राजस्थान (Rajasthan) के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के खिलाफ खुलकर विद्रोह का बिगुल फूंकने वाले डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने सूबे की सरकार को अल्पमत में ला दिया है. पायलट का दावा है कि उनके साथ 30 विधायकों का समर्थन है. साथ ही कई निर्दलीय भी उनके साथ हैं. ऐसे में मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की तर्ज पर प्रदेश सरकार का तख्ता पलटने की अटकलें और तेज हो गई हैं. जाहिर है अशोक गहलोत को अपनी कुर्सी बचाने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ सकती है, लेकिन इस सियासी उठापटक के बीच बाजी उसके हाथ रहेगी जिसके पास विधायकों का संख्या बल अधिक होगा.
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पायलट ने गहलोत को दी चुनौती
फिलहाल तो सचिन पायलट ने गहलोत सरकार को अल्पमत में बताकर एक चुनौती दे दी है. ऐसी स्थिति में अशोक गहलोत को विधानसभा में अपना बहुमत सिद्ध करना होगा. डिप्टी सीएम पायलट के दावे के आधार पर ऐसे निर्देश राज्यपाल दे सकते हैं. ऐसी सूरत में अशोक गहलोत को हफ्ता-दस दिन का समय ही मिलेगा. बहुमत साबित करने का निर्देश मिलते ही जोड़-तोड़ का असली खेल शुरू होगा. अगर पायलट अपने दावे पर खरे उतरे और उनके साथ 30 विधायक रहे तो गहलोत सरकार गिर जाएगी. इसके साथ ही नई सरकार के गठन से पहले कुछ दिनों के लिए राजस्थान में राष्ट्रपति शासन लग सकता है.
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फिलहाल किसके पास कितने विधायक
2018 में राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी को शिकस्त देकर सत्ता में आई कांग्रेस के पास वर्तमान में पार्टी के 101 विधायक हैं. ऐसे में यदि 30 विधायक पायलट के समर्थन में अलग हो जाते हैं या इस्तीफा दे देते हैं, तो गहलोत गुट के पास महज 71 विधायक बचेंगे. गहलोत खेमे में 6 विधायक वह भी शामिल होंगे जो बीएसपी छोड़कर पिछले साल ही कांग्रेस में शामिल हुए हैं, जबकि 13 निर्दलीय विधायकों में से भी करीब 10 विधायक उनके खाते में गिने जाते हैं, इसके साथ ही बीटीपी और सीपीएम के 2-2 और आरएलडी के 1 विधायक को गहलोत गुट में ही शामिल किया जाता है. हालांकि कोंग्रेस ने तीन उन निर्दलीय विधायकों की सदस्यता खत्म की जिनके खिलाफ एसीबी ने मामला दर्ज किया है. ऐसे में सियासी समीकरण के हिसाब से कांग्रेस के पास बहुमत से थोड़े ज्यादा विधायक बचेंगे.
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बीजेपी और पायलट का गणित
राजस्थान की 200 सदस्यीय विधानसभा में अभी बीजेपी के पास 75 विधायक हैं. इनमें 72 बीजेपी और 3 सहयोगी दल आरएलपी से हैं. अब यदि सचिन पायलट के समर्थक विधायकों की संख्या अगर 30 है और वो इस्तीफे देते हैं तो सदन में विधायकों की कुल संख्या 170 रह जाएगी. इस गणित के अनुसार 170 सदस्यों वाली विधानसभा में किसी भी पार्टी की सरकार बनाने के लिए 86 विधायकों के बहुमत की जरूरत होगी. बीजेपी के पास वर्तमान में 75 विधायक हैं. ऐसे में उन्हें 11 विधायकों के समर्थन की जरूर पड़ेंगी.
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निर्दलीय विधायक तय करेंगे नई सरकार
अब जैसा पायलट दावा कर रहे हैं कि 13 निर्दयलीयों में से कई उनके साथ हैं. यदि ऐसा होता है तो ये 11 विधायक तय करेंगे की किसकी सरकार बनेंगी? हालांकि पायलट समर्थक विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस में सैंधमारी के साथ निर्दलीय और अन्य छोटे दलों के विधायकों पर सबकी नजर रहेगी. हालांकि तब भी कांग्रेस का पलड़ा संख्या बल के हिसाब से बीजेपी से भारी नजर आ रहा है. ऐसे में निर्दलीय विधायकों का मत महत्वपूर्ण होगा.
HIGHLIGHTS
- कांग्रेस के पास दावे के हिसाब से 92 विधायकों का साथ.
- बीजेपी के पास 78 विधायक, बहुमत के लिए चाहिए 8 और.
- ऐसे में 11 निर्दलीय विधायकों की बढ़ जाएगी पूछ-परख.