रूस यूक्रेन युद्ध के शुरू हुए चार दिन बीत चुके हैं. दुनियाभर के देशों की आलोचना और बंदिशों के बाद भी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन झुकने को तैयार नहीं है. दिन-बदिन युद्ध और खतरनाक रूप लेता जा रहा है. इस बीच इस युद्ध के लंबा खींचने और रूस के लिए एक और अफगानिस्तान बनने की बात कही जाने लगी है. दरअसल, यूक्रेन के राष्ट्रपति और वहां की सेना सरेंडर करने के मूड में नहीं है और वे युद्ध को लंबा खींचना चाहते हैं. दरअसल, इस युद्ध में रूस का हर दिन 20 अरब डॉलर स्वाहा हो रहा है. इसके साथ ही रूसी जनता भी इस युद्ध के खिलाफ है. रूस में युद्ध के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं. ऐसे में रूस के लिए युद्ध को लंबे वक्त तक खींचना आर्थिक और सामरिक रूप से घातक साबित हो सकता है. दरअसल, कोई भी देश हमला कर किसी देश में घुस तो जाता है, लेकिन इस के बाद वह वहां पर फंस कर रह जाता है. वियतनाम, इराक, अफगानिस्तान इसके ताजा उदाहरण हैं. जहां से अमेरिका जैसी महाशक्ति को भी दुम दबाकर भागना पड़ा.
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की अपने देश में बहुत ही लोकप्रिय. इस युद्ध में वह हीरो की तरह उभरे हैं. दरअसल, जेलेंस्की ने रूसी हमले के बाद जान बचाने के लिए देश छोड़ने के बजाय देश में रहकर देश की रक्षा की बात कही है. उन्होंने आखिरी सांस तक लड़ने का ऐलान किया है. इसके साथ ही जेलेंस्की ने अपने देश पर रूस के अवैध कब्जे के खिलाफ हर नागरिक को हथियार चलाने से लेकर पेट्रोल बम बनाने और रूसी सैनिकों को निशाना बनाने की अपील की है. इस असर भी देखने को मिल रहा है. हालात ये है कि निहत्थी बच्ची भी रूसी सैनिकों का विरोध करते हुए नजर आ रही है. ऐसे में रूस के लिए यह जंग जीतना बहुत ही मुश्किल होगा. अगर यह युद्ध गृह युद्ध में तब्दील हो गया तो रूसी सैनिकों को बड़ी क्षति हो सकती है.
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978 अरब डॉलर प्रति वर्ष खर्च कर भी हार गया अमेरिका
ओसामा बिन लादेन को मारने और अलकायदा के सफाए के लिए अफगानिस्तान में उतरा अमेरिका हर वर्ष 978 अरब डॉलर खर्च करने के बाद भी हार गया. अमेरिका की हालत ये हो गई कि युद्धक विमान समेत सभी सैन्य साजो-सामान छोड़कर भागना पड़ा. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक अफगानिस्तान युद्ध पर अक्टूबर 2001 से सितंबर 2019 के बीच हर वर्ष 778 अरब डॉलर खर्च हुए. इसके अलावा अफगानिस्तान के विकास परियोजनाओं पर 44 अरब डॉलर खर्च किए. अमेरिका के अधिकारिक डाटा के मुताबिक वर्ष 2001 से 2019 के बीच अमेरिका ने अफगानिस्तान में कुल 822 अरब डॉलर खर्च किए. अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अमेरिकी खर्च पर ब्राउन यूनिवर्सिटी में वर्ष 2019 में हुए एक शोध के अनुसार अमेरिका ने लगभग 978 अरब डॉलर अफगानिस्तान में हर वर्ष खर्च किए. इसके साथ ही इस शोध में आगे कहा गया कि अफगानिस्तान में खर्च का सही आकलन करना मुश्किल है, क्योंकि सरकार के अलग-अलग विभागों में खर्चों की गणना अलग-अलग तरह से की जाती है. इसके बाद भी अमरीका न तो अफगानिस्तान में युद्ध जीत पाया और न ही अपनी मर्जी की सरकार बना पाया.
HIGHLIGHTS
- रूस के लिए गले की फांस बन सकता है यूक्रेन
- हर दिन खर्चने पढ़ रहे हैं 20 अरब डॉलर
- गुरिल्ला युद्ध की स्थित में होगा भारी नुकसान