राजधानी नई दिल्ली (New Delhi) के राजपथ (Rajpath) पर 26 जनवरी ( Republic day) के दिन अगर सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र कुछ होता है तो है अपनी सेना की ताकत का प्रदर्शन. इस बार 26 जनवरी को भारत अपना 70वां गणतंत्र दिवस (70th Republic Day) मनाने जा रहा है. गणतंत्र दिवस 2019 परेड (Republic Day 2019 Parade) की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकीं हैं. 26 जनवरी को जल सेना (Indian Navy), थल सेना (Indian Army) और वायु सेना (Air Force) के जवान करतब देखने को मिलेगा. तो आइए जानें पिछले 6 दशक में कितनी ताकतवर हुई हमारी सेना.
माउंटेन स्ट्राइक दस्ता
- कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्यॉरिटी ( CCS) ने पांच साल पहले ही व्यावहारिक रूप से एक पूर्णतया नयी फ़ौज के प्रस्ताव का अनुमोदन किया था. 90 ,000 सिपाहियों की इस फ़ौज के लिए कैबिनेट ने 60 हज़ार करोड़ रूपये स्वीकृत किये थे. लेकिन जिस तेज़ी से माऊंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स के गठन की कोशिश होनी थी , उस तेज़ी से काम नहीं हो पाया है , जुलाई 2018 में खबर आई थी की माऊंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स में पैसे की कमी आड़े आ रही है , इसे पूरा करने का लक्ष्य 2012 -2022 रखा गया है
- माउंटेन स्ट्राइक कोर ( 17 कोर ) का मुख्यालय रांची में है. इसके आलावा इस कोर के अन्य संभाग पानगढ , पश्चिम बंगाल ( 59 माउंटेन ) एवं पठानकोट , पंजाब ( 72 माउंटेन ) में हैं. इस कोर के लिए तीस बिलकुल नयी , पैदल माउंटेन बटालियनों का गठन होना तय हुआ था.
- विमानन , तोपखाने , एवं बख्तरबंद ब्रिगेडों को भी इस कोर में एकीकृत किया जाना था. इसके अलावा कोर को विशेष हाई एलटीचूड दस्ते भी मिलने थे.
- हालांकि सुस्त रफ्तारी के बावजूद पूर्वी कमांड के पानागढ़ सैनिक छावनी में माउंटेन स्ट्राइक दस्ता (ब्रह्मास्त्र दस्ता) का गठन किया जा रहा है. जिसका काम भी पिछले कुछ वर्षों से चल रहा है
- माउंटेन स्ट्राइक दस्ता विशेषकर पहाड़ी क्षेत्र में युद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. भारत-चीन की सीमा रेखा पहाड़ों से घिरी हुई है. जिसका अधिकांश इलाका पहाड़ी है. भारत के रक्षा मंत्रालय ने पूर्वांचल के पहाड़ी क्षेत्र में लड़ाई करने के लिए माउंटेन स्ट्राइक दस्ता बनाने का निर्णय लिया था. माउंटेन स्ट्राइक दस्ता काफी आक्रमणकारी माना जाता है.
- पानागढ़ में सैनिक छावनी रहने के साथ-साथ कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर एयर फोर्स स्टेशन भी है. जहां पहाड़ी व दुर्गम क्षेत्र में सेना व अन्य जरूरी सामग्री पहुंचाने के लिए यहां सी- 130 हरक्यूलस विमान को भी रखा गया है. अगर चीन के साथ लड़ाई की नौबत आती है तो माउंटेन स्ट्राइक दस्ता को आसानी से भेजा जा सकता है
चीन से लगे इलाक़े में सैनिक और हथियार बढ़ा रहा भारत
- चीन की चाल को देखते हुए भारत भी सीमा पर धीरे-धीरे सैन्य पावर बढ़ा रहा है. भारत ने ये कदम 4,057 किलोमीटर लंबी सीमा पर किसी भी तरह की परिस्थितियों से निपटने के मकसद से उठाए हैं. यह काम उसी समय से जारी है जब से चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने सर्दियों के दौरान उत्तरी डोकलाम को अपने कब्जे में लिया था तब से भारत ने यहां अपनी ताकत बढ़ाने की गति को तेज कर दिया है. भारत ने पूर्वी लद्दाख और सिक्किम में टी- 72 टैंकों की तैनाती की है , जबकि अरुणाचल में ब्रह्मोस और होवित्जर मिसाइलों की तैनाती करके चीन के सामने शक्ति प्रदर्शन किया है.
- इसके अलावा भारतीय सेना ने पूर्वोत्तर में सुखोई- 30 एमकेआई स्क्वेड्रन्स को भी उतार दिया है. अरुणाचल प्रदेश की रक्षा के लिए चार इनफेंट्री माउंटेन डिविजन को तैनात किया गया है. 3 कॉर्प्स दीमापुर और 4 कॉर्प्स तेजपुर की तैनाती के साथ दो कॉर्प्स को रिजर्व में रखा गया है. दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा तवांग जिसपर चीन अपना दावा करता है वहां भी सैनिकों की संख्या बढ़ा दी गई है. ताकि चीन के किसी भी नापाक हरकत को विफल किया जा सके.
30 साल बाद खरीदी गयी बोफोर्स जैसी तोप
नवम्बर 2016 में अमेरिका से होवित्जर गन खरीद का कांट्रैक्ट साइन की थी , 9 नवंबर 2018 को K9 वज्र. M777 होवित्जर. दोनों आर्टिलरी गन्स भारतीय सेना को सौंप दी गयी . महाराष्ट्र के देवलाली आर्टिलरी सेंटर पर हुए एक प्रोग्राम में रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने आधिकारिक तौर पर इन दोनों को सेना में शामिल किया था . 2020 तक कुल 100 K9 और 145 M777 सेना में इस्तेमाल के लिए आएंगी.ये दोनों 155 एमएम की गन्स हैं. K9 वज्र को मैदानी और रेगिस्तानी इलाकों में इस्तेमाल किया जाएगा.
भारत इन्हें पाकिस्तान से सटी अपनी पश्चिमी सीमा पर तैनात करेगा. M777 होवित्जर पहाड़ी इलाकों के लिए ज्यादा मुफीद है. ये काफी हल्के वजन की गन्स हैं. M777 का इस्तेमाल इराक और अफगानिस्तान युद्ध में हो चुका है. मैदानी और रेगिस्तानी इलाकों के अलावा इन्हें ऊंचे पहाड़ी इलाकों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. ऊंचाई के इलाकों में ले जाने के लिए हेलिकॉप्टर की जरूरत पड़ेगी.
बढ़ रही है नौसेना की ताक़त
- इंडियन नेवी का लक्ष्य 2050 तक 200 जंगी जहाज़ और 500 एयरक्राफ्ट के साथ दुनिया की नंबर वन नेवी बनने का है .जल्द 56 जंगी जहाज और पनडुब्बियां बेड़े में शामिल होने की उम्मीद है , 32 जंगी जहाजों के निर्माण का काम जारी है.
- 2008 के बाद अदन की खाड़ी में गश्त के लिए नौसेना के 70 युद्धपोत लगाए गए. जिन्होंने 3440 से ज्यादा मालवाहक जहाजों को अदन की खाड़ी से गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचाया. बीते 10 साल में इसके लिए करीब 25 हजार नौसैनिक तैनात किए गए. अदन की खाड़ी यमन और सोमालिया के बीच 1000 किलोमीटर क्षेत्र में फैली है. यहां जहाजों को लुटेरों से बचाने के लिए भारत , चीन और 32 देशों की कम्बाइंड नेवी फोर्स निगरानी करती है.
- अप्रैल 2012 में परमाणु क्षमता युक्त रूस निर्मित पनडुब्बी आईएएनएस चक्र- 2 को नौसेना में शामिल कर लिया गया था . इसके साथ ही भारत परमाणु क्षमता युक्त पनडुब्बी वाला दुनिया का छठा देश बन गया था .
- रशिया से दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर , ‘ विक्रमादित्य ’ नौसेना के जंगी बेड़े में 2014 में शामिल हुआ.
- अगस्त 2014 में स्वदेशी तकनीक से बना देश का सबसे बड़ा युद्धपोत आईएनएस कोलकाता नौसेना में शामिल किया गया
- मई 2015 में देश की रक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण आईएनएस सरदार पटेल को नौसेना में शामिल कर लिया गया. इससे गुजरात के 1600 किलोमीटर लम्बे तटीय क्षेत्र की सुरक्षा को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी.
- सितम्बर 2015 में INS कोच्चि देश में निर्मित सबसे बड़ा जंगी जहाज नौसेना में शामिल किया गया . यह कोलकाता श्रेणी (परियोजना 15 ए) का दूसरा ‘ गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रोयर ’ जहाज है और अपनी श्रेणी में दुनिया के सबसे बेहतरीन विध्वंसक जहाजों में से एक है. इसकी मारक क्षमता 300 किमी है. 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले के बाद से पश्चिम में समुद्री तटों की सुरक्षा सबसे बड़ी चिंता बन गई थी.यह अत्याधुनिक हथियारों से लैस युद्धपोत है. ब्रम्होस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल , लंबी दूरी वाला समुद्र की सतह से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम , 76 मिमी व 30 मिमी की गन और एंटी सब टारपीडो और रॉकेट आदि इसपर लगे हुए हैं. इस पर सीकिंग और चेतक जैसे दो हेलिकॉप्टर भी रखे जा सकते हैं.
- सितम्बर 2017 में आईएनएस तारासा को भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया. आईएनएस तारासा एक निगरानी युद्ध पोत है जिसको आधुनिक तकनीक के साथ भारत के पश्चिमी तटों की निगरानी और सुरक्षा के लिए डिज़ाइन किया गया है.
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- 16 अक्टूबर , 2017 को तीसरा ‘ एंटी-सबमरीन वारफेयर ’ (ASW : Anti-Submarine Warfare) स्टील्थ युद्धपोत ‘ आईएनएस किल्तान ’ नौसेना में शामिल किया गया. ये युद्धपोत पनडुब्बी को मार गिराने में सक्षम है
- दिसंबर 2017 में आईएनएस कलवरी स्कॉर्पियन सीरीज की पहली पनडुब्बी को नौसेना में शामिल किया गया , इससे भारतीय नौसेना की ताकत और बढ़ गई है. ये देश की पहली ऐसी पनडुब्बी है जिसे मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत बनाया गया है.परमाणु हथियारों से लैस इस पनडुब्बी की सबसे खास बात यह है कि ये समुद्र में होने वाली किसी भी तरह की गतिविधियों का पता लगा सकती है. इसी के साथ ही भारत की इस नई पनडुब्बी से हिंद महासागर में चीन को करारा जवाब दिया जा सकेगा.
- · दुश्मनों की गतिविधियों पर पैनी नजर रखने और वक्त आने पर उनके छक्के छुड़ाने में सक्षम आईएनएस करंज को 31 जनवरी को नौसेना में शामिल किया गया है , यह सबमरीन किसी भी रडार से बचते हुए दुश्मनों को तहस-नहस करने में सक्षम है.
Source : News Nation Bureau