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चीन पर भरोसा कई बार पड़ चुका है भारी, गलवान संघर्ष से अब तक 10 बड़ी बातें

भारत और चीन के बीच पिछले पिछले साल मई से ही विवाद जारी है. गलवान घाटी (Galwan Vally) 15-16 जून की रात में यह तनाव हिंसक झड़प में तब्दील हो गया. इसके बाद से एलएसी पर दोनों देशों के बीच हालात संघर्षपूर्ण बने हुए हैं.

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Kuldeep Singh
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चीन पर भरोसा कई बार पड़ चुका है भारी, गलवान से अब तक 10 बड़ी बातें( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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भारत और चीन के बीच पिछले पिछले साल मई से ही विवाद जारी है. गलवान घाटी 15-16 जून की रात में यह तनाव हिंसक झड़प में तब्दील हो गया. इसके बाद से एलएसी पर दोनों देशों के बीच हालात संघर्षपूर्ण बने हुए हैं. 1962 में एक बार जंग हो चुकी है जिसमें चीन की जीत हुई और भारत की हार. इसके बाद 1965 और 1975 में भी दोनों देशों के बीच हिंसक झड़पें हुई हैं. इसके बाद से भारत के सामने यह चौथा ऐसा मौका है जब हालात इस कदर तनावपूर्ण बने हुए हैं. 

गलवान में क्या हुआ 15-16 जून की रात ?
भारत और चीन के बीच मई 2020 में ही विवाद शुरू हो गया था. 15-16 जून को लद्दाख की गलवान घाटी में एलएसी पर हुई इस झड़प में भारतीय सेना के एक कर्नल समेत 20 सैनिकों की मौत हुई थी. भारत का दावा है कि चीनी सैनिकों का भी नुक़सान हुआ है लेकिन इसके बारे में चीन की तरफ़ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि गलवान घाटी में भारत-चीन लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर दोनों सेनाओं के बीच हुई झड़प में हथियार के तौर पर लोहे की रॉड का इस्तेमाल हुआ जिस पर कीलें लगी हुई थी. 

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कैसे हुई संघर्ष की शुरूआत 
भारत और चीन के बीच विवाद पिछले साल अप्रैल में ही शुरू हो गया था. चीन ने एलएसी के बाद सैनिकों की संख्या में एकाएक बढ़ोतरी शुरू कर दी थी. भारतीय सेना के ऐसे खुफिया इनपुट भी मिले कि चीन एलएसी पर तनाव की साजिश रच रहा है. इसके बाद से मई महीने में सीमा पर चीनी सैनिकों की गतिविधियाँ रिपोर्ट की गई हैं. चीनी सैनिकों को लद्दाख में सीमा का निर्धारण करने वाली झील में भी गश्त करते देखे जाने की बातें सामने आई थीं.

कितना बड़ा संघर्ष?  
भारत और चीन के बीच इतना बड़ा संघर्ष 45 साल बाद हुआ. इस संघर्ष में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए. इससे पहले 1975 भारतीय सेना के गश्ती दल पर अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर चीनी सेना ने हमला किया था. उसमें भी भारतीय सैनिकों की मौत हुई थी. नरेंद्र मोदी जब से भारत के प्रधानमंत्री बने हैं, उनकी चीन के राष्ट्रपति से पिछले छह साल में 18 बार मुलाक़ात हुई है. लेकिन इस हिंसक संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता दिख रहा है.

चीन को क्या हुआ नुकसान?
चीन के साथ हुए संघर्ष में भले ही भारत के 20 सैनिक शहीद हुए हों लेकिन कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि इसमें चीन के भी 20 से अधिक सैनिक मारे गए. हालांकि चीन ने कभी इसे स्वीकार नहीं किया. इसके बाद भारत ने चीन से अप्रत्यक्ष रूप से व्यापार बंद करने के बाद ही उसके 200 से अधिक ऐप पर बैन लगा दिया. इसके साथ ही सरकारी टेंडर में भी चीनी कंपनियों के शामिल होने पर रोक लगा दी गई.  

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भारतीय सैनिकों ने क्यों नहीं किया हथियारों का इस्तेमाल?
दरअसल चीन के साथ गलवान में हुए संघर्ष में हथियार इस्तेमाल नहीं किए गए थे. इस संबंध में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ट्वीट कर कहा, ''सीमा पर तैनात सभी जवान हथियार लेकर चलते हैं. ख़ासकर पोस्ट छोड़ते समय भी उनके पास हथियार होते हैं. 15 जून को गलवान में तैनात जवानों के पास भी हथियार थे. लेकिन 1996 और 2005 के भारत-चीन संधि के कारण लंबे समय से ये प्रैक्टिस चली आ रही है कि फ़ैस-ऑफ़ के दौरान जवान फ़ायरआर्म्स (बंदूक़) का इस्तेमाल नहीं करते हैं.''

भारत-चीन के लिए गलवान महत्वपूर्ण क्यों?
दरअसल भारत और चीन के बीच जिस गलवान घाटी में विवाद हुआ वो अक्साई चिन इलाके में है. गलवान घाटी लद्दाख और अक्साई चिन के बीच भारत-चीन सीमा के नज़दीक स्थित है. यहां पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) अक्साई चिन को भारत से अलग करती है. गलवान घाटी चीन के दक्षिणी शिनजियांग और भारत के लद्दाख तक फैली है. ये क्षेत्र भारत के लिए सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये पाकिस्तान, चीन के शिनजियांग और लद्दाख की सीमा के साथ लगा हुआ है. दारबुक-श्‍योक-दौलत बेग ओल्‍डी रोड भारत को इस पूरे इलाके में बड़ा एडवांटेज देगी. यह रोड काराकोरम पास के नजदीक तैनात जवानों तक सप्‍लाई पहुंचाने के लिए बेहद अहम है.

वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) कैसे अलग है नियंत्रण रेखा (LoC) से?
भारत की थल सीमा (लैंड बॉर्डर) की कुल लंबाई 15,106.7 किलोमीटर है जो कुल सात देशों से लगती है. इसके अलावा 7516.6 किलोमीटर लंबी समुद्री सीमा है. भारत सरकार के मुताबिक़ ये सात देश हैं, बांग्लादेश (4,096.7 किमी), चीन (3,488 किमी), पाकिस्तान (3,323 किमी), नेपाल (1,751 किमी), म्यांमार (1,643 किमी), भूटान (699 किमी) और अफ़ग़ानिस्तान (106 किमी). भारत चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है. ये सीमा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुज़रती है.

ये तीन सेक्टरों में बंटी हुई है - पश्चिमी सेक्टर यानी जम्मू-कश्मीर, मिडिल सेक्टर यानी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड और पूर्वी सेक्टर यानी सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश. हालांकि दोनों देशों के बीच अब तक पूरी तरह से सीमांकन नहीं हुआ है. क्योंकि कई इलाक़ों को लेकर दोनों के बीच सीमा विवाद है. इन विवादों की वजह से दोनों देशों के बीच कभी सीमा निर्धारण नहीं हो सका. हालांकि यथास्थिति बनाए रखने के लिए लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी टर्म का इस्तेमाल किया जाने लगा.

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भारत और चीन कब-कब आपस में भिड़े?

1962 - आजाद भारत का चीन के साथ पहला युद्ध 1962 में हुआ जो क़रीब एक महीने चला. इसका क्षेत्र लद्दाख़ से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक फैला हुआ था. इसमें चीन की जीत हुई थी और भारत की हार. 1962 की लड़ाई के बाद भारत और चीन दोनों ने एक दूसरे के यहाँ से अपने राजदूत वापस बुला लिए थे. दोनों राजधानियों में एक छोटा मिशन ज़रूर काम कर रहा था.

1967 - नाथु ला में चीन और भारत के बीच झड़प हुई थी. दोनों देशों के कई सैनिक मारे गए थे. संख्या के बारे में दोनों देश अलग-अलग दावे करते हैं. ये झड़पें तीन दिन तक चली.

1975 - भारतीय सेना के गश्ती दल पर अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर चीनी सेना ने हमला किया था.

Source : News Nation Bureau

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