उत्तर प्रदेश में तथाकथित हिंसा, अपराध या कानून तोड़ने वालों के घरों को बुलडोजर से गिराने का मुद्दा लंबे समय चर्चा का विषय है. कानपुर हिंसा के बाद राज्य में एक बार फिर बुलडोजर कार्रवाई को रोकने की मांग हो रही है. जमीयत-ए-उलेमा हिंद द्वारा दायर नई याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल बुलडोजर की कार्रवाई को रोकने से तो इनकार कर दिया है, लेकिन सर्वोच्च अदालत ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य प्रतिवादियों को जमीयत-ए-उलेमा हिंद द्वारा दायर नई याचिका पर अपनी आपत्ति दर्ज करने के लिए तीन दिन का समय दिया, जिसमें विध्वंस अभियान को रोकने की मांग की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट जमीयत-उलेमा-ए-हिंद द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उत्तर प्रदेश के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी कि राज्य में संपत्तियों का कोई और विध्वंस उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना नहीं किया जाए. कानपुर हिंसा में उत्तर प्रदेश सरकार की बुलडोजर कार्रवाई की पृष्ठभूमि में याचिका दायर की गई थी, जो पैगंबर मुहम्मद पर भाजपा के पूर्व नेताओं द्वारा की गई विवादास्पद टिप्पणी पर विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई थी.
यह भी पढ़ें: बजरंग दल और VHP की हुंकार- हिंदू बेटी है नूपुर शर्मा, उसे नहीं छोड़ेंगे अकेला
पीठ ने कहा कि वह विध्वंस पर रोक नहीं लगा सकती, लेकिन कानून के अनुसार ऐसा करने के लिए कह सकती है. जस्टिस एएस बोपना और जस्टिस विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली बेंच मंगलवार 21 जून को मामले की सुनवाई करेगी.
उत्तर प्रदेश में हाल ही में निलंबित भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मुहम्मद पर टिप्पणी को लेकर भड़की हिंसा के बाद, सहारनपुर पुलिस ने शनिवार को शांति और सामाजिक सद्भाव को भंग करने के लिए. गिरफ्तार किए गए दो आरोपियों के घरों के हिस्सों को बुलडोजर से ध्वस्त करने के वीडियो को सोशल मीडिया पर साझा किया.
पुलिस द्वारा साझा किए गए दृश्यों में पुलिस और नगर निगम की टीमें आरोपी मुजम्मिल और अब्दुल वकीर के आवासों पर तैनात दिख रही हैं, जिसमें बुलडोजर से उनके घरों के फाटकों और बाहरी दीवारों को तोड़ दिया गया है, जिसके बारे में पुलिस का दावा है कि ये अवैध निर्माण हैं. सहारनपुर के एसएसपी आकाश तोमर ने कहा, “कल की घटना में आरोपियों की अवैध संपत्तियों पर कार्रवाई के लिए सहारनपुर प्रशासन, विकास प्राधिकरण, मजिस्ट्रेट, राजस्व टीम, नगर निगम और पुलिस की एक संयुक्त टीम बनाई गई थी.”
इसी तरह कानपुर में भी प्रशासन ने हिंसा के आरोपियों के घरों और दुकानों को बुलडोजर से ध्वस्त किया है. इसके साथ ही प्रयागराज में भी पीडीए ने हिंसा के 'मास्टरमाइंड' जावेद मोहम्मद के घर को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया. कानपुर में ध्वस्त की गई इमारतें जफर हयात हाशमी की थीं, जो हिंसा का मुख्य आरोपी है.
अपराधियों कीअवैध संपत्तियों पर बुलडोजर
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने हत्या, बलात्कार और जघन्य अपराधियों और माफियाओं के घरों औऱ अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर चलाया था. उस दौरान इसके पीछे तर्क यह था कि अपराधी अपराध को अंजाम देने के बाद सुरक्षित जेल में बैठ जाते हैं और अनकी अकूत कमाईं पर उनके परिजन और रिश्तेदार मौज करते हैं. फरार और जेल में बंद अपराधियों औऱ माफियाओं की संपत्ति पर चलने वाले बुलडोजर का जनता ने स्वागत किया था. लेकिन अब आरोपियों की संपत्ति पर भी बुलडोजर चलने का हर तरफ विरोध हो रहा है. विपक्ष, वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता कानूनी प्रक्रिया का पालन करके संपत्तियों पर बुलडोजर चलाने की मांग कर रहे हैं.
चुनावी मुद्दा बना था बुलडोजर
यूपी विधानसभा चुनाव-2022 में प्रदेश में बुलडोजर का मुद्दा छाया रहा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने चुनावी रैलियों औऱ सभाओं में बुलडोजर लेकर जाया करते थे और अपराधियों के घर और अवैध संपत्ति पर बुलडोजर चलाने की बात करते थे. उनकी सभाओं में बुलडोजर के पोस्टर और कट आउट भी लगे होते थे. उस दौरान उनके कई समर्थक भी बुलडोजर लेकर चल रहे थे.
HIGHLIGHTS
- अपराधियों के अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर
- यूपी में चुनावी मुद्दा बना था बुलडोजर
- बुलडोजर पर विवाद बढ़ता जा रहा है