भारत ही दुनिया के अधिकांश देशों में परीक्षा परिणाम वाला महीना छात्रों के लिए बहुत तनाव वाला होता है. आज के गलाकाट प्रतिस्पर्धा के युग में हर अभिभावक की इच्छा होती है कि उसके बच्चे का प्राप्तांक अच्छा हो. अभिभावकों की यह इच्छा ही छात्रों के लिए तनावभरा होता है. हमारे देश की शिक्षा प्रणाली हमेशा अकादमिक संचालित रही है, अधिकांश शैक्षणिक धाराओं के लिए कट-ऑफ प्रतिशत 90 है और वहां पहुंचने के लिए छात्रों, स्कूलों और अभिभावकों की ओर से बहुत काम करने की आवश्यकता होती है. स्कूलों और दूसरे क्षेत्रों से इस तरह की बात आती है कि अगर छात्र 90 प्रतिशत अंक नहीं पाया तो भविष्य अंधकारमय है.
ऐसे में परीक्षा परिणाम आने के बाद से कम अंक पाने वाले छात्र आत्महत्या की तरफ बढ रहे हैं. परीक्षा परिणाम के बाद देश में ऐसी बहुत सी घटनाएं सुनने में आती है. अभी हाल ही में विभिन्न बोर्ड के परीक्षा परिणाम आए हैं. तमिलनाडु के शिवगंगई जिले में कराईकुडी के पास अपने घर में 12वीं कक्षा के एक छात्र ने कथित तौर पर फांसी लगा ली. पिछले दो सप्ताह में राज्य में किसी छात्र द्वारा कथित रूप से आत्महत्या करने का यह पांचवां मामला है.
तमिलनाडु में कई छात्रों ने की आत्महत्या
13 जुलाई को कल्लाकुरिची में स्कूल परिसर में 12वीं कक्षा का एक छात्र संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाया गया था. इस घटना के कारण 17 जुलाई को हिंसा हुई और स्कूल में तोड़फोड़ की गई, दस्तावेजों और प्रमाणपत्रों को जला दिया गया और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया.
25 जुलाई को तिरुवल्लूर और कुड्डालोर जिलों से भी ऐसे ही मामले सामने आए थे, जहां 12वीं कक्षा के दो छात्रों की कथित तौर पर आत्महत्या से मौत हो गई थी. शिवकाशी के पास अय्यंबट्टी इलाके में मंगलवार 26 जुलाई को 11वीं कक्षा की एक 17 वर्षीय लड़की ने अपने आवास पर फांसी लगा ली.
राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने छात्रों की आत्महत्या की खबरों के बाद सख्त कार्रवाई का वादा किया है. उन्होंने कहा, "हाल की कुछ घटनाएं दुखद रही हैं. स्कूल को एक सेवा के रूप में चलाया जाना चाहिए. आपको आत्मविश्वास, साहस और मानसिक शक्ति प्रदान करनी चाहिए. तमिलनाडु के छात्रों को सभी प्रकार की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होना चाहिए. आपको अपनी समस्याओं का साहसपूर्वक सामना करना चाहिए, विशेष रूप से छात्राएं."
तमिलनाडु में दो सप्ताह में पांच छात्रों ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली है-चार लड़कियां और एक लड़का. कक्षा 11 में पढ़ने वाली एक लड़की को छोड़कर, अन्य सभी कक्षा 12 के छात्र थे.
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सबसे पहले आत्महत्या की सूचना 13 जुलाई को कल्लाकुरिची जिले से मिली थी. उसकी मौत ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और आगजनी की, जिसमें कई घायल हो गए. तिरुवल्लूर, कुड्डालोर, शिवकाशी और शिवगंगा में सोमवार और बुधवार सुबह के बीच चार अन्य लोगों ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली.
छात्रों की आत्महत्या के पीछे शैक्षणिक दबाव?
एक निजी आवासीय स्कूल में मृत पाई गई कल्लाकुरिची की लड़की ने अपने सुसाइड नोट में दो शिक्षकों पर आरोप लगाया कि वे "उनके शैक्षणिक प्रदर्शन के लिए उन्हें अपमानित कर रहे हैं". कुड्डालोर में, चार पन्नों का एक सुसाइड नोट लड़की के "उसके माता-पिता द्वारा उस पर रखी गई IAS आकांक्षाओं को पूरा करने में असमर्थता" के बारे में था. शिवगंगा के लड़के के नोट में कहा गया था कि वह गणित और जीव विज्ञान में अच्छा अंक नहीं ला सकता. दो अन्य ने कोई नोट नहीं छोड़ा. इससे पहले, 6 जुलाई को कृष्णागिरी में एक छात्र की आत्महत्या से मौत हो गई थी, कथित तौर पर NEET नहीं निकाल पाने के कारण.
आत्महत्या से बचने के लिए मनोवैज्ञानिक परामर्श
सीएम एमके स्टालिन ने कहा है कि सभी प्रकार की चुनौतियों का सामना करने में मदद करने के लिए छात्रों में आत्मविश्वास, दृढ़ संकल्प और साहस प्रदान करना शिक्षण संस्थानों की जिम्मेदारी है. तमिलनाडु सरकार ने मनावर मनसु योजना के तहत स्कूली छात्रों को मनोवैज्ञानिक परामर्श देने के लिए 800 डॉक्टरों की नियुक्ति करने का फैसला किया है.
छात्रों के आत्महत्या का आंकड़ा
राष्ट्रीय डेटा एनसीआरबी की 2020 की रिपोर्ट से पता चलता है कि हर 42 मिनट में एक छात्र की आत्महत्या या एक दिन में 34 छात्रों की मौत होती है. 2020 में छात्रों द्वारा 12,526 आत्महत्याओं में से, 53% या 6,598 छह राज्यों-महाराष्ट्र, ओडिशा, एमपी, तमिलनाडु, झारखंड और कर्नाटक से थे. जबकि 2019 में कुल 1.3 लाख आत्महत्याओं में छात्र आत्महत्याओं का हिस्सा 7.4% था, वे 2020 में कुल 1.5 लाख आत्महत्याओं में से 8.2% थे.
HIGHLIGHTS
- मनोवैज्ञानिक परामर्श देने के लिए 800 डॉक्टरों की नियुक्ति
- हर 42 मिनट में एक छात्र की आत्महत्या
- एक दिन में 34 छात्रों की मौत होती है