इस साल जनवरी माह में जब रूसी सेना यूक्रेन की सीमा को चारों तरफ से घेर रही थी, तब 28 जनवरी को ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने यूक्रेन संकट और ताइवान पर इसके संभावित प्रभाव पर चर्चा करने के लिए 'राष्ट्रीय सुरक्षा पर उच्च स्तरीय बैठक' की अध्यक्षता की. मीडिया रिपोर्ट की माने तो यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद से ताइवान की चिंता बढ़ गई थी. बीते अप्रैल माह के दौरान ताइवान की सेना ने एक हैंडबुक पब्लिश की. इसमें नागरिकों को संभावित चीन के हमले के लिए तैयार रहने की सलाह दी गई है.
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सन ली-फेंग ने कहा- 28 पन्नों की इस गाइड में ऐसी जानकारी है जो सैन्य संकट या आपदा के दौरान लोगों के काम आएगी. बताया जाता है कि पहली बार ताइवान की सेना ने ऐसी हैंडबुक पब्लिश की. इसमें बताया गया है कि हमले के दौरान मोबाइल ऐप के जरिए कैसे सुरक्षित जगह ढूंढना है. इसमें लोगों को हवाई हमले, आग लगने, इमारत ढहने, बिजली की कटौती और प्राकृतिक आपदाओं से कैसे बचना है. इस बारे में पूरी जानकारी दी गई है. एक चीनी अखबार के हवाले से भी दावा किया गया कि शी जिनपिंग ताइवान पर हमले की तैयारी कर रहे हैं. ताइवान में लगातार हो रही चीनी सेना की घुसपैठ उसी प्लान का नतीजा है.
ताइवान एयरस्पेस में लगातार चीनी घुसपैठ
इस महीने यानी मई में अब तक ताइवान एयरस्पेस में चीन ने कुल 68 मिलिट्री एयरक्राफ्ट भेंजे हैं. जिसमें 30 फाइटर जेट, 19 स्पॉटर प्लेन, 10 बॉम्बर औऱ 9 हेलीकॉप्टर शामिल हैं. पिछले साल चीन की तरफ से 239 दिनों में 961 बार ताइवान की सीमा का अतिक्रमण किया. ताइवान ने सितंबर 2020 से चीनी घुसपैठ को लेकर नियमित रूप से डेटा जारी करना शुरू किया. साई इंग वेन के 2016 में राष्ट्रपति चुने जाने के बाद चीन लगातार ताइवान पर दबाव बढ़ा रहा है. मार्च महीने के दौरान पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के 150 से ज्यादा जहाजों ने ताइवान के एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन में घुसपैठ की.
30 अप्रैल को चीन के People's Liberation Army Air Force (PLAAF) की तरफ से 2 रूसी सुखोई- 30 फ्लैंकर जेट ताइवान के एयरस्पेस में घुसे. 8 अप्रैल को चीनी विमान शेनयांग जे- 11 लड़ाकू जेट , शानक्सी वाई- 8, सीएआईसी डब्ल्यूजेड- 10 हेलीकॉप्टर व एमआई- 17 कार्गो हेलीकॉप्टर को ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र में देखा गया. ये सभी विमान ताइवान के दक्षिणी-पश्चिम सेक्टर में दिखाई दिए. 4 अक्टूबर 2021 को चीन ने सबसे बड़ी घुसपैठ की थी, जब इसकी वायुसेना के 56 युद्धक विमानों ने क्षेत्र में प्रवेश किया था. 23 जनवरी 2022 को 39 लड़ाकू विमानों के साथ चीन ताइवान के हवाई क्षेत्र में पहुंचा था.
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चीन लगातार कर रहा सैन्य अभ्यास
चीन ने ताइवान को धमकाने के लिए तीन दिन की मिलिट्री ड्रिल की. ताइवान के पूर्वी और दक्षिण-पश्चिमी सीमा के पास चीन की पिपुल्स लिबरेशन आर्मी के ईस्टर्न थिएटर कमांड ने तीन दिन का यह मिलिट्री अभ्यास किया गया. चीनी सेना के ईस्टर्न थिएटर कमांड ने अपने वीचैट ( WeChat) अकाउंट पर जारी एक बयान में बताया कि यह मिलिट्री अभ्यास 6 से 8 मई तक किया गया. इस बयान में बताया गया कि अभ्यास ताइवान के पूर्व और दक्षिण-पश्चिम में समुद्र और हवा में किया गया.
15 अप्रैल 2022- चीन ने ताइवान के नजदीक मिलिट्री ड्रील किया. ताइवान के नजदीक औऱ इस्ट चाइना सी में चीनी सेना ने फ्रिगेट, बॉम्बर और फाइटर प्लेन भेंजे.
7 मार्च 2022- चीनी सेना ने उत्तरी साउथ चाइना सी के नजदीक ड्रिल किया.
27 फरवरी से 1 मार्च के दौरान चीन ने साउथ चाइना सी में ड्रिल किया. यह ड्रिल साउथचाइना सी के 6 नॉटिकल माइल के रेडियस में हुआ.
ताइवान को लेकर चीन की मंशा
चीन मानता है कि ताइवान उसका एक प्रांत है, जो अंतत: एक दिन फिर से चीन का हिस्सा बन जाएगा. दूसरी ओर ताइवान ख़ुद को एक आज़ाद मुल्क मानता है. उसका अपना संविधान है और वहां लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार का शासन है. ताइवान दक्षिण पूर्वी चीन के तट से क़रीब 100 मील दूर स्थित एक द्वीप है. चीन यदि ताइवान पर क़ब्ज़ा कर लेता है तो पश्चिम के कई जानकारों की राय में, वो पश्चिमी प्रशांत महासागर में अपना दबदबा दिखाने को आज़ाद हो जाएगा. दुनिया के केवल 13 देश ताइवान को एक अलग और संप्रभु देश मानते हैं. चीन का दूसरे देशों पर ताइवान को मान्यता न देने के लिए काफ़ी कूटनीतिक दबाव रहता है. चीन ताइवान को अपना अभिन्न अंग मानता है. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी इसके लिए सेना के इस्तेमाल पर भी जोर देती आई है. पिछले साल अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि हम ‘ताइवान समझौते' का पालन करेंगे. उन्होंने कहा , 'मैंने ताइवान के बारे में शी से बात की है. हम इस बात पर सहमत हैं कि हम ताइवान समझौते का पालन करेंगे. हमने यह पूरी तरह स्पष्ट कर दिया है कि समझौते का पालन करने के अलावा उन्हें (चीन को) और कुछ नहीं करना चाहिए.' ताइवान समझौते से अमेरिकी राष्ट्रपति का अभिप्राय 1979 के ताइवान रिलेशंस एक्ट ( TRA) से है. इस समझौते के अनुसार अमेरिका के चीन के साथ कूटनीतिक संबंध इस पर निर्भर करेंगे कि ताइवान के भविष्य को शांतिपूर्ण तरीकों से तय किया जाएगा.
वन चाइना पॉलिसी
चीन की कम्युनिस्ट सरकार ताइवान के इस रुख का विरोध करती है. अपनी 'वन चाइना पॉलिसी' के तहत चीन कहता है कि ताइवान के किसी और देश के साथ कूटनीतिक संबंध नहीं हो सकते हैं. ताइवान इसका विरोध करता है. वहां साल 2016 और 2020 के राष्ट्रपति चुनावों में भी चीन का मुद्दा सबसे अहम रहा था. इन चुनावों में डीपीपी को मिली जीत को ताइवान के स्वतंत्र अस्तित्व पर जनता की मुहर के तौर पर देखा गया.
ताइवान के मुद्दे पर कौन किसके साथ... ?
ताइवान के पक्ष में अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस और इंडोनेशिया समेत कई देश हैं. तो वहीं ताइवान के विरोध में चीन, सोलोमन द्वीप, नॉर्थ कोरिया, पाकिस्तान (सरकार बदलने की वजह से तटस्थ भी हो सकता है).
चीन के लिए आसान नहीं है ताइवान पर हमला
रणनीतिक, भौगोलिक और सामरिक मुद्दे हैं जो चीनी सेनाओं के लिए ताइवान में प्रवेश करना और इसे अपने साथ मिलाना मुश्किल बना देते हैं. ताइवान के पास प्राकृतिक रक्षा कवच भी है क्योंकि उसके समुद्री तट बेहद उबड़-खाबड़ हैं और वहां के मौसम का अंदाज़ा पहले से नहीं लगाया जा सकता है. इसके पहाड़ों में ऐसी सुरंगें बनी हुई हैं जो मुख्य नेताओं को जीवित रख सकती हैं और चीन के किसी भी आक्रमण से सुरक्षा मुहैया करा सकती हैं. ताइवान चारों ओर से समुद्र से घिरा हुआ है और मुख्य भूमि चीन से लगभग 161 किमी दूर है. इसका मतलब है कि यूक्रेन के आक्रमण के विपरीत चीन को एक एंफिबियन अटैक करना होगा. एंफिबियन अटैक में बड़े पैमाने पर संसाधन-खपत होगा. ताइवान की ओर से बड़े पैमाने पर मिलिट्री तैनाती इसे और अधिक चुनौतीपूर्ण बना देगी. ताइवान ने साल 2018 में अपनी सैन्य क्षमता की योजना सार्वजनिक की थी. इसमें मोबाइल मिसाइल सिस्टम भी था, जिसकी मिसाइलें बिना पता चले लक्ष्य तक पहुंच सकती हैं. ज़मीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलें और एंटी-एयरक्राफ़्ट बंदूक़ें चीन के ताइवान पहुंचने से पहले तक उसे भारी नुक़सान पहुंचा सकती हैं.
ताइवान पर अटैक करने का मतलब है कि चीन को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. यूक्रेन की रक्षा करने के लिए अमेरिका का कोई कर्तव्य नहीं था. लेकिन ताइवान की रक्षा करना उसका कर्तव्य बनता है. अमेरिका ने 1954 में एक रक्षा संधि पर हस्ताक्षर कर चुका है. अमेरिका ताइवान का मुख्य आर्म्स सप्लायर रहा है. अगर चीन ताइवान पर आक्रमण करने का फैसला करता है तो उसे अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस जैसे अन्य सहयोगी देशों का भी सामना करना पड़ेगा. अमेरिका ने ताइवान में अपने सैनिकों को तैनात कर रखा है और अमेरिकी युद्धपोत ताइवान जलडमरूमध्य में नियमित तौर पर गश्त करते हैं. फ्रांस अपने कांग डिंग-क्लास फ्रिगेट्स को अपग्रेड करने में ताइवान की सहायता कर रहा है. जापान और ऑस्ट्रेलिया ने भी ताइवान की संप्रभुता को अपना समर्थन दे रखा है. यदि चीन ताइवान पर आक्रमण करने की कोशिश करता है तो जापान और अमेरिका ने पहले ही एक योजना तैयार कर ली है. ऑस्ट्रेलिया ने घोषणा की है कि यदि चीन सैन्य कार्रवाई करने का साहस करता है तो वह ताइवान को पूर्ण समर्थन देगा.
चीन से निपटने के लिए ताइवान की तैयारी
ताइवान अपने 45 लोकेशन पर एंटी-ड्रोन डीफेंस सिस्टम तैनात करने के लिए कुल NT$4.35 billion यानी करीब 146 करोड़ अमेरीकी ड़लर खर्च करेगी. ये 45 लोकेशन बाहरी द्वीपों से लेकर उच्च पर्वत श्रृंखलाओं तक होंगे. ताइवान मिलिट्री ने नेशनल चुंग-शान इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी NCSIST) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. छोटे मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) के क्षेत्र में वैश्विक बाजार में चीनी कंपनियों के दबदबे को देखते हुए यह समझौता किया गया है. सूत्रों के मुताबिक, डिफेंस सिस्टम को देश भर के 45 लोकेशन (वायु, नौसेना और मिसाइल बेस पर स्थापित किया जाना है, जिसमें दूरदराज के पर्वतीय क्षेत्रों और बाहरी द्वीप भी शामिल हैं.
- पिछले माह अप्रैल में यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने ताइवान को इक्विपेमेंट, ट्रेनिंग और अन्य सर्विस के लिए 95 मिलियन डॉलर का पैकेज अप्रूव किया.
- इसके अलावा ताइवान ऐसी मिसाइलें विकसित कर रहा है जो दुश्मन के हवाई ठिकानों पर हमला कर सकती हैं और क्रूज मिसाइलों को नीचे गिरा सकती हैं.
- चीन से तनाव के मद्देनजर ताइवान ने अगले पांच सालों के लिए अन्य मिलिट्री खर्च के रूप में पिछले साल T$240 billion ($8.20 billion) की घोषणा की है.
- ताइवान ने सालाना मिसाइल प्रोडक्शन दोगुना बढ़ाकर करीब 500 करने की योजना बनाई है.
- वहीं ताइवान के पास 6000 से ज़्यादा मिसाइल, 739 एयरक्राफ्ट, 91 लड़ाकू विमान, 1160 टैंक, 8750 बख्तरबंद गाड़ियां, कुल 4 सबमरीन औऱ 4 डिस्ट्रॉयर शिप हैं.
- ताइवान के पास हॉर्पून, स्टिंगर और AIM-9 Sidewinder जैसे खतरनाक मिसाइल है. ये तीनों मिसाइल ताइवान की सुरक्षा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
- ताइवान के पास खुद का बनाया Hsiung Feng 1, 2 और 3 जैसे एंटी-शिप मिसाइल सिस्टम हैं. Hsiung Feng 1 और 2 जैसे एंटी-शिप मिसाइल सिस्टम समुद्र में दुश्मन के नेवल शिप को आसानी से निशाना बना सकती है.
- ताइवान के पास खुद का डेवलप किया वान चिएन और टीएन कुंग 1-3 एयर-टू-ग्राउंड क्रूज़ मिसाइल है.
ताइवान के पास अमेरिकी हथियार
- ताइवान के पास अमेरिका से खरीदा पैट्रियॉट एडवांस्ड कैपेबिलिटी- 3 मिसाइल डिफेन्स सिस्टम है.
- ताइवान के पास अमेरिका से खरीदा F-16 फाइटर प्लेन है.
- ताइवान के पास फ़्रांस से खरीदा मिराज फाइटर प्लेन है.
- ताइवान के पास अमेरिका से ख़रीदा एवेंजर एयर डिफेंस सिस्टम है.
- अमेरिका ने ताइवान की मदद के लिए इंडो पैसिफिक रीजन में एक दर्जन से ज़्यादा एफ 22 तैनात किया है.
- ताइवान की मदद के लिए अमेरिका के 30000 सैनिक ताइवान में मौजूद हैं.
- अमेरिका ने ताइवान को 5,500 करोड़ के हथियार बेचने का किया एलान.
- ताइवान को 155 एमएम होवित्जर तोप देगा.
- युद्धपोतों के लिए 1698 सटीक गाइडिंग किट देगा.
- सतह पर मार करने वाली 135 मिसाइल भी देगा.
- 5 अप्रैल 2022 को पेंटागन ने कहा कि अमेरिकी विदेश विभाग ने ताइवान को पैट्रियट हवाई सुरक्षा प्रणाली के सहायक उपकरण, प्रशिक्षण और अन्य वस्तुओं की संभावित बिक्री के लिए 9.5 करोड़ डॉलर यानी लगभग सात अरब रुपये के सौदे में मंजूरी दे दी है.
वहीं फ्रांस अपने कांग डिंग-क्लास फ्रिगेट्स को अपग्रेड करने में ताइवान की सहायता कर रहा है. चीन ताइवान पर आक्रमण करने की कोशिश करता है तो जापान और अमेरिका ने पहले ही एक योजना तैयार कर ली है.
ऑस्ट्रेलिया ने घोषणा की है कि यदि चीन सैन्य कार्रवाई करने का साहस करता है तो वह ताइवान को पूर्ण समर्थन देगा. जापान और ऑस्ट्रेलिया ने भी ताइवान की संप्रभुता को अपना समर्थन दे रखा है.
दुनिया के लिए अहम है ताइवान
ताइवान सिलिकॉन चिप का बड़ा उत्पादक देश है. ये ऐसे खास चिप होते हैं, जिनपर सेमीकंडक्टर सर्किट बनाए जाते हैं. ये चिप सिलिकॉन से बने होते हैं. दुनिया के लगभग सभी तकनीकी उत्पादों की जान इन्हीं चिप्स में बसती है. ये ताइवान का एक अहम उद्योग है, जिसपर लड़ाकू विमानों से लेकर सोलर पैनल तक और वीडियो गेम्स से लेकर मेडिकल उपकरण उद्योग तक निर्भर हैं. चीन भी ताइवान में बनने वाली एडवांस्ड सेमीकंडक्टर चिप्स पर निर्भर है.
दुनिया भर में सेमीकंडक्टर चिप्स की मांग के एक चौथाई हिस्से की आपूर्ति करने वाली 'ताइवान सेमीकंडक्टर मैनुफैक्चरिंग कंपनी' (टीएसएमसी) एक नए उत्पादन प्लांट में निवेश कर रही है. उसके ज़्यादातर खरीदार उत्तरी अमरिका के देशों से हैं. साल 2020 के आंकड़ों के मुताबिक़ टीएसएमसी को तकरीबन 62 फीसदी ऑर्डर नॉर्थ अमेरिका से मिले थे. ताइवान की रिसर्च कंपनी ट्रेंडफोर्स के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2021 में आमदनी के लिहाज से चिप डिजाइन करने वाली दुनिया की टॉप-10 कंपनियों में ताइवान की चार कंपनियां शामिल थीं.
HIGHLIGHTS
- चीन से मुकाबले के लिए ताइवान पूरी तरह तैयार
- अमेरिका समेत कई देश ताइवान के साथ
- दुनिया के लिए बेहद अहम है ताइवान की उपस्थिति