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बिहार में फिर कुछ बड़ा होने वाला है! क्या नीतीश कुमार फिर करेंगे खेला?

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ सभी विपक्षी दलों को एकजुट करने की कवायद करने वाले बिहार के CM नीतीश कुमार एक बार फिर से सुर्खियों में हैं.

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Deepak Pandey
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CM Nitish Kumar( Photo Credit : File Photo)

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लोकसभा चुनाव 2024 से पहले भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ सभी विपक्षी दलों को एकजुट करने की कवायद करने वाले बिहार के CM नीतीश कुमार एक बार फिर से सुर्खियों में हैं. ऐसा बताया जा रहा है कि बिहार में एक बार फिर से नए सियासी समीकरण बन सकते हैं. सियासी गलियारों में अब ये सवाल उठने लगे हैं कि क्या बिहार में गठबंधनों का गणित बदलने वाला है? पश्चिम बंगाल से लेकर महाराष्ट्र तक और कश्मीर से तमिलनाडु तक के विपक्षी नेताओं को I.N.D.I.A गठबंधन के मंच पर लाने वाले नीतीश कुमार को लेकर अटकलों में कितना दम है, ये आने वाले समय में पता चलेगा, लेकिन घटनाक्रम कुछ इशारा कर रहा है. बीजेपी के नेता बार-बार ये जरूर कह रहे हैं कि नीतीश के लिए एनडीए के दरवाजे बंद हो गए हैं. लेकिन ये भी सच्चाई है कि सियासत में दोस्ती हो या दुश्मनी, परमानेंट नहीं होती है. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पिछले दिनों कहा था कि हमने कभी किसी को नहीं छोड़ा. जो लोग हमें छोड़कर गए हैं, उनको तय करना है कि वे कब लौटते हैं. 

यही वजह है कि एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं कि क्या नीतीश कुमार एनडीए में वापसी करेंगे? 

दरअसल, जब से नीतीश कुमार जी-20 सम्मेलन में राष्ट्रपति द्वारा आयोजित डिनर में शामिल होने के लिए गए हैं, तभी से बिहार की सियासत में भूचाल मचा है. इस डिनर के दौरान सीएम नीतीश कुमार की पीएम मोदी से भी मुलाकात हुई. दोनों नेताओं के बीच गर्मजोशी देखने को मिली और पीएम मोदी ने नीतीश को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से भी मिलवाया, उनका परिचय कराया. पीएम मोदी और नीतीश की तस्वीरों के सामने आने के बाद बिहार बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी और एलजेपी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने तंज करते हुए कहा कि एनडीए में जगह खाली नहीं है. वहीं, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतनराम मांझी ने कहा कि प्रधानमंत्री जिस तरीके से नीतीश कुमार का अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से परिचय करा रहे हैं, उसमें कई संकेत छिपे हैं, जो आने वाले समय में पता चलेंगे. मांझी के बयान के बाद ये चर्चा तेज हो गई कि वो संकेत कहीं नीतीश की एनडीए में वापसी तो नहीं?

बिहार में सियासी गणित बदलने बात कही जाने की दूसरी वजह ये भी माना जा रहा है कि केंद्र ने बिहार के लिए खजाना खोल दिया है. बता दें कि जी-20 के डिनर पर पीएम मोदी और नीतीश कुमार की मुलाकात शनिवार की रात हुई और अगले दिन रविवार को छुट्टी होने के बावजूद केंद्र ने बिहार के लिए खजाने का मुंह खोल दिया. 15वें वित्त आयोग ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए बिहार को 3884 करोड़ रुपये देने की सिफारिश की थी. केंद्र ने रविवार के दिन पहली किश्त के 1942 करोड़ रुपये जारी कर दिए. इसे लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार और एनडीए के बीच कम होती दूरी, दिल्ली से करीबी के संकेत के रूप में लिया जा रहा है. 

नीतीश कुमार के फिर से सियासी दांव मारने के कयास लगने का तीसरा कारण है कि नीतीश कुमार जी-20 डिनर से पटना लौटने के बाद कुछ ज्यादा एक्टिव नजर आए. पटना लौटने के बाद नीतीश कुमार ने जेडीयू नेताओं के साथ लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर चर्चा के लिए बैठक की. सीएम नीतीश ने अपनी पार्टी के नेताओं के साथ बैठक की और जिलाध्यक्षों को टिकट को लेकर आश्वासन भी दिया. सीएम ने कहा कि किसी को इधर उधर जाने की जरूरत नहीं है. नीतीश कुमार की सियासत को करीब से जानने वालों की मानें तो वे जब कोई बड़ा फैसला लेते हैं अपनी पार्टी के नेताओं से बात जरूर करते हैं. नीतीश कुमार ने अपने नेताओं को टिकट के लिए इधर-उधर न जाने की नसीहत और आश्वासन दोनों दे तो दिया है लेकिन ऐसा मुमकिन कैसे होगा? सवाल ये भी उठ रहे हैं कि क्या ये नीतीश के अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी का संकेत है? 

विपक्षी इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस यानी इंडिया गठबंधन की कोऑर्डिनेशन कमेटी की पहली मीटिंग 13 सितंबर को शरद पवार के आवास पर हुई. जेडीयू की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह कोऑर्डिनेशन कमेटी में हैं. नीतीश कुमार ने ही विपक्षी दलों को एकजुट कर एक मंच पर लाने की पहल की थी. पहली कोऑर्डिनेशन बैठक से पहले ललन सिंह के बीमार होने को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं.

लैंड फोर जॉब मामले में लालू यादव और उनके परिवार पर शिकंजा कस गया है. गृह मंत्रालय ने सीबीआई की ओर दाखिल सप्लीमेंट्री चार्जशीट के आधार पर पूर्व रेल मंत्री लालू यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत दे दी है. सप्लीमेंट्री चार्जशीट में लालू यादव और राबड़ी देवी के साथ ही बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव समेत 16 लोगों के नाम हैं. तो ऐसे में ये कहाना गलत नहीं होगा कि बिहार में हालात बिलुकल 2017 जैसे ही बन गए हैं. उस वक्त नीतीश ने महागठबंधन से अलग होने का फैसला किया था.

नवीन कुमार की रिपोर्ट

Source : News Nation Bureau

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