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इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग पर विपक्षी दलों का क्या है मूड, क्या कांग्रेस का दबदबा रहेगा कायम?

28 पार्टियों के इंडिया गठबंधन ने विपक्ष दलों को फिर से एक छत के नीचे बैठने के लिए मजबूर कर दिया है. लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या सीट शेयरिंग के मुद्दे पर सभी दल एक साथ नजर आएंगे. उत्तर भारत में क्षेत्रिय दलों का भी दबदबा कायम है.

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Prashant Jha
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इंडिया गठबंधन( Photo Credit : फाइल फोटो)

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तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तैयारी में जोरशोर से जुट गई है. केंद्र की सत्ता से भाजपा को हटाने के लिए बने विपक्षी इंडिया गठबंधन के साथ सीट शेयरिंग और अन्य मुद्दों को समाधान और सहमित के लिए 19 दिसंबर को बैठक होने जा रही है. इंडिया गठबंधन की इस बैठक से विपक्षी एकजुटता से सियासी माहौल गरमाने की तैयारी है. आम चुनावों में सीटों की शेयिंग करने का मुद्दा सबसे ऊपर होगा, लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक में गठबंधन को लीड करने के लिए नेता के नाम का ऐलान होगा. साथ ही सीट शेयरिंग पर आम सहमति बनेगी. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, गठबंधन जनवरी या फरवरी में साझा प्रत्याशियों का ऐलान करने की तैयारी में है. राज्यवार सब कमेटियां भी बनाने की तैयारी चल रही है. संबंधित पार्टी और इंडिया का झंडा भी साझा किया जाएगा. 

वैसे कांग्रेस का मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में करारी हार से मूड बदला-बदला सा लग रहा है. इंडिया गठबंधन में सबसे बड़ी और पुरानी पार्टी कांग्रेस का भले ही हिंदी हार्ट लैंड में निराशाजनक प्रदर्शन हाथ लगा है, लेकिन सीट बंटवारों को लेकर कांग्रेस के तेवर वही है जो पहले थे, क्योंकि तीनों राज्यों में कांग्रेस अपने वोट शेयर को लेकर उत्साहित है. कांग्रेस का मानना है कि इन राज्यों में गठबंधन की दूसरी पार्टियों के पास कोई दावेदारी नहीं है. यहां पर बीजेपी का विकल्प अगर कोई है तो कांग्रेस ही है.

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दक्षिण भारत में कांग्रेस की दावेदारी मजबूत

पार्टी का मानना है कि इन राज्यों में भाजपा सीएम के नए चेहरे लाकर जातिगत गणित साध रही है. कांग्रेस के रणनीतिकार का मानना है कि मध्य में पार्टी युवा नेताओं को आगे बढ़ाकर काम कर रही है. अब राजस्थान में बदलाव करने की तैयारी है.  वहीं, दक्षिण भारत (कर्नाटक-तेलंगाना) में मिली जीत से कांग्रेस उत्साहित है. यहां गठबंधन का कोई दल उतना मजबूत नहीं है जितना कि कांग्रेस. दक्षिण में डीएमके भले ही इंडिया गठबंधन का हिस्सा है, लेकिन कांग्रेस जैसा जनाधार उसके पास नहीं है. लिहाजा कांग्रेस का अपर हैंड है.
 
गठबंधन की चुनौती
बिहार उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली पंजाब और पश्चिम बंगाल में क्षेत्रीय दलों की स्थिति मजबूत है. इन राज्यों में ही लोकसभा की सबसे अधिक सीटें आती हैं. यहां 188 सीटें है. बिहार में नीतीश कुमार और लालू यादव, महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी. पंजाब और दिल्ली में आम आदमी पार्टी की स्थिति मजबूत है. यूपी में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव के साथ मुस्लिम और जाट वोट है. वहीं, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी. गठबंधन के सामने इन राज्यों में सीट शेयरिंग और साझा प्रत्याशियों का ऐलान सबसे बड़ी चुनौती बनेगी. इन राज्यों में क्षेत्रिय दलों की दावेदारी मजबूत है. ऐसे में गठबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि यहां पर सीट शेयरिंग का फॉर्मूला क्या होगा और साझा प्रत्याशियों को उतारने की क्या रणनीति बनेगी. 

सीट शेयरिंग का क्या होगा फॉर्मूला
राजस्थान, हिमाचल हरियाणा उत्तराखंड और गुजता में पिछले आम चुनाव में सभी सीटें हारने के बाद भी कांग्रेस एक भी सीट दूसरे दलों कके साथ बांटने को तैयार नहीं है. यहां 70 सीटें है कांग्रेस का मानना है कि यहां सीधा मुकाबला भाजपा क साथ इंडिया गठबंधन में यही पार्टी बीजेपी को टक्कर दे सकती है. 

Source : News Nation Bureau

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