इस वक्त पूरा विश्व कोरोना वायरस (corona virus) संक्रमण से जूझ रहा है. कोरोना वायरस की उत्पत्ति किसी लैब में हुई या कहीं और से, ऐसे कई सवाल अभी दुनिया के सामने हैं. इस बीच इस वायरस के वाहक बने चमगादड़ों पर कई देशों में रिसर्च की जा रही है. चीन (China) ने भी ऐसी ही रिसर्च जनवरी में उस वक्त की थी, जब वुहान समेत उसके सभी राज्यों में कोरोना वायरस ने अपने पैर जमाए और फिर पूरे चीन में कोरोना संक्रमण की मरीजों की संख्या हजारों में पहुंच चुकी थी.
यह भी पढ़ें: व्हाइट हाउस ने हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी को टि्वटर पर फॉलो किया था, अब कर दिया अनफॉलो
वैज्ञानिकों ने यूनान प्रांत में मौजूद चूना पत्थर की गुफाओं में चमगादड़ों पर खोज की थी. इस पर खोज करने वाली एक अमेरिका की गैर लाभकारी संस्था इको-हेल्थ एलाइंस थी. रिसर्च के दौरान वैज्ञानिक ने यहां से चमगादड़ों के जाल, खून और थूक समेत कई तरह के नमूनों को इकट्ठा किया था.
अपनी सुरक्षा के लिए इस दौरान वैज्ञानिकों ने विशेष सुरक्षा सूट पहने हुए थे. यहां बताते चलें कि अमेरिका की यह गैर लाभकारी संस्था इको-हेल्थ एलाइंस नए घातक वायरसों की पहचान करने और उससे बचाव में मदद करती है. संस्था इको-हेल्थ एलांइस के अध्यक्ष और वैज्ञानिक पीटर दासजाक ने इससे पहले भी इस तरह की कई रिसर्ज की हैं. वो खुद बीते 10 सालों में 20 से ज्यादा देशों में घातक वायरस की खोज कर चुके हैं.
यह भी पढ़ें: उत्तर प्रदेश: होम डिलीवरी करने वालों को लेकर सरकार चौकन्ना, होगी सभी की कोरोना जांच
गौरतलब है कि पूरी दुनिया में चमगादड़ों पर जो रिसर्च हुई है, उसमें करीब 500 खतरनाक वायरसों का पता चल पाया है. साल 2003 और 2004 में भी वैज्ञानिकों ने इस तरह के घातक वायरस की खोज की थी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वैज्ञानिक इस बात का दावा करते हैं कि दुनिया में फैल चुका नोवेल कोरोना वायरस अब तक खोजे गए घातक वायरस से करीब 96 फीसदी तक मिलता-जुलता है.
यह वीडियो देखें: