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सालों से चमगादड़ों पर हो रही है रिसर्च, 2013 में सामने आई थी कोरोना वायरस की थ्‍योरी

इस वक्त पूरा विश्व कोरोना वायरस संक्रमण से जूझ रहा है. कोरोना वायरस की उत्‍पत्ति किसी लैब में हुई या कहीं और से, ऐसे कई सवाल अभी दुनिया के सामने हैं.

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Dalchand Kumar
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सालों से चमगादड़ों पर हो रही रिसर्च, 2013 में सामने आई कोरोना थ्‍योरी( Photo Credit : फाइल फोटो)

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इस वक्त पूरा विश्व कोरोना वायरस (corona virus) संक्रमण से जूझ रहा है. कोरोना वायरस की उत्‍पत्ति किसी लैब में हुई या कहीं और से, ऐसे कई सवाल अभी दुनिया के सामने हैं. इस बीच इस वायरस के वाहक बने चमगादड़ों पर कई देशों में रिसर्च की जा रही है. चीन (China) ने भी ऐसी ही रिसर्च जनवरी में उस वक्‍त की थी, जब वुहान समेत उसके सभी राज्यों में कोरोना वायरस ने अपने पैर जमाए और फिर पूरे चीन में कोरोना संक्रमण की मरीजों की संख्या हजारों में पहुंच चुकी थी.

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वैज्ञानिकों ने यूनान प्रांत में मौजूद चूना पत्‍थर की गुफाओं में चमगादड़ों पर खोज की थी. इस पर खोज करने वाली एक अमेरिका की गैर लाभकारी संस्‍था इको-हेल्‍थ एलाइंस थी. रिसर्च के दौरान वैज्ञानिक ने यहां से चमगादड़ों के जाल, खून और थूक समेत कई तरह के नमूनों को इकट्ठा किया था.

अपनी सुरक्षा के लिए इस दौरान वैज्ञानिकों ने विशेष सुरक्षा सूट पहने हुए थे. यहां बताते चलें कि अमेरिका की यह गैर लाभकारी संस्था इको-हेल्थ एलाइंस नए घातक वायरसों की पहचान करने और उससे बचाव में मदद करती है. संस्था इको-हेल्‍थ एलांइस के अध्‍यक्ष और वैज्ञानिक पीटर दासजाक ने इससे पहले भी इस तरह की कई रिसर्ज की हैं. वो खुद बीते 10 सालों में 20 से ज्यादा देशों में घातक वायरस की खोज कर चुके हैं.

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गौरतलब है कि पूरी दुनिया में चमगादड़ों पर जो रिसर्च हुई है, उसमें करीब 500 खतरनाक वायरसों का पता चल पाया है. साल 2003 और 2004 में भी वैज्ञानिकों ने इस तरह के घातक वायरस की खोज की थी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वैज्ञानिक इस बात का दावा करते हैं कि दुनिया में फैल चुका नोवेल कोरोना वायरस अब तक खोजे गए घातक वायरस से करीब 96 फीसदी तक मिलता-जुलता है.

यह वीडियो देखें: 

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