महाराष्ट्र में 'वसूली कांड' के मसले पर सियासी भूचाल आया हुआ है. 'वसूली कांड' महाविकास अघाड़ी सरकार के लिए मुसीबत बन चुका है. महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर फूटे मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के 'लेटर बम' के बाद बीजेपी लगातार गठबंधन सरकार पर हमलावर है. इस बीच अनिल देशमुख पर 100 करोड़ रुपये वसूली के गंभीर आरोपों को लेकर महाविकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन के अंदर से भी विरोध की आवाज अब खुलकर सामने आ रही है. महाविकास अघाड़ी गठबंधन के घटक दलों में शामिल शिवसेना ने इस पूरे कांड पर अपना मुंह खोल दिया है. शिवसेना ने साथी दलों के साथ अपनी ही सरकार की जमकर बखिया उधेड़ी. उद्धव ठाकरे की पार्टी ने अनिल देशमुख पर भी करार वार किया है.
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'सामना' के जरिए शिवसेना ने किया वार
महाराष्ट्र में सरकार का नेतृत्व कर रही शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में अनिल देशमुख और अपनी ही सरकार और गृहमंत्री अनिल देशमुख पर मुखपत्र 'सामना' के जरिए निशाना साधा. शिवसेना ने कहा कि बीते कुछ महीनों में जो कुछ हुआ, उसके कारण महाराष्ट्र के चरित्र पर सवाल खड़े किए गए, लेकिन सरकार के पास ‘डैमेज कंट्रोल’ की कोई योजना नहीं है, ये एक बार फिर नजर आया. पार्टी ने यह भी कहा कि जो राष्ट्र अपना चरित्र संभालने के प्रति सतर्क नहीं रहता है वो राष्ट्र करीब-करीब खत्म होने जैसा ही है, ऐसा स्पष्ट समझ लेना चाहिए. शिवसेना ने सवालिया लहजे में कहा कि मुंबई पुलिस आयुक्तालय में बैठकर वाझे वसूली कर रहा था और गृहमंत्री को इस बारे में जानकारी नहीं होगी?
अनिल देशमुख को बताया एक्सीडेंटल गृहमंत्री
सामना में शिवसेना ने यह भी कहा कि अनिल देशमुख को गृहमंत्री का पद दुर्घटनावश मिला है. पार्टी ने कहा कि जयंत पाटील, दिलीप वलसे-पाटील ने गृहमंत्री का पद स्वीकार करने से मना कर दिया था, तब यह पद शरद पवार ने देशमुख को सौंपा. शिवसेना ने यह भी कहा है कि अनिल देशमुख ने वरिष्ठ अधिकारियों से बेवजह पंगा लिया. साथ ही पार्टी ने नसीहत है कि गृहमंत्री को कम-से-कम बोलना चाहिए. बेवजह कैमरे के सामने जाना और जांच का आदेश जारी करना अच्छा नहीं है.
देशमुख पर शिवसेना ने उठाया सवाल
इसके साथ ही शिवसेना ने सवाल उठाया कि संदिग्ध व्यक्ति के घेरे में रहकर राज्य के गृहमंत्री पद पर बैठा कोई भी व्यक्ति काम नहीं कर सकता है. पार्टी ने कहा कि पुलिस विभाग पहले ही बदनाम है. उस पर ऐसी बातों से संदेह बढ़ता है. पुलिस विभाग का नेतृत्व सिर्फ सैल्यूट लेने के लिए नहीं होता है. वह प्रखर नेतृत्व देने के लिए होता है. प्रखरता ईमानदारी से तैयार होती है, ये भूलने से कैसे चलेगा? शिवसेना ने लिखा, 'परमबीर सिंह ने जब आरोप लगाया तब गृह विभाग और सरकार की धज्जियां उड़ी. परंतु महाराष्ट्र सरकार के बचाव में एक भी महत्वपूर्ण मंत्री तुरंत सामने नहीं आया. लोगों को परमबीर का आरोप प्रारंभ में सही लगा, इसकी वजह सरकार के पास डैमेज कंट्रोल के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी.'
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सरकार किस्मत से बच रही- शिवसेना
इसके साथ ही शिवसेना ने लिखा, 'महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने इस पूरे दौर में निश्चित तौर पर क्या किया? राज्यपाल आज ठाकरे सरकार जाए इसके लिए राजभवन के समुद्र में बैठकर ईश्वर का अभिषेक कर रहे हैं.' सामना में आगे लिखा, 'अधिकारियों पर निर्भर रहने का परिणाम राज्य सरकार भुगत रही है. सरकार को क्या करना चाहिए ये कहने के लिए यह प्रपंच नहीं है. सरकार फिसलन भरे छोर से फिसल रही है और किस्मत से बच रही है.'
शिवसेना की टिप्पणी पर अनिल देशमुख ने रखी राय
हालांकि शिवसेना की इस टिप्पणी पर अनिल देशमुख ने भी अपनी राय रखी है. अनिल देशमुख का कहना है कि पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने जो आरोप मुझ पर लगाया है, उस बारे में मैंने जानकारी सीएम को दी है और कैबिनेट को भी बताई है. मैंने इसके जांच की मांग की है और सीएम ने यह पूरी जांच रिटायर्ड जज के द्वारा कराने का आदेश दिया है, जो सच है सामने आ जाएगा.
नवाब मलिक ने शिवसेना पर किया पलटवार
उधर, सामना के अग्रलेख के रोखठोख में अनिल देशमुख बाबत लिखी बातों को लेकर महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक मंत्री नवाब मलिक ने बयान देते हुए कहा है कि सामना के अग्रलेख के रोखठोख में जिस तरह से लिखा है, ऐसा लिखने का उन्हें पूरा अधिकार है. लेकिन ये कहना कि अनिल देशमुख को एक्सीडेंटल गृहमंत्री हैं, इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है, ये गलत है. नवाब मलिक ने यह भी कहा कि अनिल देशमुख पांच बार विधायक रहे हैं. वही तकरीबन 18 साल में देशमुख राज्यमंत्री रहे, मंत्री बनकर काम किया. ऐसे में ये कहना कि अनिल देशमुख एक्सीडेंटल गृहमंत्री है, ये उचित नहीं है. हां कुछ जो कमियां गिनाई गई हैं, उसे दूर करने का काम करेंगे.
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महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट और बढ़ने के आसार
बहरहाल, विपक्ष के सवालों के बीच अब गठबंधन के अंदर से उठे सवालों के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट और बढ़ने के आसार है. जिस तरह अनिल देशमुख पर महाविकास अघाड़ी के घटक दलों ने प्रतिक्रियाएं दी हैं, उससे लगने लगा है कि देशमुख अब गृह मंत्री पद पर ज्यादा दिन नहीं रहेंगे. हालांकि बयानबाजी के दौर के बीच आगे क्या कुछ होने वाला है, ये आने वाले वक्त में ही साफ हो पाएगा.
HIGHLIGHTS
- 'वसूली कांड' पर खोला शिवसेना ने मुख
- सामना में शिवसेना ने जमकर उधेड़ी बखिया
- अनिल देशमुख को बताया एक्सीडेंटल गृहमंत्री