उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी के कई विधायकों की नाराजगी के बाद सियासी संकट खड़ा हो गया है. एक बार फिर राज्य में बीजेपी के एक सीएम का कार्यकाल नहीं पूरा कर पाने का अतीत उसके सामने यक्ष प्रश्न बनकर खड़ा हो गया है ऐसे में क्या बीजेपी को सीएम रावत इस सियासी संकट से उबार पाएंगे या नहीं? सोमवार को बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को अचानक दिल्ली तलब कर प्रदेश की सियासी धड़कनें बढ़ा दी है. उत्तराखंड बीजेपी के कई विधायकों की सीएम रावत से नाराजगी के उनकी कुर्सी पर संकट मंडराता हुआ दिखाई दे रहा है. फिलहाल अभी ये तय नहीं है कि वो कुर्सी छोडेंगे या फिर बने रहेंगे लेकिन उत्तराखंड में सिर्फ एनडी तिवारी को छोड़कर दोनों बड़ी सियासी पार्टियों से कोई भी सीएम अभी तक अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है.
आपको बता दें कि उत्तराखंड की राजनीति का मिजाज कभी स्थिर नहीं रहा है. सूबे में बीजेपी तीसरी बार सत्ता में है, लेकिन कोई भी सीएम अपने पांच सालों का कार्यकाल अभी तक पूरा नहीं कर पाया है. आपको बता दें कि साल 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में इस राज्य का निर्माण हुआ और राज्य में उस समय बीजेपी की सरकार बनी थी, जिसके बाद अगले दो सालों में बीजेपी के ही दो मुख्यमंत्री बने थे.
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बीजेपी के इन नामों पर नए सीएम की चर्चा
सूत्रों की मानें तो उत्तराखंड में सीएम बदलने की तैयारी की रूपरेखा लिखी जा रही है. ऐसे में त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह पार्टी धन सिंह रावत या सतपाल महाराज के नाम पर नए सीएम के तौर पर विधायको के बीच सहमति बनाने की कोशिश की जा रही है. अगर इन दोनों नेताओं पर सहमति नही बनी तो केंद्र की तरफ से नैनीताल लोकसभा सांसद अजय भट्ट और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के नाम बढ़ाये जा सकते है. खास बात है कि राज्य के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय और कई विधायक पिछले दो दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. बीजेपी के संसदीय बोर्ड की नौ मार्च को दिल्ली में होने वाली बैठक में भी उत्तराखंड के मसले पर विचार होने की संभावना है.
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जेपी नड्डा और अमित शाह से रावत ने की मुलाकात
सोमवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण का दौरा रद्द कर दिल्ली कूच किया और वहां पहुंचकर पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर राज्य के हालात पर अपना पक्ष रखा. देहरादून में भाजपा नेतृत्व की तरफ से बीते शनिवार को भेजे गए दोनों ऑब्जर्वर ने कई विधायकों के साथ अलग से बैठक की थी. इस दौरान विधायकों ने बताया कि वर्तमान मुख्यमंत्री के नेतत्व में चुनाव लड़ने पर नुकसान हो सकता है. सरकार में ब्यूरोक्रेसी के हावी होने के कारण जनप्रतिनिधियों की नहीं सुनी जा रही है, जिससे जनता में भी नाराजगी है. ऑब्जर्वर्स ने ये रिपोर्ट बीजेपी नेतृत्व को सौंप दी है.
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उत्तराखंड बीजेपी का एक धड़ा रावत के खिलाफ
उत्तराखंड में भाजपा से जुड़े एक नेता ने कहा, 'अगले वर्ष 2022 में चुनाव है. कई विधायकों की नाराजगी के कारण वर्तमान मुख्यमंत्री के नेतृत्व में चुनाव लड़ना खतरे से खाली नहीं माना जा रहा है. हालांकि पार्टी नेतृत्व विधायकों को मनाकर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश में जरूर लगा है. ऑब्जर्वर की रिपोर्ट पर बीजेपी नेतृत्व को आगे का फैसला करना है. चेहरा नहीं बदला तो मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल होना तय माना जा रहा.' बता दें कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ कई मंत्रियों और विधायकों के मोर्चा खोलने के बाद बीजेपी आलाकमान ने शनिवार को दो केंद्रीय नेताओं को पर्यवेक्षक बनाकर देहरादून भेजा था.
HIGHLIGHTS
- उत्तराखंड में मचा सियासी भूचाल
- रावत रचेंगे इतिहास या छोड़ेंगे कुर्सी
- BJP का कोई CM नहीं पूरा कर सका कार्यकाल
- CM रावत ने की नड्डा और शाह से मुलाकात