राजधानी दिल्ली सहित पूरे देश में 71वें गणतंत्र दिवस की तैयारी जोरों पर है, हर कोई देशभक्ति के रंग में ओत-प्रोत नजर आ रहा है. इस साल भारत अपना 71वां गणतंत्र दिवस मनाएगा. इस दिन देश का संविधान लागू हुआ था. इस उपल्क्ष्य में देश के राष्ट्रपति राजपथ पर झंडा फहराते हैं. हमारा तिरंगा भारत और हर भारतवासी का गर्व है इसलिए ये कश्मीर से कन्याकुमारी तक, सियाचीन की बर्फीली पहाड़ियों से लेकर रेगिस्तान की तपती रेत तक शान से लहराता है. लेकिन इस मौके पर हम आपको भारतीय झंडे के इतिहास से रूबरू कराएंगे.
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1. पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक कोलकाता में फहराया गया. इस झंडे में केसरिया रंग सबसे उपर, बीच में पीला, और सबसे नीचे हरे रंग का इस्तेमाल किया गया था.
2. दूसरा ध्वज 1908 में भीकाजी कामा ने जर्मनी में तिरंगा झंडा लहराया, इस तिरंगे में सबसे ऊपर हरा रंग था, बीच में केसरिया, सबसे नीचे लाल रंग था.
3. तीसरा ध्वज, 1916 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने एक निश्चित ध्वज निर्माण करने का फैसला किया. इस ध्वज में 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां थीं
4. पहला गैर आधिकारिक ध्वज 1921 में विजयवाड़ा में हुई अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक के दौरान इस झंडे का इस्तेमाल किया गया, ये झंडा यह दो रंगों का बना था- लाल और हरा, इस झंडे पर गांधी के चरखे का भी निशान था.
भारतीय तिंरगा की खासियत
राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग की पट्टियां है. जिसमें सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद ओर नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी है. तीनों रंग की पट्टियां एक समान लंबाई और चौड़ाई की है. सफेद पट्टी के बीच में गहरे नीले रंग का चक्र है. ये चक्र अशोक की राजधानी सारनाथ के शेर के स्तंभ पर बना हुआ है. इस चक्र का व्यास सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है और इसमें 24 तीलियां है.
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बता दें कि 1931 में फिर झंडे में बदलाव किए गए, इस बार इसमें केसरिया, सफेद और हरे रंग की पट्टी जोड़ी गई, साथ ही इसमें अशोक चक्र का भी इस्तेमाल किया गया... जिसके बाद राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को 1947 में संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया.