राजस्थान में सियासी उथलपुथल खत्म हो चुकी है. सचिन पायलट कांग्रेस में वापसी कर चुके हैं. आज उनका 43वां जन्मदिन है. सचिन पायलट को सियासत विरासत में मिली है. उनके पिता राजेश पायलट कांग्रेस के कद्दवार नेताओं में से एक थे. ठीक उसी तरह कांग्रेस में सचिन पायलट का भी कद बड़ा है. सचिन पायलट सियासत में बहुत तेजी से उभरे. वह बहुत कम समय में भारत सरकार में मंत्री बने. कम उम्र में ही सांसद चुने गए. सचिन पायलट की अगुवाई में कांग्रेस ने राजस्थान विधानसभा का चुनाव जीता. पालयट जब राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे. तो वसुंधरा राजे सरकार की चुले हिलाने में अहम भूमिका निभाई थी.
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सचिन पालयट का जन्म और पढ़ाई
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में 7 सितंबर 1977 को सचिन पायलट का जन्म हुआ था. उनके पिता राजेश पायलट कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री थे. सचिन पायलट भारत के सबसे कम उम्र के संसद सदस्यों में से एक हैं. पायलट ने सेंट स्टीफेंस कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक डिग्री प्राप्त की है. अपनी स्नातक पूरी करने के दिल्ली ब्यूरो ऑफ़ ब्रिटिश ब्राडकास्टिंग कॉर्पोरेशन और उसके बाद अमेरिकन मल्टीनेशनल कॉर्पोरेशन जनरल मोटर्स में दो साल काम किया. व्हार्टन बिजनेस स्कूल (पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय, यू.एस.ए.) में बहुराष्ट्रीय मैनेजट और वित्त में विशेषज्ञता के साथ अपनी एमबीए किया है.
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भारत के कम उम्र के सांसदों में गिनती
सचिन पायलट साल 2004 में 14वीं लोकसभा में 26 साल की उम्र में सांसद चुने गए. वह सबसे युवा सांसद चुन गए थे. साल 2004 में ही पालयट को गृहमंत्रालय की संसदीय समिति का सदस्य बनाया गया. साल 2006 में उड्डयन मंत्रालय की सलाहकार समिति की सदस्य बनाए गए थे. साल 2006 में उड्डयन मंत्रालय की सलाहकार समिति की सदस्य बनाए गए. वहीं, 15वीं लोकसभा साल 2009 में भी वह सांसद चुने गए. साल 2009 में सचिन पायलट को केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया. इसके बाद उनको साल 2012 में कारपोरेट मंत्रालय में केंद्रीय राज्य मंत्री बने. साल 2018 में हुए चुनाव के बाद उन्हें राजस्थान में उप मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन बगावत के चलते उनसे पार्टी ने यह पद छीन लिया गया है. राजस्थान के टोंक विधानसभा सीट से विधायक हैं. पायलट ने 2004 में सारा अब्दुल्ला से शादी की. सारा जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की बेटी हैं.
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सचिन अच्छे पायलट हैं, पिता पर किताब लिखी है
सचिन पायलट को उड़ान भरने का शौक है और वह एक अच्छे शूटर भी है. उन्हें 1995 में एनवाई, यूएसए से अपना निजी पायलट लाइसेंस (पीपीएल) भी प्राप्त किया है. शूटिंग में सचिन पायलट कई राष्ट्रीय राइफल और पिस्तौल शूटिंग चैम्पियनशिप में दिल्ली का प्रतिनिधित्व किया. उन्हें क्षेत्रीय सेना में लेफ्टिनेंट के रूप में भी सेवाएं दी हैं. इसलिए उन्हें क्षेत्रीय सेना में लेफ्टिनेंट पायलट के रूप में भी जाना जाता है. किसानों और युवाओं से जुड़े मुद्दों पर सचिन रुचि लेते हैं. सचिन पायलट ने 2001 में अपने पिता पर राजेश पायलट: इन स्पिरिट फॉरएवर नाम की किताब लिखी हैं.
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विवाद से नाता जुड़ा, पिता की छाप
सचिन पायलट को निर्विवाद नेता माना जाता है. उनके मारे में सियासी गलियारों में कहा जाता है कि वह बेहद सादगी वाले नेता है, सिद्धांत और विचारों के मामले में ठीक अपने पिता की तरह कदम आवाज उठाने में पीछे नहीं रहते. हालही में राजस्थान में सियासी संग्राम होते देखा गया. जब सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार को संकट में डाल दिया था. अशोक गहलोत सरकार गिरने के कगार पर आ गई थी. सब अनुमान लगा रहे थे कि सचिन बीजेपी में जाएंगे. किंतु सचिन पायलट ने कांग्रेस पार्टी नहीं छोड़ी. पार्टी में रहकर अपनी आवाज उठाएंगे. दरअसल, सचिन के पिता राजेश पायलट भी कांग्रेस पार्टी ने बड़े नेता थे. वह भी अपनी आवाज पाट्री में खुलकर रखते थे. 2000 में जब बागी नेता जितेंद्र प्रसाद ने कांग्रेस अध्यक्ष पद पर सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा तो राजेश पायलट ने जितेंद्र प्रसाद का साथ दिया था. यानि उन्होंने सीधे तौर गांधी परिवार को ही चुनौती दी थी, लेकिन पार्टी नहीं छोड़ी.
Source : News Nation Bureau