गुजरात के मुख्यमंत्री के इस्तीफे की पटकथा पिछले दो महीने से लिखी जा रही थी. इस पर मामला साफ़ तभी हो गया था जब भीखू भाई दलसनिया की अहमदाबाद से विदाई कर बिहार भेज दिया गया था. वैसे तो गुजरात में मुख्यमंत्री बदलने की कवायद काफी समय से चल रही थी लेकिन पिछले 1 महीनों में पार्टी को मिले फ़ीडबैक को आधार बनाकर पार्टी ने मुख्यमंत्री बदलने करने का फैसला किया है. पिछले कुछ दिनों में पार्टी के बड़े नेताओं का गुजरात दौरा इस कड़ी में अहम है इससे घटनाक्रम समझना आसान होगा.
गृहमंत्री अमित शाह ने पिछले 2 महीनों में अप्रत्याशित रूप से 5 दौरे किये. इन दौरों के दौरान गृहमंत्री विजय रूपानी से दूर दिखे और संगठन का फीडबैक लेते रहे. इस बीच रूपानी और बीजेपी अध्यक्ष सीआर पाटिल के बीच समन्वय का अभाव और खटपट की खबर दिल्ली आ रही थी. संसद के मॉनसून सेशन के दौरान पाटिल मुख्यमंत्री की कार्यशैली की शिकायत केंद्रीय नेतृत्व को करते रहे. इस दौरान गुजरात बीजेपी में एक बड़ा बदलाव हुआ.
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1 अगस्त को गुजरात में 13 साल से जमे संगठन मंत्री भीखू भाई दलसनिया को हटाकर बिहार से रत्नाकर को गुजरात भेज दिया गया. रत्नाकर के गुजरात ट्रांसफर करने से पहले बीएल संतोष गुजरात गए थे और संगठन की लगातार 2 दिनों तक बैठक ली थी. 30 अगस्त को अमित शाह गुजरात गए थे जहां सरकारी कार्यक्रमों के अलावा उन्होंने राज्य के नेताओं के साथ भी बैठक की थी.
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2 सितंबर को बीजेपी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की दिल्ली में मुलाकात गृहमंत्री अमित शाह से हुई थी, उसी दिन कैलाश विजयवर्गीय अहमदाबाद गए और लगातार 6 दिन प्रवास किया. विजयवर्गीय अभी हाल में 8 सितंबर को ही गुजरात से लौटे हैं. 10 सितंबर को पार्टी के संगठन महामंत्री बीएल संतोष और गुजरात के अबतक प्रभारी केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव भी अहमदाबाद पहुंचे. कल अहमदाबाद शाम पहुंचे बीएल संतोष ने पार्टी नेताओं की बैठक रात में ही ली थी. आज 11 सितंबर को सुबह से संगठन मंत्री बीएल संतोष और भूपेंद्र यादव सूबे के वरिष्ठ पार्टी नेताओं और मुख्यमंत्री से कई बैठक की.