Rajiv Gandhi Birth Anniversary : भारत के पूर्व पीएम राजीव गांधी की हत्या को 32 साल हो चुके हैं. 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली के दौरान लिट्टे के आत्मघाती आतंकवादियों ने उनकी हत्या कर दी थी. अपनी मां इदिरा गांधी की हत्या के बाद पीएम बने राजीव का कार्यकाल कई अलग-अलग वजहों से विवादों में रहा, लेकिन भारत की आर्म्ड फोर्सेज को मजबूत बनाने के लिए राजीव की सरकार ने ऐसे फैसले किए, जिन्हें आज भी याद किया जाता है. राजीव गांधी ने भारत की फौजों के लिए ऐसे-ऐसे हथियार खरीदे जो आज भी हमारी सेनाओं की जान बने हुए और पाकिस्तान-चीन जैसे दुश्मन देशों की फौजे भी इन हथियारों से खौफ खाती है.
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आपको बता दें कि राजीव गांधी के समय हुई ऐसी डिफेंस डील्स, जिन्होंने भारतीय फौजों के जखीरे में ऐसे हथियार मुहैया करा दिए जिनका इस्तेमाल भारत मौजूदा वक्त में भी बड़ी कामयाबी के साथ करता है. राजीव गांधी ने देश के रक्षा बजट में इतना इजाफा किया था कि ये लगभग दोगुना हो गया था और कुछ वक्त तक तो ये देश के जीडीपी का चार फीसदी तक हो गया था. किसी भी पीएम के कार्यकाल में शायद ही कभी देश का रक्षा बजट जीडीपी के चार फीसदी तक पहुंचा हो. दरअसल, साल 1971 में भारत ने पाकिस्तान को मात देकर अपनी फौजों की कामयाबी का परचम जरूर लहरा दिया था, लेकिन उसके कुछ सालों बाद इंडियन आर्म्ड फोर्सेज के मोरडनाइजेशन की जरूरत महसूस की जाने लगी.
भारतीय एयरफोर्स ज्यदातार उस वक्त के सोवियत संघ के फाइटर जेट्स पर निर्भर थी, लेकिन राजीव गांधी ने फ्रांस के साथ मिराज 2000 बॉम्बर्स और यूरोपीय देशों के साथ बडे़ हथियारों की डील की, ये एक नई पॉलिसी थी. 39 मिराज, 2000 बॉम्बर्स की ये डील अपने आप में बेहद अहम थी. मिराज-2000 परमाणु बॉम्ब तक गिराने की काबिलियत रखते हैं.
1999 में जब पाकिस्तान के साथ कारगिल की जंग हुई तो इन्हीं मिराज बॉम्बर्स ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार भगाने में अहम भूमिका अदा की थी. यही नहीं साल 2019 में पुलवामा में आतंकी हमले का बदला लेने के लिए एयरफोर्स ने पाकिस्तान में घुसकर बालाकोट पर हमला करने के जिस ऑपरेशन को अंजाम दिया था, उसके लिए भी वहीं मिराज 2000 विमान पाकिस्तान की सरहद में घुसे थे, जिनकी डील राजीव गांधी ने की थी.
यही नहीं उन्होंने योरोपीय ओरिजन के जगुआर बॉम्बर्स और सोवियत संघ से मिग 27 फाइटर प्लेन्स भी खरीदे. एयरफोर्स के अलावा इंडियन नेवी के लिए तो राजीव गांधी की सरकार जैसे वरदान बनकर आई. राजीव सरकार ने जहां ब्रिटेन से आईएनएस विराट को खरीद कर भारत को दूसरा विमान वाहक पोत दिया तो वहीं सोवियत संघ से न्यूक्लियर पनडुब्बी आईएनएस चक्र भी भारत को हासिल हुई. भारत दुनिया का पहला ऐसा नॉन न्यूक्लियर कंट्री बन गया, जिसके पास न्यूक्लियर सबमरीन थी.
राजीव गांधी के दौर में भारत के पास दो विमान वाहक पोत, 12 पनडुब्बी, 21 फ्रिगेट और पांच डिस्ट्रॉयर थे. ये इतनी मजबूत नेवी थी जिसकी मर्जी के बिना हिंद महासागर में दखल देना चीन के लिए नामुमकिन था. चीन अब हिंद महासागर में इंडियन नेवी से पंगा लेने से डरता है.
इंडियन आर्मी के लिए राजीव गांधी ने स्वीडन बोफोर्स तोपों की डील की. ये डील विवादों में भी फंसी और राजीव गांधी पर दलाली के आरोप भी लगे. हालांकि, बाद में वो इस मामले में बरी भी हो गए, लेकिन बोफोर्स तोप ने कारगिल की जंग में अपना लोहा मनवा दिया. कारगिल की पहाड़ियों पर बैठे पाकिस्तान घुसपैठियों को उनके बंकरों से निकाल कर भगाने में बोफोर्स तोपों की भूमिका बेहद अहम थी. लद्दाख सेक्टर में साल 2020 में चीन के साथ जारी तनाव के बाद इंडियन आर्मी ने एलएसी पर भी बोफोर्स तोपों की ही तैनाती की है.
यही नहीं, भारत के स्वदेशी मिसाइल प्रोग्राम को भी राजीव गांधी के कार्यकाल में एक नई जान मिली. जमीन से हवा में वार करने वाली त्रिशूल मिसाइल या फिर भारत की पहली बैलेस्टिक मिसाइल पृथ्वी के कामयाब परीक्षण राजीव के वक्त में ही हुए. 1500 किलोमीटर तक की रेंज वाली अग्नि मिसाइल का पहला परीक्षण भी राजीव गांधी के शासन के आखिरी साल में ही हुआ.
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अग्नि मिसाइल की कामयाबी ने भारत को लंबी दूरी की एक ऐसी मिसाइल मुहैया कराई, जो इससे पहले बस अमेरिका, रूस, फ्रांस, चीन और इजरायल जैसे देशों के ही पास ही थी. बहरहाल, इतना कहा जा सकता है कि राजीव गांधी के कार्यकाल में जिस तरह से भारत की सैन्य ताकत में इजाफा किया गया उसका असर राजीव की मौत के 32 सालों बाद भी दिखाई देता है और उनके खरीदे कई हथियार आज भी भारतीय फौजों की शान है.
सुमित कुमार दुबे की रिपोर्ट
Source : News Nation Bureau