करतारपुर कॉरिडोर (Kartarpur corridor) एक बार फिर भारतीय श्रद्धालुओं के लिए खोला जा रहा है. कोरोना के कारण 16 मार्च 2020 को इसे बंद कर दिया गया था. हालांकि इस साल जून में इसे दोबारा खोला गया लेकिन भारतीय श्रद्धालुओं को यहां जाने की इजाजत नहीं दी गई. प्रकाश पर्व से दो दिन पहले करतारपुर कॉरिडोर शुरू होना श्रद्धालुओं के लिए काफी मायने रखता है. यही कारण है कि पंजाब के मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी अपनी पूरी कैबिनेट के साथ पहले जत्थे में शामिल होकर दर्शन के लिए जाएंगे.
करतारपुर साहिब का क्या महत्व है?
करतारपुर साहिब सिखों का पवित्र तीर्थ स्थल है. करतारपुर साहिब, पाकिस्तान के नारोवाल जिले में स्थित है. यह भारत के पंजाब के गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक से तीन से चार किलोमीटर दूर है और करीब लाहौर से 120 किमी. दूर है. यह सिखों के प्रथम गुरु, गुरुनानक देव जी का निवास स्थान था और यहीं पर उनका निधन भी हुआ था. बाद में उनकी याद में यहां पर गुरुद्वारा बनाया गया. इतिहास के अनुसार, 1522 में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक करतारपुर आए थे. उन्होंने अपनी ज़िंदगी के आखिरी 17-18 साल यही गुज़ारे थे. 22 सितंबर 1539 को इसी गुरुद्वारे में गुरुनानक जी ने आखरी सांसे ली थीं. इसलिए इस गुरुद्वारे की काफी मान्यता है. करतारपुर साहिब को सबसे पहला गुरुद्वारा माना जाता है जिसकी नींव श्री गुरु नानक देव जी ने रखी थी और यहीं पर उन्होंने अपने जीवन के अंतिम साल बिताए थे. हालांकि बाद में यह रावी नदी में बाढ़ के कारण बह गया था. इसके बाद वर्तमान गुरुद्वारा महाराजा रंजीत सिंह ने इसका निर्माण करवाया था.
करतारपुर कॉरिडोर क्या है?
पाकिस्तान में भारत की सीमा से लगभग 3 से 4 किलोमीटर की दूरी पर है. श्रद्धालु भारत में दूरबीन की मदद से दर्शन करते थे. बाद में दोनों सरकारों की सहमति से करतारपुर साहिब कॉरिडोर बनाया गया. भारत में पंजाब के डेरा बाबा नानक से अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक कॉरिडोर का निर्माण किया गया है और वहीं पाकिस्तान भी सीमा से नारोवाल जिले में गुरुद्वारे तक कॉरिडोर का निर्माण हुआ है. इसी को करतारपुर साहिब कॉरिडोर कहा गया है. करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन 9 नवंबर 2019 को किया गया. गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर इस कॉरिडोर को करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए खोला गया. हालांकि मार्च 2020 से करतारपुर कॉरिडोर बंद है.
श्रद्धालु दूरबीन से करते थे दर्शन
भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय, ये गुरुद्वारा पाकिस्तान में चला गया था इसीलिए भारत के नागरिकों को करतारपुर साहिब के दर्शन करने के लिए वीसा की जरुरत होती थी. जो लोग पाकिस्तान नहीं जा पाते हैं वे भारतीय सीमा में डेरा बाबा नानक स्थित गुरुद्वारा शहीद बाबा सिद्ध सैन रंधावा में दूरबीन की मदद से दर्शन करते थे. 1999 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जब लाहौर बस यात्रा की थी तब पहली बार करतारपुर साहिब कॉरिडोर को बनाने का प्रस्ताव दिया था. इस कॉरिडोर के शुरू होने के बाद तीर्थयात्री बिना वीजा गुरुद्वारे के दर्शन करने के लिए जा सकते हैं.
Source : News Nation Bureau