मराठा प्राइड की लड़ाई में कांग्रेस (Congress) अपने आपको पिसा महसूस कर रही है. सुशांत सिंह राजपूत के मामले (Sushant Singh Rajput) में कंगना रनौत (Sanjay Raut) की एंट्री से जहां शिवसेना के संजय राउत जैसे कुछ नेता मुखर नजर आ रहे हैं तो वहीं, महाविकास अगाड़ी की एनसीपी जैसे सहयोगी दल कतई मुखर नहीं है. कांग्रेस की दुविधा ये है कि क्षत्रप राजनीति का हिस्सा बने या अपनी राष्ट्रीय अस्मिता का बरकरार रखे. इसी दुविधा से परेशान होकर महाराष्ट्र के दिग्गज कांग्रेस नेताओं ने आलाकमान से गुहार लगाई है कि वे किस तरफ खड़े हो. कांग्रेस की यहीं दुविधा राम मंदिर के मसले पर सामने आई थी.
महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी क्षेत्रीय पार्टियां हैं, लेकिन कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है. अंदरुनी कलह की वजह से पहले ही कांग्रेस कई राज्यों में संकट का सामना कर रही है. खासकर, राजस्थान संकट को लेकर तो अंदर ही अंदर कांग्रेस के नए और पुराने नेताओं की बीच जमकर तीर चले हैं. महाराष्ट्र में भी कांग्रेस का जमीनी कार्यकर्ता समझ ही नहीं पा रहा है कि इस लड़ाई में उसे किसके साथ खड़ा होना है.
एक पक्ष का मानना है कि अगर कांग्रेस मराठा प्राइड की लड़ाई में कूदती है तो उसे काफी नुकसान हो सकता है तो वहीं दूसरे पक्ष का मानना है कि बीजेपी की तरह ही कांग्रेस को भी किसी मुद्दे पर स्टैंड लेना चाहिए. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस का आलाकमान भी इसी दुविधा का शिकार है.
अगर कांग्रेस सुशांत सिंह राजपूत के मामले में शिवसेना का साथ देती है तो उसे बिहार विधानसभा चुनाव में नुकसान हो सकता है. अगर कांग्रेस कंगना रनौत के मामले में संजय राउत के बयान को सही ठहारती है तो उस पर क्षेत्रीय पार्टी का ठप्पा लग जाएगा, जिससे मुस्लिम वोट बैंक कांग्रेस से नाराज हो सकता है. ऐसे में कांग्रेस सुशांत मामले में कुछ बोलने से बच रही है.
यही वजह है कि इन मसले पर आलाकमान की राय जानने के लिए महाराष्ट्र के तीन बड़े चेहरों ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के खास कहने जाने वाले अहमद पटेल से मुलाकात की है. महाराष्ट्र सरकार में कांग्रेस कोटे के तीन सीनियर मंत्री बालासाहेब थोरात, अशोक चह्वाण और नितिन राउत शनिवार को दिल्ली में अहमद पटेल से मिले. सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस यह मानती है कि शिवसेना और एनसीपी क्षेत्रीय दल है और मराठा प्राइड के नाम पर राजनीति करती रही है, लेकिन कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है और बिहार में चुनाव भी हैं. ऐसे में कांग्रेस करे तो क्या करे.
Source : News Nation Bureau