस के समर्थन में खड़े हुए हैं हालांकि इसके लिए भी उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने अपनी डिमांड लिस्ट रख दी है. दरअसल सीएम गहलोत ने JW मैरियट में 13 निर्दलीय विधायकों के साथ बैठक की थी जिसमें विधायकों ने अपने क्षेत्र में लंबित पड़े कामों का मुद्दा उठाया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बैठक में सभी विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन देने का आश्वासन दिया है.
ये थी निर्दलीय विधायकों की मांग
बैठक के दौरान सीएम से वन टू वन बातचीत के दौरान विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्र में विकास कार्यों की बात की. उन्होंने कहा कि मनरेगा में 100 दिन से बढ़ाकर 200 दिन काम देना चाहिए. इसी के साथ उन्होंने मांग की मनरेगा का ये मुद्दा पीएम की 17 जून को हो रही वीसी में उठाया जाए. भीषण गर्मी के चलते मनरेगा में काम का समय कम करने की बात भी की जा रही है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्यसभा चुनाव के बाद ये निर्दलीय विधायक सत्ता में भागीदारी की मांग भी कर सकते हैं. इसी के चलते चुनाव के बाद उन्होंने फिर सीएम से मुलाकात का समय मांगा है.
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बता दें, जो 13 विधायक कांग्रेस के समर्थन में हैं उनमें से ओमप्रकाश हुड़ला और सुरेश टाक को छोड़ सभी पुराने कांग्रेसी हैं. संयम लोढ़ा, आलोक बेनीवाल, कांति प्रसाद मीणा, खुशवीर सिंह जोजावर, बलजीत यादव, महादेव सिंह खंडेला, रमिला खड़िया, रामुकमार गौड़, रामकेश मीणाा, और लक्ष्मण मीणा कांग्रेस की पृष्ठभूमि के ही हैं.
दिल्ली रवाना हुए सचिन पायलट
वहीं दूसरी तरफ राजस्थान में हॉर्स ट्रेडिंग का मामला भी लगातार जारी है. राज्यसभा चुनाव में तोड़-फोड़ के डर से कांग्रेस विधायकों को जहां एक निजी रिसॉर्ट में रखा गया है, वहीं उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट कांग्रेस की कार्यशाला को बीच में छोड़कर शनिवार को दिल्ली के लिए रवाना हो गए. इससे कांग्रेस गलियारे में कयासबाजी शुरू हो गई.
पार्टी सूत्रों ने कहा कि पायलट को दिल्ली से एक फोन आया और वह उस होटल से निकल पड़े, जहां पार्टी के सभी विधायक जमे हुए हैं.
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सूत्रों ने कहा कि पायलट राज्य के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य के बारे में पार्टी नेतृत्व को जानकारी देंगे. इस बीच, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विधायकों को एकजुट रखने के लिए शुक्रवार से ही निजी रिसॉर्ट में डेरा जमाए हुए हैं. विधायकों को राज्यसभा चुनाव के मतदान वाले दिन यानी 19 जून तक रिसॉर्ट में रहने को कहा गया है.
राजस्थान से राज्यसभा की तीन सीटें खाली हैं, और कांग्रेस ने दो उम्मीदवारों, के.सी. वेणुगोपाल और नीरज डांगी, को मैदान में उतारा है. दूसरी ओर भाजपा ने भी दो उम्मीदवारों, राजेंद्र गहलोत और ओमकार सिंह लखावत को मैदान में उतार कर मुकाबले को रोचक बना दिया है.
मुख्यमंत्री ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह विधायकों को लालच देकर खरीद-फरोख्त के जरिए राज्य सरकार को गिराने की कोशिश में जुटी हुई है. भ्रष्टाचार निवारक ब्यूरो में एक शिकायत भी दर्ज कराई गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि राजस्थान में बड़ी मात्रा में काला धन लाया गया है, और इसका हवाला कारोबार से संबंध हो सकता है.विधायकों को लालच देकर संवैधानिक नियमों को ताक पर रखने की कोशिश करने के आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है.
इस बीच, पायलट खेमे के करीबी विधायक रमेश मीणा ने अपने को अज्ञात कारणों से कांग्रेस की बैठकों से अलग कर लिया है. पार्टी गलियारे में इस मामले को पायलट के दिल्ली दौरे के साथ जोड़कर देखा जा रहा है.कांग्रेस पर्यवेक्षक टी.एस. सिंह देव ने कहा कि राज्य का एक मंत्री होने के नाते मीणा को कांग्रेस विधायकों की बैठक में हिस्सा लेना चाहिए.
200 सदस्यीय विधानसभा में सत्ताधारी कांग्रेस के 107 विधायक हैं, और उसे 13 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है. माकपा और बीटीपी के कुल दो विधायकों ने गहलोत सरकार को सशर्त समर्थन दे रखा है.
भाजपा के पास 72 विधायक हैं और उसे आरएलडी के तीन विधायकों का समर्थन प्राप्त है. प्रत्येक राज्यसभा सीट के लिए 51 वोट की जरूरत है. इसके अनुसार कांग्रेस दो सीट आराम से जीत सकती है और भाजपा एक सीट जीत सकती है. चूंकि भाजपा के पास 24 वोट अतरिक्त है, लिहाजा कांग्रेस नेताओं को आशंका हे कि भगवा पार्टी बाकी बचे वोट हासिल करने के लिए मौजूदा समीकरण को बिगाड़ने की कोशिश कर सकती है.
(IANS से इनपुट)