पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के इस्तीफे से रिक्त हुई संगरूर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में आम आदमी पार्टी को तगड़ा झटका लगा है. पंजाब की इस सीट पर शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के उम्मीदवार सिमरनजीत सिंह मान को जीत मिली है. सिमरनजीत सिंह मान ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी आम आदमी पार्टी के गुरमेल सिंह को सात हजार वोट से अधिक के अंतर से हरा दिया है. चुनाव परिणाम आने के बाद सिमरनजीत सिंह मान ने कहा कि, " संसद में अपना प्रतिनिधि निर्वाचित करने के लिए संगरूर की जनता के प्रति आभार व्यक्त करता हूं. उन्होंने कहा है कि किसानों की समस्याओं, कृषि मजदूरों, व्यावसायियों और संगरूर के हर नागरिक की समस्याओं के निराकरण के लिए अपने स्तर से पूरा प्रयास करेंगे."
संगरूर से लोकसभा उपचुनाव जीतने के बाद लंबे समय से खबरों से ओझल रहने वाले सिमरनजीत सिंह और उनकी पार्टी शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) फिर चर्चा में आ गए है. नई पीढ़ी उनके नाम से भले अनजान हो लेकिन सिमरनजीत सिंह मान का राजनीति से पुराना संबंध हैं.
कौन हैं सिमरनजीत सिंह मान
सिमरनजीत सिंह मान का जन्म 20 मई 1945 को शिमला में हुआ था. उनके पिता, लेफ्टिनेंट कर्नल जोगिंदर सिंह मान, 1967 में पंजाब विधानसभा के स्पीकर थे. उन्होंने बिशप कॉटन स्कूल, शिमला और गवर्नमेंट कॉलेज चंडीगढ़ में शिक्षा प्राप्त की. वह "इतिहास" विषय में स्वर्ण पदक विजेता थे.
वह 1967 में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुए और उन्हें "पंजाब कैडर" आवंटित किया गया. वह एएसपी लुधियाना , एसएसपी फिरोजपुर, एसएसपी फरीदकोट, एआईजी जीआरपी पंजाब-पटियाला प्रभाग, सतर्कता ब्यूरो चंडीगढ़ के उप निदेशक, कमांडेंट पंजाब सशस्त्र पुलिस और सीआईएसएफ, बम्बई के ग्रुप कमांडेंट रहे. उनकी शादी गीतिंदर कौर मान से हुई है. मान की पत्नी और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर बहनें हैं. उनका एक बेटा इमान सिंह और दो बेटियां पवित कौर और ननकी कौर हैं.
ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में छोड़ी IPS की नौकरी
सिमरनजीत सिंह मान एक राजनीतिज्ञ और पंजाब के एक पूर्व पुलिस अधिकारी हैं. वह राजनीतिक दल, शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के अध्यक्ष हैं. मान 1989 में तरण तरन से और 1999 में संगरूर से सांसद रह चुके हैं. 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान 1984 के सिख विरोधी दंगों और हरमंदिर साहिब पर हुई सैन्य कार्रवाई के समय वह बॉम्बे में सीआईएसएफ के ग्रुप कमांडेंट थे.
ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में उन्होंने 18 जून 1984 को भारतीय पुलिस सेवा से इस्तीफा दे दिया. भारतीय पुलिस सेवा से इस्तीफा देने के बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया. बाद में मान पर अन्य बातों के अलावा, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की साजिश का आरोप लगाया गया था. उन्हें लगभग 30 बार गिरफ्तार या हिरासत में लिया गया है लेकिन उन्हें कभी भी दोषी नहीं ठहराया गया.
राजनीति में कैसे आया यह पुलिस अधिकारी
आईपीएस से इस्तीफा देने के बाद मान को गिरफ्तार कर लिया गया था. 1989 में जेल से उन्होंने लोकसभा के लिए तरनतारन से चुनाव लड़ा. पुलिस अफसर से सियासत में आए सिमरनजीत सिंह मान न केवल खुद रिकॉर्ड मतों से जीते, बल्कि अपनी पार्टी के पांच कैंडिडेट्स को भी लोकसभा पहुंचा दिया था. कामयाबी के बाद एक बड़े नेता के तौर पर उभरे थे. तब शिरोमणि अकाली दल (बादल) खाता भी नहीं खोल पाई थी जबकि भाजपा, कांग्रेस, जनता दल व बसपा को एक-एक सीट से संतोष करना पड़ा था.
सिमरनजीत सिंह मान1989 में तरण तारन से और 1999 में संगरूर से सांसद रह चुके हैं. वे 6 बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं. ये उनका सातवां लोकसभा चुनाव है. 2022 के विधानसभा चुनाव में भी वे अमरगढ़ से मैदान में थे जिसमें वे आम आदमी पार्टी के प्रोफेसर जसवंत सिंह गज्जनमाजरा से 6,043 वोट से चुनाव हार गए थे. वे तीन बार विधानसभा चुनाव हार चुके हैं. 1990 में कृपाण धारण करने पर जोर देने के कारण सिमरनजीत सिंह मान को संसद में प्रवेश से वंचित कर दिया गया था.