भारत में Web Series युवाओं को बना रही मानसिक रोगी! हेल्थ एक्सपर्ट्स ने किया खुलासा

जयपुर के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. अनिल ताम्बी की मानें तो वेब सीरीज एडिक्शन के एक-दो केस आते थे, लेकिन अब 10 से 15 केस हर दिन आ रहे हैं. युवाओं में इसकी आदत से मानसिक बीमारी का खतरा बढ़ता जा रहा है.

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Mohit Sharma
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सुनने में आपको आपको बेहद अजीब लगेगा लेकिन ये बात सोलह आने सच है की दिनभर घंटो तक आपका मनोरंजन करने वाली वेब सीरीज (Web Series)युवाओं को मानसिक तौर पर बीमार और  चिढ़चिढ़ा बना रही हैं. ऐसा हम नहीं बल्कि हेल्थ एक्सपर्ट्स और देश के वरिष्ठ मनोचिकित्सक कह रहे हैं. दरअसल, वेब सीरीज की लत कर हमारे लाडलों को बीमार बना रही है. ओटीटी प्लेटफॉर्म पर बेशक वेब सीरीज की लोकप्रियता जबरदस्त बढ़ी है, लेकिन असल में इसकी लत लोगों को ड्रग की तरह बीमार कर रही है. इसे डिजिटल ड्रग की लत या बिंज वॉचिंग कहा जाता है. जो व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से रोगी बना देती है, जो आगे चलकर साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर का रूप ले लेती है.

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जयपुर के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. अनिल ताम्बी की मानें तो जयपुर के मनोचिकित्सकों के पास पहले वेब सीरीज एडिक्शन के एक-दो केस आते थे, लेकिन अब 10 से 15 केस हर दिन आ रहे हैं, जिसमें 10 से 25 वर्ष तक के युवा शामिल हैं. युवा जो लगातार वेबसीरीज देखते है वो घर में उस समय काफी अलग व्यवहार करते है ज़ब उनसे मोबाइल या टीवी स्क्रीन छोड़ने को कहा जाता है.  डॉ. अनिल ताम्बी कहते हैं कि जयपुर में एक युवा पढ़ाई का बहाना कर बंद कमरे में कई घंटे तक वेब सीरीज देखता रहा और धीरे-धीरे वह ऐसा लगातार करने लगा उसका व्यवहार चिड़चिड़ा हो गया माता-पिता से भी झगड़ने लगा. वह कमरे में होता तो खुश रहता था लेकिन बाहर आते ही उदास और चिड़चिड़ा हो जाता.  घरवालों ने डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि वो डिजिटल ड्रग की जद में आ चुका है.

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गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल उदयपुर मनोचिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. जीनगर के अनुसार भारत में मनोरोगियों की संख्या लगभग 13 करोड़ के आसपास है. इनमें से एक करोड़ से भी ज्यादा लोग गंभीर मानसिक बीमारी से ग्रस्त हैं. उन्होंने बताया कि भारत में मनोचिकित्सकों की भी भारी कमी है. वर्तमान में एक लाख लोगों पर एक मनोचिकित्सक की भी व्यवस्था नहीं है.

रिपोर्ट- आशुतोष शर्मा

Source : News Nation Bureau

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