यूक्रेन (Ukraine) पर 24 फरवरी को रूस के हमले के चंद दिनों बाद ही साफ हो गया था कि इससे हथियारों की होड़ को बढ़ावा मिलेगा. अब जब रूस (Russia)-यूक्रेन युद्ध 17वें दिन में प्रवेश कर चुका है, तो एशिया टाइम्स की रिपोर्ट ने पुष्टि कर दी है कि रूस-यूक्रेन जंग से रक्षा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश शुरू हो चुका है. मोटे तौर पर कहें तो जंग से अमेरिका (America) की हथियार निर्माता कंपनियां अरबों डॉलर कूटने में जुट गई हैं. चीन (China) भी रूस-यूक्रेन युद्ध रूपी आपदा को अवसर की तरह भुना रहा है. हाल ही में पुतिन ने शी जिनपिंग से विमानों के पुर्जों की आपूर्ति में मदद मांगी थी, जिसे ठुकरा दिया गया. अब पता चला है कि चीन ने यूएई से एक बड़ा हथियार सौदा किया है.
यूक्रेन के दिए जा रहे अरबों डॉलर के हथियार
एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक यूरोपीय संघ ने 45 करोड़ यूरो के हथियार खरीद यूक्रेन को देने का निर्णय किया है. अमेरिका ने भी 35 करोड़ डॉलर की अतिरिक्त सैन्य सहायता देने की इच्छा जताई है. इससे पहले अमेरिका 65 करोड़ डॉलर की सैन्य सहायता यूक्रेन को दे चुका है. इनके समेत अमेरिका और नाटो देश 17 हजार एंटी टैंक हथियार और 2000 स्टिंगर एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइलें भेज रहे हैं. नए घटनाक्रम में यूक्रेन में रूस के खिलाफ विद्रोही गुट को आकार देने के लिए ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, तुर्की और कनाडा के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बन रहा है. जाहिर है इसे भी रूस के खिलाफ हथियारों की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में दुनिया की दिग्गज हथियार निर्माता कंपनियों की चांदी हो गई है.
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अमेरिकी रक्षा कंपनियों के शेयर चढ़े
गौरतलब है कि अमेरिकी कंपनी रेथियान स्टिंगर मिसाइल बनाती है, तो यही कंपनी लॉकहीड मॉर्टिन के साथ मिलकर जेवलिन एंटी टैंक मिसाइल बनाती है. यही साज-ओ-सामान अमेरिका और अन्य नाटो देशों ने बड़े पैमाने पर यूक्रेन को दिया है. इसके बाद लॉकहीड और रेथियान के शेयर क्रमश: 16 प्रतिशत और 3 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं. हथियारों की बिक्री में अमेरिकी कंपनियां सबसे आगे हैं. 2016 से 2020 के बीच दुनिया में कुल बिके हथियारों में से 37 फीसदी अमेरिकी थे. इसके बाद रूस का 20 फीसदी, फ्रांस 8 फीसदी, जर्मनी 6 और चीन 5 फीसदी था. तुर्की रूस की चेतावनी को नजरअंदाज कर यूक्रेन को हमलावर ड्रोन विमान दे रहा है. इसके अलावा इजरायल का रक्षा उद्योग भी जमकर कमाई कर रहा है. यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद जर्मनी और डेनमार्क ने भी अपना रक्षा बजट बढ़ाने की घोषणा कर दी है.
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रूस को झटका तो चीन को भी मिल रहा फायदा
हालांकि इन सबके बीच रूस को इन हमलों से झटका लगा है. अमेरिका समेत पश्चिमी देशों के प्रतिबंध से रूस का रक्षा उद्योग भारी नुकसान उठा सकता है. भारत भी स्वदेसी तकनीक को बढ़ावा देकर रूस से लगातार हथियारों की खरीद कम कर रहा है. अमेरिका भी भारत पर इसके लिए परोक्ष दबाव बना रहा है. ऐसे में रूस के लिए अब हथियारों के लिए कच्चा माल तलाश करना बहुत मुश्किल हो जाएगा. इसके अलावा चीन भी अब खाड़ी देशों में हथियारों की बिक्री बढ़ा सकता है. हाल ही में चीन को यूएई से एक बड़ा ऑर्डर मिला है. इस लिहाज से रूस-यूक्रेन युद्ध से उसे भी फायदा हो रहा है.
HIGHLIGHTS
- अमेरिकी हथियार निर्माता कंपनियों को मिले करोड़ों डॉलर के ऑर्डर
- चीन ने भी यूएई से किया एक बड़ा हथियार सौदा, खाड़ी देशों में मांग
- ब्रिटेन, ईयू और इजरायल की तरफ भी कई देशों ने बढ़ाया हाथ