सोवियत-अफगानिस्तान युद्ध (Afghanistan) में अपनी वीरता के लिए जानी जाने वाली रूस (Russia) के एलीट सशस्त्र बल को विगत साल से जारी युद्ध में यूक्रेनी सेना ने कहीं अधिक नुकसान पहुंचाया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रूस के सशस्त्र बलों में 331वीं गार्ड्स पैराशूट रेजिमेंट को 'सर्वश्रेष्ठ से भी सर्वश्रेष्ठ' माना जाता है. इस एलीट ब्रिगेड के 94 जवान विगत अप्रैल में यूक्रेनी (Russia Ukraine War) सेना ने मार गिराए. बीते साल जुलाई में इसी रेजिमेंट के मृत जवानों की संख्या 62 थी. इस रूसी एलीट ब्रिगेड के जवानों का हश्र भी आम रूसी सैनिकों सरीखा ही रहा. बड़े पैमाने पर यूक्रेन में शीतकालीन आक्रमण की घोषणा करने के बावजूद रूस को गंभीर झटके लगे हैं. वसंत का मौसम आते-आते दोनों देशाओं की सेनाएं काला सागर (Black Sea) के तट से लेकर पूर्वोत्तर यूक्रेन (Ukraine) तक सैनिकों संग गतिरोध में आ जाती हैं. अब एक वर्ष से अधिक समय से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध ने दोनों पक्षों की सेनाओं को खासा नुकसान पहुंचा है, जिसने उनके संसाधनों को भी कम कर दिया है.
इस शहर ने चुकाई युद्ध की भारी कीमत
मॉस्को से 300 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित कोस्त्रोमा शहर क्रेमलिन द्वारा अपने पड़ोसियों के खिलाफ लड़ी जाने वाली सभी मुख्य लड़ाइयों में सबसे आगे रहा है. हालांकि अब शहर में 331वीं गार्ड्स पैराशूट रेजिमेंट के जवानों की कब्रें हैं. असत्यापित रिपोर्टों का दावा है कि यूक्रेन युद्ध में रूस की इस एलीट रेजिमेंट को अपने सैकड़ों सैनिकों की जान से हाथ धोना पड़ा है. वह भी तब जब कोस्त्रोमा रेजिमेंट अपनी वीरता और सैन्य अभियानों के लिए मॉस्को के पड़ोसी देशों तक में लोकप्रिय रही है. ऐसे में यूक्रेन के साथ युद्ध में सैकड़ों एलीट जवानों का मारा जाना इस छोटे शहर में चर्चा का विषय है. कोस्त्रोमा की आबादी लगभग 250,000 है. स्थानीय रिपोर्टों का दावा है कि यूक्रेन युद्ध वास्तव में पूरे सोवियत-अफगान युद्ध की तुलना में अधिक घातक साबित हुआ है. अफगानिस्तान में नौ साल तक चले युद्ध में इस शहर के 56 सैनिकों की जान गई थी. सामरिक जानकार बताते हैं कि रूस की एलीट 331वीं गार्ड्स पैराशूट रेजिमेंट में कोस्त्रोमा के ही युवक बड़ी संख्या में भर्ती होते हैं.
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अफगान युद्ध से भी बदतर है रूस का यूक्रेन से युद्ध
अफगान युद्ध के नाम से जाने जाने वाले सोवियत-अफगान युद्ध 1979 से 1989 तक अफगानिस्तान में स्थापित सोवियत समर्थित लोकतांत्रिक गणराज्य में लड़ा गया था. वास्तव में युद्ध 1979 में सोवियत आक्रमण के साथ शुरू हुआ था. सोवियत सेना ने यह युद्ध अफगानिस्तान के मुजाहिदीन, किराए पर जुटाए गए विदेशी लड़ाकों और अन्य समूह के खिलाफ लड़ा था. उसकी तुलना में रूस-यूक्रेन युद्ध में कोस्त्रोमा रेजिमेंट में मृतकों की वास्तविक संख्या बहुत अधिक मानी जाती है. इसकी वजह कुछ सैनिक कोस्त्रोमा के बाहर से भी बताए जा रहे हैं, जिनकी पहचान कठिन है. इसके अलावा कई अन्य सैनिकों के लापता होने की भी सूचना है, जबकि उनमें से कुछ को मृतक मान लिया गया है.
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रूस की एलीट 331वीं गार्ड पैराशूट रेजिमेंट
33वीं गार्ड्स पैराशूट रेजिमेंट की ताकत करीब 1,500-1,700 जवानों से है. फरवरी 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने पर रेजिमेंट की दो बटालियन तैनात की गई, जिसमें कुल 1,000-1,200 सैनिक थे. हालांकि कीव पर कब्जा करने के असफल प्रयासों में एलीट ब्रिगेड के जवानों के मारे जाने पर पूरी रेजिमेंट को वापस बुला लिया गया. इसके साथ ही पिछले साल दक्षिणी रूसी शहर बेलग्राद में इस रेजिमेंट का पुर्नगठन शुरू किया गया. पिछले साल यूक्रेन से युद्ध शुरू होने पर इस रेजिमेंट से भारी उम्मीदें थीं कि इसके जवान कीव का रूस के साथ विलय कराने में सफल रहेंगे. 331वीं गार्ड्स पैराशूट रेजिमेंट के सैनिकों को एक समय रूस की सेना का सिरमौर माना जाता था. मई 2021 में पोस्ट किए गए एक वीडियो में एक रूसी जनरल ने रेजिमेंट के सैनिकों को 'सर्वश्रेष्ठ से भी सर्वश्रेष्ठ' करार दिया था. रूसी सेना की यह एलीट फोर्स बाल्कन, चेचन्या और 2014 में डोनबास में रूसी आक्रमण का नेतृत्व कर चुकी है. इसके जवान नियमित रूप से मास्को की रेड स्क्वायर परेड में भाग लेते हैं.
HIGHLIGHTS
- एलीट ब्रिगेड के 94 जवान विगत अप्रैल में यूक्रेनी सेना ने मार गिराए
- बीते साल जुलाई में इसी रेजिमेंट के मृत जवानों की संख्या 62 थी
- अफगानिस्तान युद्ध में एलीट ब्रेगिड के 56 सैनिकों की जान गई थी