लोकसभा चुनाव के बाद अलग-अलग समय पर हुए विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद कांग्रेस (Congress) नेतृत्व खासकर पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के खिलाफ आवाज मुखर होनी शुरू हो गई थीं. कपिल सिब्बल समेत गुलाम नबी आजाद तो कुछ ज्यादा ही मुखर थे. हालांकि हालिया तीन राज्यों में हार के बाद अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) डैमेज कंट्रोल के मोड में आईं और आजाद से मुलाकात कर लंबित मामलों को सुलझाने के प्रयास शुरू किए. इसके साथ ही उन्होंने संसद के बजट सत्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार (Modi Government) को घेरने के लिए पार्टी सांसदों को प्रेरित भी किया. संसद के अंदर-बाहर सक्रिय होने का सोनिया का मकसद यही था कि पार्टी में फूट से पहले आंतरिक दरार को भरा जा सके.
असंतुष्ट समूह से शुरू किया विचार-विमर्श
डैमेज कंट्रोल के तहत अंतरिम अध्य़क्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के अंदर विद्रोही समूह के साथ विचार-विमर्श शुरू किया. खासकर जो राहुल गांधी के कामकाज से सहज नहीं हैं. उन्होंने संसद में भी मनरेगा का मुद्दा उठाया और कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में उन्होंने पार्टी के अंदर और बाहर संदेश देने में सावधानी बरती. यही नहीं, कांग्रेस संसदीय दल की बैठक के दौरान उन्होंने दलबदलू नेताओं को संदेश दिया कि कांग्रेस पार्टी जैसे संगठन के सभी स्तरों पर एकता ही सर्वोपरि है.
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चुनाव परिणामों के बाद सुधार पर दिया जोर
सोनिया गांधी ने खासतौर से चुनाव परिणामों के बाद असंतुष्टों नेताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों को भी समान महत्व दिया. उन्होंने कहा 'मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि हाल के चुनाव परिणामों से आप कितने निराश हैं. वे चौंकाने वाले रहे हैं. कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने हमारे प्रदर्शन की समीक्षा के लिए एक बार बैठक भी की है. मैंने अन्य सहयोगियों से भी मुलाकात की है. मुझे हमारे संगठन को कैसे मजबूत किया जाए, इस पर कई सुझाव मिले हैं. कई प्रासंगिक हैं और मैं उन पर काम कर रही हूं.'
कांग्रेस लोकतंत्र के लिए जरूरी
उन्होंने भाजपा विरोधी मोर्चे के बारे में भी बात की क्योंकि उनका मानना है कि कांग्रेस लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए जरूरी है. केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा संदिग्ध व्यक्तियों की खोज से परेशान विपक्षी दलों के बारे में उन्होंने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि शिवसेना, टीएमसी, राकांपा, एनसी नेताओं को एजेंसियों की अतिरिक्त सक्रियता के कारण नुकसान उठाना पड़ रहा है. यहां तक कि नेशनल कांफ्रें स के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से भी ईडी ने पूछताछ की थी.
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विपक्ष डर फैला रहा
उन्होंने समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों के बारे में कहा कि सत्ता में रहने वालों के लिए अधिकतम शासन का मतलब स्पष्ट रूप से डर फैलाना है. इस तरह की धमकियां और रणनीति हमें न तो डरा सकती हैं और न ही चुप करा सकती हैं.' उन्होंने सोशल मीडिया के दुरुपयोग का मुद्दा उठाया और आरोप लगाया कि इसका इस्तेमाल नफरत फैलाने के लिए किया जा रहा है. उन्होंने कहा, 'फेसबुक और ट्विटर जैसी वैश्विक कंपनियों का इस्तेमाल नेताओं, पार्टियों और उनके प्रतिनिधियों द्वारा राजनीतिक आख्यानों को आकार देने के लिए किया जा रहा है.'
गुजरात औऱ हिमाचल विधानसभा चुनावों पर नजर
भाजपा खासकर मोदी सरकार को घेरते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि भावनात्मक रूप से दुष्प्रचार के माध्यम से युवाओं और बुजुर्गो के दिमाग में नफरत भरी जा रही है और फेसबुक जैसी प्रॉक्सी विज्ञापन कंपनियां इसे जानती हैं और इससे मुनाफा कमा रही हैं. सोनिया गांधी के कार्यों से पता चलता है कि वह पार्टी के आंतरिक चुनावों से पहले कांग्रेस को व्यवस्थित करने के लिए काम कर रही हैं और इस साल गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावों में भाजपा को आगे ले जाने के लिए काम कर रही हैं. वह गुजरात चुनाव के लिए राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर से भी मिली हैं, हालांकि अंतिम परिणाम का इंतजार है.
HIGHLIGHTS
- राहुल गांधी के खिलाफ उठ रहे स्वरों को शांत करने की कवायद
- मोदी सरकार को चहुं ओर से घेर कांग्रेसी सांसदों को दी समझाइश
- लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए कांग्रेस में एका पर दिया जोर