ब्रिटिश अर्थव्यवस्था से ज्यादा थी 'जगत सेठ' घराने की संपत्ति, ईस्ट इंडिया कंपनी लेती थी उधार

व्यापारी माणिकचंद के इस घराने को ‘जगत सेठ’ का खिताब 1723 में मुगल बादशाह मुहम्मद शाह ने दिया था. इस परिवार ने दुनिया भर के कई देशों को कर्ज दिया था.

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Mohit Saxena
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पश्चिम बंगाल में जगत सेठ का आलीशान घर.( Photo Credit : file photo)

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मशहूर सेठ मणिकचंद को जगत घराने का जनक माना जाता है, 17वीं शताब्दी में अमीर लोगों में उनका शुमार होता था. उस समय जगत सेठ घराने की कुल संपत्ति इंग्लैंड के सभी बैंकों की तुलना में काफी ज्यादा थी. जगत सेठ परिवार के जनक मशहूर सेठ मणिकचंद के बारे में बहुत कम लोग ही जानते होंगे. 17वीं शताब्दी में यह सबसे धनवान लोगों में गिने जाते थे. एक समय ऐसा था जब भारत का यह अकेला शख्स दुनिया भर के कई देशों को कर्ज दिया करता था. इस धनवान परिवार के कारण बंगाल का मुर्शिदाबाद व्यापारिक केंद्र हुआ करता था. सेठ माणिकचंद का जन्म राजस्थान के नागौर जिले के एक मारवाड़ी जैन परिवार में हुआ था.

उनके पिता हीरानंद साहू ने अच्छे व्यवसाय की खोज में बिहार की राजधानी पटना का रुख  किया और यहीं पर उन्होंने सॉल्टपीटर (Saltpetre) का व्यापार शुरू किया. उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी को काफी रुपए उधार दिए थे, इसके साथ इस कंपनी के साथ उनके व्यापारिक संबंध  भी बन गए थे.

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‘जगत सेठ’ का खिताब

माणिकचंद के इस घराने को ‘जगत सेठ’ का खिताब 1723 में मुगल बादशाह मुहम्मद शाह ने दिया था. गौरतलब है कि जगत सेठ का मतलब था Banker of the World. ये एक तरह का टाइटल था. इसके बाद से पूरा घराना जगत सेठ के नाम से प्रसिद्ध हो गया. ये खिताब फतेह चंद को मिला था, लेकिन इस घराने के संस्थापक सेठ माणिकचंद ही माने जाते हैं. उस दौर में  ये घराना सबसे अमीर बैंकर माना जाता था.

माणिकचंद और बंगाल, बिहार और उड़ीसा के सूबेदार मुर्शिद कुली खां काफी गहरे मित्र थे. माणिकचंद इनके खजांची हुआ करते थे, इसके साथ सूबे का लगान भी जमा करते थे. इन्हीं दोनों ने मिलकर बंगाल की नई राजधानी मुर्शिदाबाद को जन्म दिया था. 1715 में मुगल सम्राट ने माणिक चंद को सेठ की उपाधि से नवाजा था. 

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अंग्रेजों को हर वर्ष देते थे 4 लाख का कर्ज

इस घराने की ढाका, पटना, दिल्ली सहित बंगाल और उत्तरी भारत के कई शहरों में ब्रांच थी. अपने मुख्यालय मुर्शिदाबाद से संचालन होता था। इस घराने का ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ लोन की अदायगी, सर्राफ़ा की खरीद-बिक्री आदि का लेनदेन हुआ करता था। इस परिवार की तुलना बैंक ऑफ़ इंग्लैंड से की जाती थी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 1718 से 1757 तक ईस्ट इंडिया कंपनी जगत सेठ की फर्म से हर वर्ष 4 लाख का लोन लिया करती थी.

1000 बिलियन पॉउंड संपत्ति थी 

जगत सेठ घराने ने सबसे ज़्यादा दौलत फतेहचंद के समय थी. बताया जाता है कि उस समय इस घराने की कुल संपत्ति करीब 10,000,000 पाउंड थी. इसका आज के समय में आकलन किया जाए तो देखा जाए तो ये कुल 1000 बिलियन पाउंड के करीब होगी. ब्रिटिश सरकार के मौजूदा दस्तावेजों में बताया गया है कि उस समय जगत सेठ घराने की कुल संपत्ति इंग्लैंड के सभी बैंकों की तुलना में काफी ज्यादा थी. यहां तक कि 1720 के दशक में ब्रिटिश अर्थव्यवस्था जगत सेठ घराने की संपत्ति से कम था.

HIGHLIGHTS

  • 17वीं शताब्दी में यह सबसे धनवान लोगों में गिने जाते थे.
  • 1715 में मुगल सम्राट ने माणिक चंद को सेठ की उपाधि से नवाजा था.
  • ‘जगत सेठ’ का खिताब 1723 में मुगल बादशाह मुहम्मद शाह ने दिया था.

Source : News Nation Bureau

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