पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में हिंसक झड़प के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सामरिक-कूटनीतिक लिहाज से चीन की शी जिनपिंग (Xi Jinping) सरकार को घेरने में लगे हैं. ऐसे में इस बार उनके हाथ आ गई है 'वैक्सीन डिप्लोमेसी', जिसकी बदौलत उन्होंने दक्षिण एशिया में ड्रैगन के पड़ोसी देशों में चीनी दबदबे को मिटियामेट कर दिया है. गौरतलब है कि भारत ने भूटान, नेपाल समेत कई देशों को कोरोना वैक्सीन (Corona VAccine) की आपूर्ति शुरू कर दी है. अगले कुछ सप्ताह में भारत कोरोना वैक्सीन की मुफ्त लाखों डोज पड़ोसी धर्म निभाते हुए नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार, मॉरीशस समेत कई देशों को कर चुका है. हालांकि इन देशों में पाकिस्तान (Pakistan) शामिल नहीं है, क्योंकि उसने अपने सदाबहार दोस्त चीन पर कोविड-19 टीके के लिए भरोसा किया है. यही वजह है कि इमरान खान सरकार अभी तक अपने देश में प्रभावी टीकाकरण शुरू नहीं कर सकी है.
वैक्सीन देकर निभाया पड़ोसी धर्म
दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोवैक्सीन की पड़ोसी देशों में आपूर्ति शुरू कर दी है. पड़ोसी धर्म निभाते हुए अपने मित्रों को सहयोग देने के वास्ते भारत ने नेपाल, बांग्लादेश, भुटान, मालदीव समेत कई पड़ोसी देशों को वैक्सीन मुहैया करा दी है और कुछ को जल्द ही दी जाएगी. भूटान, मालदीव, बांग्लादेश और नेपाल को कोरोना की वैक्सीन कोविशील्ड भेजने के बाद शुक्रवार को भारत ने म्यांमार, सेशेल्स और मॉरिशस को वैक्सीन की खेप भेजी.
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ड्रैगन के फन से नेपाल को छुड़ाने के प्रयास
गौरतलब है कि बीते कुछ समय से नेपाल की कम्युनिष्ट पार्टी सरकार चीन के इशारे पर नाच रही है, मगर संकट के समय में चीन ने नहीं, बल्कि भारत ने ही उसका साथ दिया है. भारत ने नेपाल को दस लाख कोरोना की डोज फ्री में दी है. इस मदद से पड़ोसी देश नेपाल गदगद है और राजनीतिक संकट का सामना कर रहे पीएम केपी ओली ने भारत की खूब तारीफ की है. नेपाली पीएम केपी ओली ने गुरुवार को ट्विटर पर कहा कि ऐसे अहम समय पर जब भारत ने अपने लोगों के लिए टीकाकरण की शुरुआत की है, नेपाल को 10 लाख टीके के उदार अनुदान के लिए मैं पीएम नरेंद्र मोदी, सरकार और भारत के लोगों को धन्यवाद देता हूं. नेपाल एक दोस्ताना पड़ोसी के रुख की सराहना करता है.
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बांग्लादेश का भी चीन से मोहभंग
नेपाल के अलावा बांग्लादेश को चीनी कंपनी सिनोवैक बायोटेक से कोरोना वैक्सीन की 110,000 खुराकें मुफ्त में मिलनी थीं, मगर बांग्लादेश ने वैक्सीन की डेवलपमेंट कॉस्ट देने से इनकार कर दिया. इसके बाद बांग्लादेश को भी चीन की बजाय भारत की ओर रुख करना पड़ा. भारत के साथ बांग्लादेश के आने का परिणाम यह हुआ कि भारत की ओर से उसे मुफ्त में कोरोना वैक्सीन की 20 लाख डोज मिल गई. बांग्लादेश के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि भारत एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन बना रहा है, जिसे सामान्य रेफ्रिजरेटेड तापमान पर स्टोर किया जा सकता है और आसानी से एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाया जा सकता है.यही नहीं, जिस चीन पर पाकिस्तान ने भरोसा दिया, उसी चीन ने पाकिस्तान को महज पांच लाख वैक्सीन की खुराकें दी हैं. इसके उलट भारत ने अपने पड़ोसियों को दस लाख से नीचे कोविड-19 वैक्सीन नहीं दी हैं.
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दक्षिण एशिया में चीनी धमक को मोदी सरकार ने किया ध्वस्त
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने राजनयिकों के हवाले से लिखा है कि सालों से भारत ने श्रीलंका, नेपाल और मालदीव जैसे देशों में चीनी निवेश के बराबर आने के लिए संघर्ष किया है, जहां चालाक चीन अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के हिस्से के रूप में बंदरगाहों, सड़कों और बिजली स्टेशनों का निर्माण कर रहा है. मगर अपने पर्यटन पर निर्भर अर्थव्यवस्थाओं को पुनर्जीवित करने के लिए बेकरार इन देशों में वैक्सीन की मांग ने मोदी सरकार को घुसने का एक रास्ता दे दिया. एक सरकारी सूत्र की मानें तो भारत अगले तीन-चार सप्ताह में सहयोग के तौर पर अपने पड़ोसी देशों को 12 मिलियन से 20 मिलियन खुराक तक देने पर विचार कर रहा है. इतना ही नहीं, टीकाकरण के लिए इनमें से कुछ देशों में भारत हेल्थ वर्करों को ट्रेनिंग भी मुहैया करवा रहा है और टीकाकरण की सुविधाएं भी विकसित कर रहा है.