क्या है Beating Retreat कार्यक्रम, गणतंत्र दिवस से क्या है ताल्लुक?

बीटिंग रिट्रीट (Beating Retreat) के दौरान राष्ट्रपति सेनाओं को अपने बैरकों में वापस लौटने की अनुमति देते हैं. ये एक तरह से गणतंत्र दिवस (Republic Day) का समापन उत्सव है, जो बेहद खास होता है.

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Kuldeep Singh
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Beating Retreat

क्या है Beating Retreat कार्यक्रम, गणतंत्र दिवस से क्या है ताल्लुक?( Photo Credit : Wikipedia)

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Beating Retreat 2021 : आज शाम दिल्ली के विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. इस बार का बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम बेहद खास होने जा रहा है. इस बार बीटिंग-रिट्रीट सेरेमनी की शुरुआत 1971 युद्ध में पाकिस्तान पर मिली जीत के लिए तैयार की गई खास धुन से होगी. इस धुन को ‘स्वर्णिम विजय’ थीम नाम दिया गया है. 29 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह का आधिकारिक समापन होता है. बीटिंग द रिट्रीट (Beating The Retreat) नाम के इस समारोह का आयोजन 29 की शाम होता है, जिस दौरान सेना की तीनों शाखाएं पारंपरिक धुन बजाते हुए मार्च करती हैं. विजय चौक में होने वाले इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रपति होते हैं. इस दौरान राष्ट्रपति से गणतंत्र दिवस समारोह खत्म करने की अनुमति मांगी जाती है.

क्यों और क्या होती है बीटिंग रिट्रीट?
दरअसल 'बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी' सेना की बैरक वापसी का प्रतीक है. दुनियाभर में बीटिंग रिट्रीट की परंपरा रही है. पुराने समय में जब लड़ाई के दौरान सेनाएं सूर्यास्त होने पर हथियार रखकर अपने कैंप में जाती थीं, तब एक संगीतमय समारोह होता था, इसे बीटिंग रिट्रीट कहा जाता है. भारत में बीटिंग रिट्रीट की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी. तब भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट ने इस सेरेमनी को सेनाओं के बैंड्स के डिस्प्ले के साथ पूरा किया था. समारोह में राष्ट्रपति बतौर चीफ गेस्ट शामिल होते हैं. रायसीना रोड पर राष्ट्रपति भवन के सामने इसका प्रदर्शन किया जाता है. बैंड वादन के बाद रिट्रीट का बिगुल वादन होता है. इस दौरान बैंड मास्‍टर राष्‍ट्रपति के पास जाते हैं और बैंड वापस ले जाने की इजाजत मांगते हैं. इसका मतलब ये होता है कि 26 जनवरी का समारोह पूरा हो गया है और बैंड मार्च वापस जाते समय लोकप्रिय धुन "सारे जहां से अच्‍छा" बजाते हैं. चार दिनों तक चलने वाले गणतंत्र दिवस समारोह का समापन बीटिंग रिट्रीट के साथ ही होता है. 26 जनवरी के गणतंत्र दिवस समारोह की तरह यह कार्यक्रम भी देखने लायक होता है. इसके लिए राष्ट्रपति भवन, विजय चौक, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक बेहद सुंदर रोशनी के साथ सजाया जाता है. 

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इस बार क्या होगा खास
इस बार बीटिंग-रिट्रीट सेरेमनी की शुरुआत 1971 युद्ध में पाकिस्तान पर मिली जीत के लिए तैयार की गई खास धुन से होगी। इस धुन को ‘स्वर्णिम विजय’ थीम नाम दिया गया है. पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के युद्ध में भारत की जीत के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में इस धुन को तैयार किया गया है. इस बार 15 सैन्य बैंड और रेजिमेंटल सेंटरों और बटालियनों के इतनी ही संख्या में ड्रम बैंड समारोह में शामिल होंगे. लगभग 26 से अधिक संगीतमय कार्यक्रम ऐतिहासिक विजय चौक पर दर्शकों को रोमांचित करेंगे. सारे जहां से अच्छा की धुन से कार्यक्रम की समाप्ति होगी. इसके अलावा नौसेना, वायुसेना और सशस्त्र पुलिस बलों का एक-एक बैंड भी इसमें शामिल होगा. कोरोना प्रोटोकॉल के कारण इस बार 5 हजार लोग ही कार्यक्रम में शामिल होंगे. 

ऊंटों का दस्ता बहुत खास
राष्ट्रपति चूंकि इस समारोह का हिस्सा होते हैं इसलिए उनके भवन को रोशनियों से सजाया जाता है. पहले हर साल राष्ट्रपति भवन की सजावट देखने के लिए भी लोग आया करते थे, लेकिन इस बार ये रौनक नहीं होगी. हालांकि इसके अलावा भी रिट्रीट में कई बातें हैं, जो इसे अलग बनाती हैं. जैसे इसका ऊंटों का दस्ता. पहली बार 1976 में 90 ऊंटों की टुकड़ी गणतंत्र दिवस का हिस्सा बनी थी, जिसमें 54 ऊंट सैनिकों के साथ और बाकी ऊंट बैंड के जवानों के साथ थे.

सांकेतिक है ये आयोजन 
बीटिंग रिट्रीट वैसे एक सांकेतिक आयोजन है, जिसका असली नाम वॉच सेटिंग है. ये उस पारंपरिक युद्ध के जमाने की याद है, जिसमें सैनिक दिनभर युद्ध करते थे और शाम को सूरज ढलने के साथ लौट जाया करते थे. इस समारोह के साथ ही तीनों सेनाओं के सैनिक भी अपने बैरकों में लौट जाएंगे. वे लौटने से पहले राष्ट्रपति से आधिकारिक अनुमति लेते हैं.

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ड्रम और घंटियों की आवाज
इस दौरान थल-जल और वायु सेना की धुनें एक साथ बजाई जाती हैं. ये अपने-आप में इतना सुहाना लगता है कि इसे सुननेभर के लिए लोग पूरे साल इंतजार करते हैं. इस दौरान एक खास धुन अबाइड विद मी (abide with me) बजाई जाती है, जो महात्मा गांधी की प्रिय धुन थी. ये धुन ड्रमर्स कॉल के तहत बजाई जाती है, जिस दौरान ड्रमर एकल प्रदर्शन भी करते हैं. अबाइड विद मी के दौरान ड्रम के साथ ही घंटियों की धुन भी निकाली जाती हैं, जो सुनने वालों को मोह लेती है.

आज तक केवल दो बार हुआ रद्द 
गणतंत्र दिवस के आधिकारिक समापन का ये समय काफी अहम माना जाता है, लेकिन दो बार ऐसा भी हुआ रिट्रीट कार्यक्रम रद्द करना पड़ा. पहली बार साल 2001 में गुजरात में आए विनाशकारी भूकंप के बाद ऐसा हुआ था. दूसरी बार साल 2009 में कार्यक्रम रोकना पड़ा क्योंकि 27 जनवरी को देश के 8वें राष्ट्रपति रामस्वामी वेंकटरमण का निधन हो गया था. इन दो मौकों के अलावा कभी भी गणतंत्र दिवस से जुड़े इस समारोह का रद्द नहीं किया गया.

Source : News Nation Bureau

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